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हाईकोर्ट ने बंधक हाथी को छोड़ने के मुद्दे पर मांगी तीन हफ्ते में रिपोर्ट

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बंधक बनाकर अचानकमार टाइगर रिजर्व में 1 दिसंबर 2015 से रखे गए हाथी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई की.

हाईकोर्ट ने बंधक हाथी को छोड़ने के मुद्दे पर मांगी तीन हफ्ते में रिपोर्टफोटो- ईटीवी
बंधक बनाकर अचानकमार टाइगर रिजर्व में 1 दिसंबर 2015 से रखे गए हाथी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट ने  सुनवाई की. कोर्ट ने  आदेश दिया कि सोनू को जंगल में छोड़ा जा सकता है या नहीं,  इसकी जांच केरल के डॉक्टर राजीव टीएस करके 3 सप्ताह में रिपोर्ट पेश करें.

कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर राजीव टीएस को केरल से आने जाने के लिए हवाई जहाज में बिजनेस क्लास की टिकट का खर्च के साथ समस्त खर्चों का वाहन शासन करेगा. कोर्ट ने जंगली जानवरों को बंधक बनाकर रखने पर चिंता जाहिर की. साथ ही कहा कि जंगली जानवर को बंधक बनाकर रखने से उसकी जंगल में जीवित रहने की क्षमता खत्म हो जाती है.

इससे उसकी आने वाली पीढ़ियां हमेशा मानव पर निर्भर हो जाएंगी. अचानकमार में घूम रहे लगभग 12 साल के नर हाथी को पकड़ कर वापस दूसरे जंगल में छोड़ने के आदेश 20 अक्टूबर 2015 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव में दिए थे.

वन विभाग ने तब बताया था कि उस हाथी ने एक जनहानि की है परंतु वन विभाग के अचानकमार के अधिकारियों ने 1 दिसंबर 2015 को उक्त हाथी को पकड़कर कई चेनो से जकड़ कर बंधक बना लिया. इससे हाथी के चारों पैर  सड़ने की स्थिति में पहुंच गए.

इस पर रायपुर निवासी याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की. 30 जनवरी 2016 को एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा गठित केरल के डॉक्टर राजीव टीएस की 2 सदस्य टीम अचानकमार पहुंची और हाथी का तत्काल उपचार चालू करवा कर हाथी की दुर्दशा पर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में सबमिट की थी.
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