फ्लाइट में कभी पेशाब तो कभी यौन उत्पीडन, क्यों बढ़ रहे मामले? DCW की स्वाति मालीवाल ने पूछा तो DGCA से मिला ये जवाब
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दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, 'उड़ानों में यौन उत्पीड़न और अनियंत्रित व्यवहार के बढ़ते मामले बहुत परेशान करने वाले हैं. डीजीसीए के वर्तमान दिशा-निर्देश और सलाह यौन उत्पीड़न के मामलों की रोकथाम और निवारण के मुद्दे को ठीक से संबोधित नहीं करते हैं.
फ्लाइटों में पेशाब और यात्रियों के दुर्व्यवहार के मामलों पर दिल्ली महिला आयोग ने डीजीसीए को सिफारिशें भेजी हैं. पिछले कुछ महीनों में फ्लाइटों में यात्रियों द्वारा दुर्व्यवहार की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं. ऐसी घटनाएं न केवल उड़ानों में सफर करने वाले यात्रियों के लिए बेहद डरावनी हैं बल्कि आघात पहुंचाने वाली हैं. इसी को लेकर अब दिल्ली महिला आयोग ने डीजीसीए को नोटिस जारी किया है. आयोग का कहना है कि मीडिया ने हाल ही में दो उड़ानों में यात्रियों द्वारा उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के मामलों की सूचना दी है, एक 26 नवंबर, 2022 को जिसमें एक व्यक्ति ने न्यूयॉर्क से नई दिल्ली जाने वाली एयर इंडिया की उड़ान में 70 वर्षीय एक महिला पर पेशाब किया. दूसरी घटना 6 दिसंबर, 2022 को हुई जिसमें एक पुरुष ने पेरिस से नई दिल्ली जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट में अपनी साथी महिला यात्री की सीट पर फिर से पेशाब कर दिया.
बताया जा रहा है कि दोनों युवक अत्यधिक नशे की हालत में थे. आयोग ने इन घटनाओं का स्वत: संज्ञान लिया लेते हुए डीजीसीए को एक नोटिस जारी कर इन घटनाओं में हो रही बढ़ोत्तरी का कारण और उनके द्वारा की गई कार्रवाई के साथ-साथ ऐसे मामलों से निपटने के लिए एयरलाइनों को निकाय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का विवरण मांगा था. स्वाति मालीवाल के इस नोटिस पर अब डीजीसीए ने अपने जवाब में आयोग को एयरलाइंस के खिलाफ की गई विशेष कार्रवाई की जानकारी दी है. साथ ही डीजीसीए ने आयोग को एयरलाइनों द्वारा पालन किये जाने वाले 2010 के कुछ दिशा-निर्देशों की एक प्रति भी दी है.
दिल्ली महिला आयोग को मिली ये जानकारी
हालांकि मौजूद दिशा-निर्देशों की जांच करने पर आयोग ने पाया कि ये एयरलाइंस को हवाईअड्डे या उड़ानों में महिला यात्रियों के यौन उत्पीड़न के मामलों को ठीक से संभालने, रिपोर्ट करने और निवारण करने के लिए विशिष्ट निर्देश नहीं देते हैं. इसके अलावा, इसमें अत्यधिक नशे में यात्रियों से निपटने के लिए भी उठाये जाने वाले कदमों को सूचीबद्ध नहीं किया है.
हालांकि मौजूद दिशा-निर्देशों की जांच करने पर आयोग ने पाया कि ये एयरलाइंस को हवाईअड्डे या उड़ानों में महिला यात्रियों के यौन उत्पीड़न के मामलों को ठीक से संभालने, रिपोर्ट करने और निवारण करने के लिए विशिष्ट निर्देश नहीं देते हैं. इसके अलावा, इसमें अत्यधिक नशे में यात्रियों से निपटने के लिए भी उठाये जाने वाले कदमों को सूचीबद्ध नहीं किया है.
हाल ही में जारी की गई सलाह केवल पायलट और चालक दल के सदस्यों का ध्यान मौजूदा कानूनों और दिशानिर्देशों के तहत परिभाषित उनके विशिष्ट कर्तव्यों की ओर आकर्षित करती है और भविष्य में ऐसे मामलों की घटना को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए चालक दल या एयरलाइंस को निर्देशित करने में विफल रहती है.
आयोग ने दी सिफारिशें
आयोग ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में उड़ानों में यौन उत्पीड़न को रोकने और उससे निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में डीजीसीए को सिफारिशें दी हैं. सिफारिशों में प्रमुख रूप से अत्यधिक नशे में व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई शामिल है जिसमें ऐसे व्यक्तियों को विमान में चढ़ने से रोकना, विमान में ऐसे यात्रियों को संभालने के लिए प्रोटोकॉल और उड़ानों में शराब का सेवन सीमित करना शामिल है. इसके अलावा, आयोग ने उड़ानों में यौन उत्पीड़न में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव दिया है. इनमें अपराधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करना, एक सेवानिवृत्त महिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में यात्रियों से यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन करना, ऐसे यात्रियों के खिलाफ सजा बढ़ाना, सज़ा की समय अवधि बढ़ाना शामिल है, जिसके लिए उन्हें 6 महीने से 2 साल तक नो-फ्लाई सूची में रखा जा सकता है. इसके एयरलाइन कर्मचारियों के संवेदीकरण और यौन उत्पीड़न में लिप्त यात्रियों पर निरोधक उपकरणों का उपयोग करने के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करना महत्वपूर्ण सिफारिशें हैं.
