अधिकमास की अमावस्या पर कर लें यह काम, कुंडली के सभी दोष हो जाएंगे खत्म
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Adhik Maas Amavasya : श्री गायत्री ज्योति संस्थान के ज्योतिर्विद पंडित वेद प्रकाश मेहता बताते हैं कि श्रावण में भगवान शिव की आराधना करने का विशेष महत्व तो है लेकिन अधिकमास की अमावस्या पर शिव आराधना करने से बहुत सारे बिगड़े काम बन जाते है, पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है.
दीपक पाण्डेय/खरगोन.वैसे तो हर 3 महीने में एक बार अधिक मास की अमावस्या आती है लेकिन कालगणना के अनुसार इस बार लगभग 19 साल बाद श्रावण में अधिकमास की अमावस्या का विशेष संयोग बना है. 16 अगस्त को पुरुषोत्तम मास यानी अधिकमास की अमावस्या है और इस अमावस्या के बाद अधिकमास भी समाप्त हो जाएगा.
श्रावण में अधिकमास की अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है. इस अमावस्या पर महा नदियों में स्नान, गरीबों को दान और पितरों का श्राद्ध, तर्पण करने से पितृदोष और कालसर्प दोष, शनि दोष इत्यादि से मुक्ति मिलती है. वहीं अधिकमास की अमावस्या पर पार्थिव शिवलिंग बनाकर हवन, रुद्राभिषेक करने से पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है. दुखो का नाश होते है, रुके हुए काम बन जाते है. लेकिन इस दिन कुछ ऐसे काम भी है जिन्हे करने से आपको बचना चाहिए. तो चलिए आपको बताते हैं कि अधिक मास की अमावस्या के दिन ऐसा क्या करें और क्या ना करें….
श्री गायत्री ज्योति संस्थान के ज्योतिर्विद पंडित वेद प्रकाश मेहता बताते हैं कि श्रावण में भगवान शिव की आराधना करने का विशेष महत्व तो है लेकिन अधिकमास की अमावस्या पर शिव आराधना करने से बहुत सारे बिगड़े काम बन जाते है, पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है.
पंडित वेद प्रकाश मेहता के अनुसार जन्म कुंडली में बहुत सारे दोष विद्यमान होते हैं, जैसे – कालसर्प दोष, राहु-केतु दोष, पितृदोष, ग्रहण दोष इत्यादिदोष होते हैं. अधिकमास की अमावस्या के दिन विधिपूर्वक पूजन करके हवन करके इन दोषों को शांत किया जा सकता है. अगर आपकी जन्म कुंडली में या आपके घर में पितृदोष से जुड़ी कोई समस्या है तो इस दिन विशेष रूप से प्रातः काल स्नान करके किसी महानदी से मिट्टी लेकर स्वयं पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करते है और पंडितो द्वारा उसका पूजन अर्चन, हवन और अभिषेक करवाने से पितृदोष दूर होता है. पितरों का तर्पण करने से भी पितृदोष शांत होता है.
इस अमावस्या के दिन दान का भी विशेष रूप से महत्व बताया गया है. यदि अमावस्या पर श्वेत वस्तुओं जैसे – चावल दूध खीर इत्यादि का यदि दान करते हैं या ब्राह्मणों और भूखों को भोजन कराते हैं तो विशेष लाभ की प्राप्ति होती है तो राहु केतु और शनि से जुड़ी समस्याएं भी दूर होंगी. बृहस्पति ग्रह भी आपके अनुकूल नहीं है, तो बृहस्पति ग्रह के लिए भी अमावस्या के दिन पिला दान करना चाहिए. इस दिन चने की दाल पीला वस्त्र स्वर्ण हल्दी हल्दी की गांठ इसका दान करते हैं और व्रत रखते है तो गुरु आपके अनुकूल होगा और आप पर गुरु की कृपा बरसेगी.
यदि विवाह में कोई बाधा आ रही है और खासतौर पर कन्याओं का विवाह शीघ्र नहीं हो रहा है, तो अमावस्या के दिन विशेष रूप से शिव और गौरी का एक साथ पूजन करें, आराधना करेंगे, तो विवाह संबंधित सभी बाधाएं भी दूर होंगी और शीघ्र विवाह के योग बनेंगे.
अधिकमास की अमावस्या के दिन ऐसे कोई काम नहीं करें जिनकी अनुमति शास्त्र नहीं देते है. खासतौर पर इस दिन बाहरी यात्राएं करने से बचें. रात्रि के समय बाहर सफर ना करें. ऐसे स्थानों पर जाने से बचे हैं जहां जाना वर्जित किया गया है.
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