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Chaitra Navratri 2025 Kanya Puja: चैत्र नवरात्रि पर कन्या पूजा कैसे करें? जानें मुहूर्त, पूजन विधि, सामग्री, नियम और महत्व

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Chaitra Navratri 2025 Kanya Puja Vidhi: इस साल चैत्र नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी आज शनिवार और महा नवमी 6 अप्रैल दिन रविवार को है. दुर्गा अष्टमी और महा नवमी को पूजा के बाद आप कन्या पूजा कर सकते हैं. अष्टमी पूजा के बाद कन्याओं और एक बालक को अपने घर पर आमंत्रित करें. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कन्या पूजा विधि, मुहूर्त, सामग्री और नियम है. अष्टमी तिथि 4 अप्रैल, रात 8:12 बजे से 5 अप्रैल, शाम 7:26 बजे तक है.

चैत्र नवरात्रि: कन्या पूजा कैसे करें? जानें मुहूर्त, पूजन विधि, सामग्री, नियमचैत्र नवरात्रि 2025: कन्या पूजा विधि और मुहूर्त.
Chaitra Navratri 2025 Kanya Puja Vidhi: चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजा करने का विधान है. नवरात्रि में कन्या पूजा दुर्गा अष्टमी और महा नवमी को करते हैं. इस साल चैत्र नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी आज 5 अप्रैल दिन शनिवार और महा नवमी 6 अप्रैल दिन रविवार को है. दुर्गा अष्टमी और महा नवमी को पूजा के बाद आप कन्या पूजा कर सकते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानते हैं, इस वजह से नवरात्रि में कन्या पूजन करके देवी का आशीर्वा प्राप्त करते हैं. कन्या रुपी देवी के आशीर्वाद से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कन्या पूजा विधि, मुहूर्त, सामग्री और नियम है.

चैत्र नवरात्रि 2025 कन्या पूजा मुहूर्त
1. दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजा मुहूर्त
चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि: 4 अप्रैल, रात 8:12 बजे से 5 अप्रैल, शाम 7:26 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:59 ए एम से 12:49 पी एम तक
दुर्गा अष्टमी पर सुबह में पूजन के बाद कन्या पूजा करें.
राहुकाल 09:15 ए एम से 10:50 ए एम तक है, इसमें कन्या पूजा न करें तो अच्छा है. उसके बाद अभिजीत मुहूर्त अच्छा है.

2. महा नवमी पर कन्या पूजा मुहूर्त
चैत्र शुक्ल नवमी: 5 अप्रैल, शाम 7:26 बजे से 6 अप्रैल, शाम 7:22 बजे तक
रवि पुष्य योग: पूरे दिन
रवि योग: पूरे दिन
सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन
अभिजीत मुहूर्त: 11:58 ए एम से 12:49 पी एम तक
महा नवमी के दिन आप पूजा के बाद कन्या पूजन करें. पूरे दिन 3 शुभ योग बने हैं.
राहुकाल: 05:07 पी एम से 06:42 पी एम तक, इसमें कन्या पूजा से परहेज करें.
ये भी पढ़ें: दुर्गा अष्टमी कब है? जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, महा गौरी पूजन मंत्र, भोग और महत्व

कन्या पूजा सामग्री
लाल चुनरी, रोली, चंदन, नारियल, स्टील के प्लेट, अक्षत्, फूल, माला, उपहार देने के लिए वस्तुएं, दक्षिणा के रुपए में कुछ रुपए, फल, मिठाई, खीर, पुड़ी, हलवा और काले चने.
कन्या पूजा की विधि
1. अष्टमी या महा नवमी की पूजा के बाद कन्याओं और एक बालक को अपने घर पर आमंत्रित करें.
2. कन्या आगमन पर उनका फूल, माला आदि से स्वागत करें. उनको बैठने के लिए आसन दें.
3. कन्याओं और एक बालक को पूजन के लिए आसन पर बैठाएं. पानी से उनके पांव पखारें और तौलिया से पोछें.
4. उसके बाद उनको अक्षत्, रोली या चंदन लगाएं. फूल और माला से सुशोभित करें.
5. उनके भोजन के लिए मिठाई, फल, पुड़ी, सब्जी, खीर, हलवा, काले चने आदि परोसें. उसके बाद उनको भोजन ग्रहण करने के लिए निवदेन करें.
6. भोजन करने के बाद कन्याओं को उपहार और दक्षिणा दें. फिर उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें.
7. उसके बाद खुशी-खुशी उनको विदा करें और अगले साल फिर आने को कहें.

कन्या पूजा के नियम
1. कन्या पूजा में आप 1 से लेकर 9 तक की संख्या में कन्याओं की पूजा कर सकते हैं.
2. पूजा के लिए कन्याओं की उम्र 2 साल से 10 साल तक हो सकती है.
3. कन्या के साथ एक बालक की भी पूजा करते है. कुछ लोग उनको बाल भैरव का रूप मानते हैं, तो कुछ उनको हनुमान जी का रूप मानते हैं.
4. कन्याओं को दक्षिणा जरूर दें, इससे आपकी पूजा फलित होगी.
5. कन्या पूजा के लिए 2 से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को आमंत्रित कर सकते हैं.

कन्या पूजा का महत्व
नवरात्रि के समय में कन्या पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, आरोग्य की प्राप्ति होती है. वाद विवाद में सफलता और शत्रुओं पर जीत हासिल होती है. कन्या पूजा में आप जितनी कन्याओं की पूजा करते हैं, उसके अनुसार फल प्राप्त होता है.

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कार्तिकेय तिवारी
कार्तिकेय तिवारी Hindi News18 Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक...और पढ़ें
कार्तिकेय तिवारी Hindi News18 Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक... और पढ़ें
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