Chaiti Chhath 2025: इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानें किस दिन मनाई जा रही चैती छठ? 4 दिन चलेगा ये पर्व
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Chaiti Chhath 2025 : चैती छठ न सिर्फ एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह समाज की एकता और अखंडता को बढ़ावा देने वाला महापर्व भी है. इस दिन लोग सूर्य देव और छठ माता से अपने जीवन की कठिनाइयों से उबरने और अपने परिवार की सुख-शांति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

Chaiti Chhath 2025 : चैती छठ, जिसे छठ महापर्व भी कहा जाता है, भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है. यह विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है, लेकिन अब यह पर्व देशभर में ही नहीं, विदेशों में भी बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत बड़ा है. विशेष रूप से सूर्य देव और छठ माता की पूजा के माध्यम से लोग स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं. इस पर्व का आयोजन हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में होता है और यह चार दिनों तक चलता है. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से इस वर्ष यानी 2025 में चैती छठ कब शुरू होगा और इसके महत्वपूर्ण दिन कौन से होंगे.
चैती छठ की शुरुआत और पर्व का महत्व
चैती छठ का पर्व विशेष रूप से परिवार और समाज की सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है. यह पर्व चार दिन चलता है, जिसमें पहला दिन ‘नहाय खाय’ से शुरू होता है. यह दिन व्रति अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के लिए विशेष रूप से उपवास रखते हैं और स्नान करके घर के वातावरण को स्वच्छ करते हैं. इसके बाद का दिन ‘खरना’ होता है, जिसमें व्रति 36 घंटे का निर्जला उपवास करते हैं और सूर्य देवता को प्रसन्न करने के लिए खीर और रोटी का भोग अर्पित करते हैं. तीसरे दिन ‘सूर्य को अर्घ्य देने’ का कार्य होता है, जिसमें व्रति डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं, और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर इस पर्व का समापन करते हैं.
चैती छठ का पर्व विशेष रूप से परिवार और समाज की सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है. यह पर्व चार दिन चलता है, जिसमें पहला दिन ‘नहाय खाय’ से शुरू होता है. यह दिन व्रति अपने शरीर और आत्मा को शुद्ध करने के लिए विशेष रूप से उपवास रखते हैं और स्नान करके घर के वातावरण को स्वच्छ करते हैं. इसके बाद का दिन ‘खरना’ होता है, जिसमें व्रति 36 घंटे का निर्जला उपवास करते हैं और सूर्य देवता को प्रसन्न करने के लिए खीर और रोटी का भोग अर्पित करते हैं. तीसरे दिन ‘सूर्य को अर्घ्य देने’ का कार्य होता है, जिसमें व्रति डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं, और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर इस पर्व का समापन करते हैं.
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2025 में चैती छठ के दिन और समय
इस वर्ष 2025 में चैती छठ 1 अप्रैल से शुरू हो रहा है और 4 अप्रैल तक चलेगा. चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का शुभारंभ 2 अप्रैल को रात 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 3 अप्रैल को रात 9 बजकर 41 मिनट तक रहेगी. इस पर्व के विशेष दिन इस प्रकार होंगे
इस वर्ष 2025 में चैती छठ 1 अप्रैल से शुरू हो रहा है और 4 अप्रैल तक चलेगा. चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का शुभारंभ 2 अप्रैल को रात 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 3 अप्रैल को रात 9 बजकर 41 मिनट तक रहेगी. इस पर्व के विशेष दिन इस प्रकार होंगे
1. 1 अप्रैल 2025 – नहाय खाय
2. 2 अप्रैल 2025 – खरना
3. 3 अप्रैल 2025 – डूबते सूर्य को अर्घ्य
4. 4 अप्रैल 2025 – उगते सूर्य को अर्घ्य
2. 2 अप्रैल 2025 – खरना
3. 3 अप्रैल 2025 – डूबते सूर्य को अर्घ्य
4. 4 अप्रैल 2025 – उगते सूर्य को अर्घ्य
इन चार दिनों में व्रति सूर्य देव और छठ माता की पूजा अर्चना करके अपनी जीवन की हर मुश्किल को दूर करने की कामना करते हैं. इस दौरान व्रति पूरे मनोयोग से उपवास रखते हैं और सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं.
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चैती छठ का समाज में प्रभाव
चैती छठ सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है. यह पर्व लोगों को एक साथ लाता है, जहां परिवार, रिश्तेदार और समुदाय के लोग मिलकर इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं. छठ पूजा के दौरान एक तरह से लोग अपने व्यक्तिगत संघर्षों को छोड़कर भगवान से सामूहिक रूप से आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं. यह पर्व आस्था, विश्वास और समर्पण का प्रतीक बनकर उभरता है.
चैती छठ सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है. यह पर्व लोगों को एक साथ लाता है, जहां परिवार, रिश्तेदार और समुदाय के लोग मिलकर इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं. छठ पूजा के दौरान एक तरह से लोग अपने व्यक्तिगत संघर्षों को छोड़कर भगवान से सामूहिक रूप से आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं. यह पर्व आस्था, विश्वास और समर्पण का प्रतीक बनकर उभरता है.
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