Gangajal Facts: महाकुंभ में जा रहे उत्तरप्रदेश, तो इस शहर से भूलकर भी न लाएं गंगाजल, वरना लग सकता महापाप
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उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में इस समय महाकुंभ लगा हुआ है. वहीं देश-दुनिया से लोग महाकुंभ में आ रहे हैं और कई लोग प्रयाग के आसपास के प्रसिद्ध शहरों में घूमने जाते हैं. क्योंकि उत्तर प्रदेश में कई तीर्थस्थल भी मौजूद हैं.

Banaras Gangajal Facts: भगवान शिव की नगरी बनारस को मोक्ष की नगरी कहा जाता है. काशी बनारस शहर का प्राचीन नाम है. पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवान शिव ने स्वयं इस नगरी की स्थापना की थी. इसलिए इसे दुनिया का सबसे प्राचीनतम शहर कहा जाता है, जो कि शिव जी के त्रिशूल की नोक पर टिका हुआ है. वहीं, कहा जाता है कि यहां से दो चीजें कभी भी नहीं लानी चाहिए. अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे पाप ही नहीं महापाप लगता है. तो आइए पंडित रमाकांत मिश्रा से जानते हैं कौन सी हैं वो चीजें जो बनारस से नहीं लाना चाहिए.
मान्यताओं के अनुसार, पवित्र नगरी बनारस से कभी भी गंगाजल और मिट्टी को घर लेकर नहीं आना चाहिए, इसे वर्जित माना जाता है. कहा जाता है कि जो ऐसा करता है वो महापाप का भागी बन जाता है. तो आइए जानते हैं, क्या है इस मान्यता का कारण.
जीवन-मरण के चक्र से मिलता है छुटकारा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मोक्ष नगरी काशी में जो भी जीव, जंतु और मानव अपने प्राण त्यागते हैं वो फिर संसार के इस जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा मिलता है. तभी आजकल बनारस में कई अनेकों मोक्ष आश्रम बने हुए हैं. इन आश्रमों में लोग अपने जीवन के आखिरी समय में यहां आकर ठहरते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मोक्ष नगरी काशी में जो भी जीव, जंतु और मानव अपने प्राण त्यागते हैं वो फिर संसार के इस जन्म-मरण के चक्र से छुटकारा मिलता है. तभी आजकल बनारस में कई अनेकों मोक्ष आश्रम बने हुए हैं. इन आश्रमों में लोग अपने जीवन के आखिरी समय में यहां आकर ठहरते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं.
काशी नगरी में आने से पुण्य प्राप्ति होती है
सनातन धर्म में मान्यता है कि जब किसी जीव को काशी आने के लिए कोई प्रेरित करता है तो उस व्यक्ति को पुण्य प्राप्ती होती है. इसलिए कहा जाता है कि किसी जीव को अगर इस शहर से दूर रखा जाता है तो व्यक्ति पाप का भागी माना जाता है. ऐसे में अगर हम बनारस से गंगाजल या बनारस की मिट्टी लेकर आते हैं तो उनमें मौजूद जीव-जंतु शिव नगरी से दूर हो जाते हैं.
सनातन धर्म में मान्यता है कि जब किसी जीव को काशी आने के लिए कोई प्रेरित करता है तो उस व्यक्ति को पुण्य प्राप्ती होती है. इसलिए कहा जाता है कि किसी जीव को अगर इस शहर से दूर रखा जाता है तो व्यक्ति पाप का भागी माना जाता है. ऐसे में अगर हम बनारस से गंगाजल या बनारस की मिट्टी लेकर आते हैं तो उनमें मौजूद जीव-जंतु शिव नगरी से दूर हो जाते हैं.
कहा जाता है कि अगर किसी कोई भी व्यक्ति काशी से किसी जीव की मृत्यु और पुनर्जन्म का चक्र बाधित होता है, तो इस बात का जिम्मेदार वह खुद होता है. काशी के जीवमात्र को उनके मोक्ष के इस अधिकार से वंचित करना महापाप माना जाता है.
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बनारस से गंगाजल ना लाने का एक कारण ये भी है
मान्यताओं के अनुसार, वहां का गंगाजल घर इसलिए भी नहीं लाया जाता, क्योंकि काशी के घाट पर किसी ना किसी का देह संस्कार होता रहता है. फिर उसकी राख को गंगा में विसर्जित किया जाता है. तो काशी से गंगाजर ले जाने पर उस पानी में मृत व्यक्ति के अंग या अंश, राख या अवशेष आ जाते हैं. इससे भी उसके मोक्ष पाने में बाधा आ सकती है.
मान्यताओं के अनुसार, वहां का गंगाजल घर इसलिए भी नहीं लाया जाता, क्योंकि काशी के घाट पर किसी ना किसी का देह संस्कार होता रहता है. फिर उसकी राख को गंगा में विसर्जित किया जाता है. तो काशी से गंगाजर ले जाने पर उस पानी में मृत व्यक्ति के अंग या अंश, राख या अवशेष आ जाते हैं. इससे भी उसके मोक्ष पाने में बाधा आ सकती है.
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