चैत्र नवरात्रि कल से, पहले दिन होगी मां शैलपुत्री की पूजा, जानें उपासना विधि, क्या लगाएं भोग, कौन-सा पढ़ें मंत्र
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आचार्य पंकज सवारियां ने Local18 को बताया कि मां शैलपुत्री के पूजन से व्यक्ति निरोगी रहता है, आपदामुक्त रहता है, व्यक्ति के मान-सम्मान, धन, वैभव, यश में वृद्धि होती है.
विकाश पाण्डेय/सतना: सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है. कल यानी 9 अप्रैल से नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी. नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा का विधान है. प्रथम दिन माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है. आचार्य पंकज सवारियां ने Local18 को बताया कि मां शैलपुत्री के पूजन से व्यक्ति निरोगी रहता है, आपदामुक्त रहता है, व्यक्ति के मान-सम्मान, धन, वैभव और यश में वृद्धि होती है.
मां शैलपुत्री का सुंदर स्वरूप
मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं. वह वृषभ पर सवार होती हैं. वह दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प धारण करती हैं. मान्यता है कि इनके पूजन से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. इनकी उपासना चंद्रमा के बुरे प्रभाव को दूर करती है.
मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं. वह वृषभ पर सवार होती हैं. वह दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प धारण करती हैं. मान्यता है कि इनके पूजन से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. इनकी उपासना चंद्रमा के बुरे प्रभाव को दूर करती है.
पूजन सामग्री और भोग
चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की आराधना होती है. घटस्थापना के बाद इनका स्मरण करें और इनके पूजन का संकल्प लें. माता शैलपुत्री को श्वेत वस्त्र अतिप्रिय हैं. मां को लाल, श्वेत सहित ऋतु पुष्प जैसे कनेर का फूल अतिप्रिय हैं. मां के पूजन में बेलपत्र का विशेष महत्व है. इनके अलावा धूप, दीप, अक्षत, फल आदि से माता को प्रसन्न किया जा सकता है.
चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की आराधना होती है. घटस्थापना के बाद इनका स्मरण करें और इनके पूजन का संकल्प लें. माता शैलपुत्री को श्वेत वस्त्र अतिप्रिय हैं. मां को लाल, श्वेत सहित ऋतु पुष्प जैसे कनेर का फूल अतिप्रिय हैं. मां के पूजन में बेलपत्र का विशेष महत्व है. इनके अलावा धूप, दीप, अक्षत, फल आदि से माता को प्रसन्न किया जा सकता है.
मां शैलपुत्री का आह्वान मंत्र
1- हे नगजाये नमः हे शिवा प्रियाये नमः मूल रुपाये नमः
2- ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नम:
वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्॥
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
3- या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
1- हे नगजाये नमः हे शिवा प्रियाये नमः मूल रुपाये नमः
2- ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नम:
वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्॥
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
3- या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा
सबसे पहले मंत्र उच्चारण के साथ मां का आह्वान करें. पुष्प अक्षत, वस्त्र अर्पित करें और कथा पढ़ें. घी और गाय के दूध से बने खाद्यों का भोग लगाएं. मां को कंदमूल फल अत्यंत प्रिय हैं. इसके बाद मां शैलपुत्री की दीप और कपूर से आरती करें. आरती पूर्ण होने के बाद अनजाने में हुई संपूर्ण गलतियों के लिए हाथ जोड़कर क्षमा मांगें और मां से आशीर्वाद मांगें और मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करें.
सबसे पहले मंत्र उच्चारण के साथ मां का आह्वान करें. पुष्प अक्षत, वस्त्र अर्पित करें और कथा पढ़ें. घी और गाय के दूध से बने खाद्यों का भोग लगाएं. मां को कंदमूल फल अत्यंत प्रिय हैं. इसके बाद मां शैलपुत्री की दीप और कपूर से आरती करें. आरती पूर्ण होने के बाद अनजाने में हुई संपूर्ण गलतियों के लिए हाथ जोड़कर क्षमा मांगें और मां से आशीर्वाद मांगें और मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करें.
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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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