रिपोर्ट: अनूप पासवान
कोरबा: देश भर में कई धार्मिक स्थल हैं, जहां से अनेकों मान्यताएं निकल कर सामने आती हैं. ठीक इसी प्रकार छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में भी देवी मां का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. मंदिर से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं भी लोगों द्वारा बताई जाती हैं.
मां मड़वारानी के दरबार मे एक अनोखी परंपरा है. चैत्र और शारदीय नवरात्रों में माता का विधि विधान से पूजन किया था है. इस मंदिर में कुवार नवरात्रि की पंचमी को प्रथम दिन मान कर नवरात्रि की शुरुआत की जाती है. चैत्र नवरात्र में यहां तय तिथि वर्ष प्रतिपदा से ही नवरात्रि मनाई जाती है.
अविवाहित स्वरूप में हैं मड़वारानी देवी
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि उनके दादा-परदादा के सपने में मां मड़वारानी आई थीं. उन्होंने कलमी पेड़ पर होने की बात कही थी. तब से मां मड़वारानी की पूजा होने लगी. मान्यता यह भी है कि मां मड़वारानी अपनी शादी के मंडप (मड़वा) को छोड़कर आ गई थीं. इस दौरान बरपाली-मड़वारानी रोड में उनके शरीर से हल्दी एक बड़े पत्थर पर गिरा. वह पत्थर पीला हो गया. मां मड़वारानी के मंडप से आने के कारण गांव और पर्वत को मड़वारानी के नाम से जाना जाने लगा.
कलमी के पेड़ में खुद उग जाते है ज्वारे
दूसरी प्रसिद्ध कहानी यह है कि मां मड़वारानी भगवान शिव से कनकी में मिलीं. मां मड़वारानी संस्कृत में “मांडवी देवी” के नाम से जानी जाती हैं. यह भी मान्यता है कि जिस कलमी पेड़ के नीचे माता विराजमान हैं, उस पेड़ पर नवरात्रि जवा अपने आप उग जाता है. पुजारी ने यह भी बताया कि मड़वारानी मां आसपास के गांव बरपाली, सोहागपुर, भैसमा, मड़वारानी, बाजार में खरीदी करने के लिए आती थीं. एक दिन कुछ लोग मड़वारानी मां का पीछा करने लगे तो मड़वारानी मां कलमी पेड़ में जाकर छिप गईं.
दरबार में पहुंच रहे भक्त
मां मड़वारानी कोरबा के करतला ब्लॉक के अंतर्गत एक पहाड़ी पर विराजमान हैं. यह स्थान जिला मुख्यालय कोरबा से 20 किलोमीटर और जांजगीर-चांपा जिले के चांपा से लगभग 15 किलोमीटर दूर कोरबा चांपा मुख्य मार्ग पर है. यहां सड़क और रेल मार्ग से पहुंचा जा सकता है. मां मड़वारानी की पूजा अरसे से जारी है, लेकिन अनुमान नहीं लगाया जा सका है कि यह सिलसिला चलते हुए कितने साल हो चुके हैं. चैत्र नवरात्र पर्व प्रारंभ होने के साथ ही यहां रौनक बढ़ी हुई है. माता के भक्त अपनी अर्जी लगाने मां के दरबार पहुंच रहे हैं.
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