Success Story: किसान के बेटे का कमाल, नदी पार करके की पढ़ाई, सिंगापुर से यूएस तक जमाई धाक
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Success Story: ये कहानी एक ऐसे इंसान की है, जिसका जन्म बिहार से सटे नेपाल के एक गांव में हुआ. अपने गांव में स्कूल नहीं था. पिताजी साधारण किसान थे. ऐसे में बिहार के प्रायमरी स्कूल से पढ़ाई की, लेकिन उसके लिए भी बीच में गंडक नदी को पार करना पड़ता था. हालात ये थे कि जैसे तैसे नदी पार करके स्कूल पहुंचते थे. आखिरकार मन पढ़ाई में इतना रमा कि सिंगापुर से यूएस तक अपनी कामयाबी का झंडे गाड़ दिए.

Success Story: इस शख्स का नाम है रामाधार सिंह. रामाधार सिंह का नाम अमेरिका की सोसायटी फॉर पर्सनालिटी एंड सोशल साइकोलॉजी (SPSP) की ‘हेरिटेज वॉल ऑफ फेम’ में शामिल किया गया है. संभवत वह पहले ऐसे भारतीय हैं, जिनका नाम इस वॉल में शामिल किया गया है. रामाधार सिंह की जर्नी उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो गांव से पढकर देश दुनिया तक अपना नाम कमाना चाहते हैं खास तौर से मनोविज्ञान में करियर बनाने वाले स्टूडेंटस के लिए रामाधार सिंह एक जीती जागती मिसाल हैं.
कैसे हुई पढ़ाई लिखाई
रामाधार सिंह का जन्म 16 मई 1945 को नेपाल के सर्लाही जिले के गांव बलारा में हुआ. उनके पिता एक किसान थे. रामाधार सिंह के परिवार का स्कूल से कोई खास नाता नहीं था, इसलिए पूरे परिवार में स्कूल जाने वाले वह पहले व्यक्ति बने. गांव में स्कूल नहीं होने के कारण उन्हें गांव से सटे बिहार के एक गांव में पढ़ने जाना पड़ता था. स्थिति यह थी कि स्कूल जाने के लिए उन्हें गंडक नदी को पार करना पड़ता था. रामाधार सिंह कहते हैं कि पिताजी का उतना मन नहीं था कि बच्चा इतना परिश्रम करके स्कूल जाए, लेकिन मां कहती थी कि नहीं इसे पढ़ाना ही है, चाहे जो हो जाए.
रामाधार सिंह का जन्म 16 मई 1945 को नेपाल के सर्लाही जिले के गांव बलारा में हुआ. उनके पिता एक किसान थे. रामाधार सिंह के परिवार का स्कूल से कोई खास नाता नहीं था, इसलिए पूरे परिवार में स्कूल जाने वाले वह पहले व्यक्ति बने. गांव में स्कूल नहीं होने के कारण उन्हें गांव से सटे बिहार के एक गांव में पढ़ने जाना पड़ता था. स्थिति यह थी कि स्कूल जाने के लिए उन्हें गंडक नदी को पार करना पड़ता था. रामाधार सिंह कहते हैं कि पिताजी का उतना मन नहीं था कि बच्चा इतना परिश्रम करके स्कूल जाए, लेकिन मां कहती थी कि नहीं इसे पढ़ाना ही है, चाहे जो हो जाए.
और मिल गई यूएसए की फेलोशिप
रामाधार सिंह कहते हैं कि स्कूल पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1958 उन्होंने श्रीशंकर हाई स्कूल, मरपसिरपाल, जिला सीतामढ़ी से आगे की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वह यहीं नहीं रूके उन्होंने मनोविज्ञान विषय में बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से वर्ष 1965 में बीए किया. रामाधार सिंह पढ़ने में तेज थे, लिहाजा उन्हें 1965 में ही मास्टर्स डिग्री के लिए बिहार विश्वविद्यालय से पोस्ट-ग्रेजुएट मेरिट स्कॉलरशिप मिल गई. उन्होंने 1968 में मनोविज्ञान में एमए किया. रामाधार सिंह एमए में गोल्ड मेडलिस्ट रहे. वर्ष 1970 में उन्हें र्ड्यू यूनिवर्सिटी (Purdue University, USA) से फुलब्राइट-हेज स्कॉलरशिप मिल गई. 1972 में उन्होंने मनोविज्ञान में एमएस किया. वर्ष 1973 में पर्ड्यू विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरी कर ली.
