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हिन्दू नववर्ष पर महाकाल का होगा नीम के जल से स्नान स्नान, मुख्य शिखर पर लहराएगा नया ध्वज, जानें महत्व

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Gudi Padwa 2025: उज्जैन के महाकाल मंदिर में 30 मार्च 2025 को गुड़ी पड़वा पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा. इस दिन बाबा की नीम के जल से स्नान होगा और नया ध्वज चढ़ेगा.

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उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है. अवंतिका नगरी में कण-कण में शिव का वास है. इसी कड़ी में महाकाल मंदिर में सभी पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाने की परंपरा बरसों से चली आ रही है. ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 30 मार्च 2025 को गुड़ी पड़वा पर ध्वज चढ़ेगा. पुजारी कोटितीर्थ कुंड पर सूर्य को अर्घ्य देकर नवसंवत्सर का स्वागत करेंगे. इसके बाद महाकाल को नीम के जल से स्नान करा कर पंचांमत पूजन अभिषेक किया जाएगा.

पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर की एक परंपरा है, जिसका समय-समय पर पालन किया जाता है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर 30 मार्च से हिन्दू नववर्ष का शुभारम्भ होने जा रहा है. चैत्र मास ऋतु परिवर्तन का होता है. इस माह में ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है. इसके प्रभाव से वात, कफ, पित्त की वृद्धि होती है. इससे अनेक रोग जन्म लेते हैं. वात, कफ, पित्त के निदान के लिए नीम के सेवन का महत्व है. आयुर्वेद में भी नीम मिश्री के सेवन को अमृत तुल्य बताया गया है. नीम के जल से स्नान करने से त्वचा के रोग समाप्त होते हैं. इसलिए ज्योतिर्लिंग की परंपरा में अखिल विश्व को समय का बोध, तिथि के महत्व तथा आयुर्वेद के माध्यम से निरोगी रहने का संदेश दिया जाता है.
सृष्टि के आरंभ का दिन है प्रतिपदा
महाकाल मंदिर के पुजारी महेश गुरु ने बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सृष्टि के आरंभ का दिन है. भगवान महाकाल तीनों लोकों के स्वामी हैं. हर तीज-त्योहार, उत्सव की शुरुआत महाकाल के आंगन से होती है. प्रतिपदा गुड़ी पड़वा पर पुजारी-पुरोहितों द्वारा भगवान को नीम-मिश्री के शरबत का भोग लगाया जाएगा. इसके बाद श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण किया जाएगा. महाकाल मंदिर में मंदिर के शिखर पर नया ध्वज लगाया जाएगा.

महाकाल क़ो केसरिया श्रीखंड व पूरनपोली का लगेगा भोग
सुबह 7.30 बजे होने वाली बालभोग आरती के बाद मंदिर के शिखर पर नया ध्वज फहराया जाएगा. वहीं नैवेद्य कक्ष में गुड़ी आरोहण कर पूजा अर्चना की जाएगी. सुबह 10.30 बजे भोग आरती में भगवान को केसरिया श्रीखंड व पूरनपोली का भोग लगाया जाएगा. साथ ही चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नए पंचांग की शुरुआत होती है. मंदिर की पूजन परंपरा तथा तीज त्यौहार ग्वालियर के पंचांग अनुसार मनाए जाते हैं. गुड़ी पड़वा पर नए पंचांग के पूजन की भी परंपरा है.

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Anuj Singh
Anuj Singh serves as a Content Producer for Local 18 at News18, bringing over one years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology.He has worked as...और पढ़ें
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