दिल्ली: एम्स में पेट की गंभीर बीमारी से पीड़ित 4 साल के बच्चे को स्टाफ ने परोसा खाना, निकला कॉकरोच
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Agency:News18Hindi
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में परोसे जा रहे भोजन की क्वलिटी को लेकर एक और विवाद खड़ा हो गया है. अब चार साल के एक मरीज के परिवार को कथित तौर पर उसे परोसे गए भोजन में कॉकरोच मिला.

नई दिल्ली. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में परोसे जा रहे भोजन की क्वलिटी को लेकर एक और विवाद खड़ा हो गया है. अब चार साल के एक मरीज के परिवार को कथित तौर पर उसे परोसे गए भोजन में कॉकरोच मिला. ये कथित घटना रविवार को उस बच्चे के साथ हुई, जो पेट की गंभीर बीमारी हिर्स्चस्प्रुंग रोग (Hirschsprung Disease) से पीड़ित है. जिसके कारण बड़ी आंत पर असर होता है और मल त्याग करने में समस्या पैदा होती है. उसके ऑपरेशन के बाद ये भोजन परोसा गया था.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक नोएडा निवासी और अपना नाम नहीं जाहिर करने की इच्छुक बच्चे की मां ने कहा कि ‘सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने हमें बच्चे को केवल अर्ध-ठोस खाना देने के लिए कहा था. तो मैंने स्टाफ से कहा कि मुझे एक कटोरी दाल दे दो. जब मैंने उसे पहला निवाला दिया, तो मुझे उसमें एक मरे हुए तिलचट्टे के हिस्से मिले. मैंने अपने बेटे को तुरंत निवाले को थूक देने को कहा.’ बच्चे की मां ने कहा कि ‘मैं यहां के डॉक्टरों की आभारी हूं. वे पिछले दो वर्षों से हमारे बच्चे का इलाज कर रहे हैं. लेकिन अस्पताल में खाने के सामान की क्वालिटी एक बड़ी चिंता का विषय है. मैं तो घटना के बाद घबरा गई और अस्पताल के अधिकारियों को सतर्क कर दिया. उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि वे इस मामले में सख्त कार्रवाई करेंगे.’
इन आरोपों का जवाब देते हुए एम्स प्रशासन ने कहा कि अस्पताल के अधिकारियों ने घटना को गंभीरता से लिया है और मामले की जांच कर रहे हैं. यह पहली बार नहीं है जब एम्स में परोसे जा रहे भोजन की घटिया क्वालिटी को लेकर शिकायत की गई है. अगस्त और सितंबर के बीच दो अलग-अलग घटनाएं हुईं. जब संस्थान के रेजिडेंट डॉक्टरों की कैंटीन में खराब क्वालिटी का खाना परोसा गया. सोशल मीडिया पर शिकायतें फैलने के बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की टीमों ने मौके का निरीक्षण किया और कई नमूने सेफ्टी टेस्ट में फेल रहे. FSSAI के टेस्ट के नतीजों के बाद एम्स प्रशासन ने रेजिडेंट डॉक्टरों के छात्रावास के एक मेस और एक कैफेटेरिया को बंद करने का निर्देश दिया था.
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Rakesh Singh
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in ...और पढ़ें
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