आयोग ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में उड़ानों में यौन उत्पीड़न को रोकने और उससे निपटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में डीजीसीए को सिफारिशें दी हैं. सिफारिशों में प्रमुख रूप से अत्यधिक नशे में व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई शामिल है जिसमें ऐसे व्यक्तियों को विमान में चढ़ने से रोकना, विमान में ऐसे यात्रियों को संभालने के लिए प्रोटोकॉल और उड़ानों में शराब का सेवन सीमित करना शामिल है. इसके अलावा, आयोग ने उड़ानों में यौन उत्पीड़न में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव दिया है. इनमें अपराधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करना, एक सेवानिवृत्त महिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में यात्रियों से यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन करना, ऐसे यात्रियों के खिलाफ सजा बढ़ाना, सज़ा की समय अवधि बढ़ाना शामिल है, जिसके लिए उन्हें 6 महीने से 2 साल तक नो-फ्लाई सूची में रखा जा सकता है. इसके एयरलाइन कर्मचारियों के संवेदीकरण और यौन उत्पीड़न में लिप्त यात्रियों पर निरोधक उपकरणों का उपयोग करने के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करना महत्वपूर्ण सिफारिशें हैं.
विमानों में लगें सीसीटीवी
आयोग ने यह भी गौर किया है कि यौन उत्पीड़न के अपराध को डीजीसीए के दिशानिर्देशों द्वारा सामान्य रूप से एक ‘उग्र व्यवहार’ के रूप में माना जाता है. यह अस्वीकार्य है क्योंकि यह यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों द्वारा सामना किए गए आघात को कम करता है और ऐसे मामलों में कठोर कदम उठाने से रोकता है. इसलिए आयोग ने यौन उत्पीड़न के अपराधों के लिए अलग श्रेणी बनाने की सिफारिश की है. इसके अलावा, आयोग ने उड़ानों में शिकायत दर्ज़ करने के लिए तंत्र स्थापित करने, विमानों में सीसीटीवी लगाने और उड़ानों में यौन उत्पीड़न के खिलाफ घोषणाएं करने और पाठ्य सामग्री रखने का प्रस्ताव दिया है. आयोग ने यौन उत्पीड़न पर ज़ीरो टॉलरेंस नीति को लागू करने में विफलता के लिए एयरलाइन और चालक दल के सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का भी प्रस्ताव दिया है.
आयोग ने यह भी गौर किया है कि यौन उत्पीड़न के अपराध को डीजीसीए के दिशानिर्देशों द्वारा सामान्य रूप से एक ‘उग्र व्यवहार’ के रूप में माना जाता है. यह अस्वीकार्य है क्योंकि यह यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों द्वारा सामना किए गए आघात को कम करता है और ऐसे मामलों में कठोर कदम उठाने से रोकता है. इसलिए आयोग ने यौन उत्पीड़न के अपराधों के लिए अलग श्रेणी बनाने की सिफारिश की है. इसके अलावा, आयोग ने उड़ानों में शिकायत दर्ज़ करने के लिए तंत्र स्थापित करने, विमानों में सीसीटीवी लगाने और उड़ानों में यौन उत्पीड़न के खिलाफ घोषणाएं करने और पाठ्य सामग्री रखने का प्रस्ताव दिया है. आयोग ने यौन उत्पीड़न पर ज़ीरो टॉलरेंस नीति को लागू करने में विफलता के लिए एयरलाइन और चालक दल के सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का भी प्रस्ताव दिया है.
आयोग ने इस संबंध में एयरलाइंस और डीजीसीए से अधिक जवाबदेही की मांग की है और सिफारिश की है कि उड़ानों और हवाई अड्डों पर यौन उत्पीड़न के मामलों के साथ-साथ उनके खिलाफ की गई कार्रवाई पर डीजीसीए द्वारा नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ एक मासिक रिपोर्ट साझा की जानी चाहिए. दिल्ली महिला आयोग ने डीजीसीए को सिफारिशें भेज दी हैं और 30 दिनों में मामले में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है.
ये बोलीं स्वाति मालीवाल
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, ‘उड़ानों में यौन उत्पीड़न और अनियंत्रित व्यवहार के बढ़ते मामले बहुत परेशान करने वाले हैं. डीजीसीए के वर्तमान दिशा-निर्देश और सलाह यौन उत्पीड़न के मामलों की रोकथाम और निवारण के मुद्दे को ठीक से संबोधित नहीं करते हैं. वास्तव में, डीजीसीए दिशानिर्देश यौन उत्पीड़न को ‘अनियंत्रित व्यवहार’ के रूप में मानते हैं. यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इन दिशानिर्देशों को तत्काल संशोधित करने की आवश्यकता है. हमने डीजीसीए को एक विस्तृत सिफारिश भेजी है और 30 दिनों के भीतर उस पर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। हमें इस अपराध से निपटने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, ‘उड़ानों में यौन उत्पीड़न और अनियंत्रित व्यवहार के बढ़ते मामले बहुत परेशान करने वाले हैं. डीजीसीए के वर्तमान दिशा-निर्देश और सलाह यौन उत्पीड़न के मामलों की रोकथाम और निवारण के मुद्दे को ठीक से संबोधित नहीं करते हैं. वास्तव में, डीजीसीए दिशानिर्देश यौन उत्पीड़न को ‘अनियंत्रित व्यवहार’ के रूप में मानते हैं. यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इन दिशानिर्देशों को तत्काल संशोधित करने की आवश्यकता है. हमने डीजीसीए को एक विस्तृत सिफारिश भेजी है और 30 दिनों के भीतर उस पर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। हमें इस अपराध से निपटने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है.
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