रामाधार सिंह कहते हैं कि स्कूल पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1958 उन्होंने श्रीशंकर हाई स्कूल, मरपसिरपाल, जिला सीतामढ़ी से आगे की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वह यहीं नहीं रूके उन्होंने मनोविज्ञान विषय में बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से वर्ष 1965 में बीए किया. रामाधार सिंह पढ़ने में तेज थे, लिहाजा उन्हें 1965 में ही मास्टर्स डिग्री के लिए बिहार विश्वविद्यालय से पोस्ट-ग्रेजुएट मेरिट स्कॉलरशिप मिल गई. उन्होंने 1968 में मनोविज्ञान में एमए किया. रामाधार सिंह एमए में गोल्ड मेडलिस्ट रहे. वर्ष 1970 में उन्हें र्ड्यू यूनिवर्सिटी (Purdue University, USA) से फुलब्राइट-हेज स्कॉलरशिप मिल गई. 1972 में उन्होंने मनोविज्ञान में एमएस किया. वर्ष 1973 में पर्ड्यू विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरी कर ली.
IIT कानपुर के बाद सिंगापुर
इसके बाद उन्हें आईआईटी कानपुर से सहायक प्रोफेसर का पद ऑफर किया गया. वह आईआईटी कानपुर आ गए. जहां 1973 से 1979 तक अपनी सेवाएं दीं. 1979 से 1988 तक वह इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद में रहे. वर्ष 1988 में उनको नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में मनोविज्ञान के प्रोफेसर का बुलावा आ गया. जहां वह लगातार 2010 तक रहे. वह 1992 में सिंगापुर साइकोलॉजी सोसाइटी के पहले फेलो और साइकोलॉजी के पहले प्रोफेसर बने. वर्ष 2003-04 के दौरान वह यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर न्यूयॉर्क यूएसए और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड यूके और पर्ड्यू यूनिवर्सिटी इंडियाना यूएसए में भी अपना समय दिया. वर्ष 2010 से 2016 तक उन्होंने इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट बेंगलुरू में भी बतौर प्रोफेसर सेवाएं दीं. वह अहमदाबाद यूनिवर्सिटी में भी विशिष्ट प्रोफेसर रहे.
इसके बाद उन्हें आईआईटी कानपुर से सहायक प्रोफेसर का पद ऑफर किया गया. वह आईआईटी कानपुर आ गए. जहां 1973 से 1979 तक अपनी सेवाएं दीं. 1979 से 1988 तक वह इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद में रहे. वर्ष 1988 में उनको नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में मनोविज्ञान के प्रोफेसर का बुलावा आ गया. जहां वह लगातार 2010 तक रहे. वह 1992 में सिंगापुर साइकोलॉजी सोसाइटी के पहले फेलो और साइकोलॉजी के पहले प्रोफेसर बने. वर्ष 2003-04 के दौरान वह यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर न्यूयॉर्क यूएसए और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड यूके और पर्ड्यू यूनिवर्सिटी इंडियाना यूएसए में भी अपना समय दिया. वर्ष 2010 से 2016 तक उन्होंने इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट बेंगलुरू में भी बतौर प्रोफेसर सेवाएं दीं. वह अहमदाबाद यूनिवर्सिटी में भी विशिष्ट प्रोफेसर रहे.
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देश दुनिया में कमाया नाम
रामाधार सिंह ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसाइटी, सिंगापुर साइकोलॉजिकल सोसाइटी, सोसाइटी फॉर पर्सनालिटी एंड सोशल साइकोलॉजी, अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन, एसोसिएशन फॉर साइकोलॉजिकल साइंस, नेशनल एकेडमी ऑफ साइकोलॉजी इंडिया के भी फेलो रहे हैं. इसके अलावा द एसोसिएशन ऑफ साइकोलॉजिकल साइंस वाशिंगटन डीसी यूएसए ने रामाधार सिंह का नाम द फेसेज एंड माइंडस ऑफ साइकोलॉजिकल साइंस की लिस्ट में शामिल किया है. इसके अलावा वह देश दुनिया की संस्थाओं की एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य भी हैं.
रामाधार सिंह ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसाइटी, सिंगापुर साइकोलॉजिकल सोसाइटी, सोसाइटी फॉर पर्सनालिटी एंड सोशल साइकोलॉजी, अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन, एसोसिएशन फॉर साइकोलॉजिकल साइंस, नेशनल एकेडमी ऑफ साइकोलॉजी इंडिया के भी फेलो रहे हैं. इसके अलावा द एसोसिएशन ऑफ साइकोलॉजिकल साइंस वाशिंगटन डीसी यूएसए ने रामाधार सिंह का नाम द फेसेज एंड माइंडस ऑफ साइकोलॉजिकल साइंस की लिस्ट में शामिल किया है. इसके अलावा वह देश दुनिया की संस्थाओं की एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य भी हैं.
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Dhiraj Raiअसिस्टेंट एडिटर
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...और पढ़ें
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