व्यक्ति को अभिमानी बना देता है कर्कोटक कालसर्प दोष, जीवन में झेलनी पड़ती हैं कई परेशानियां भी, ये उपाय दिलाएंगे राहत
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Karkotak Kalsarp Dosh: कालसर्प दोष को सबसे अशुभ दोषों में से एक माना जाता है. ये 12 प्रकार के होते हैं जिनमें सभी का अलग-अलग प्रभाव होता है.

Karkotak Kalsarp Dosh: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब राहु-केतु के बीच सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है. जिसके कारण सपने में कई बार लगातार सांप दिखाई देते हैं, जीवन में लगातार बाधाएं आने लगती है. बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि कालसर्प दोष 12 तरह के होते हैं. व्यक्ति के जीवन पर इन सभी का प्रभाव अलग-अलग दिखाई देता है. इस सीरीज में हमें तीर्थ नगरी सोरों के शूकर क्षेत्र फाउंडेशन के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य और वास्तु विशेषज्ञ डॉ गौरव कुमार दीक्षित बताएंगे 12 अलग-अलग कालसर्प दोष के बारे में विस्तार से. साथ ही जानेंगे इससे जुड़े कुछ खास उपाय भी. आज के इस आर्टिकल में सबसे पहले बात करेंगे कर्कोटक कालसर्प दोष की जो इस सीरीज में सबसे पहले नंबर पर आता है.
कैसे बनता है कर्कोटक कालसर्प दोष?
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु होता है तो कर्कोटिक कालसर्प योग का निर्माण होता है.
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु होता है तो कर्कोटिक कालसर्प योग का निर्माण होता है.
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कैसा होता है स्वभाव?
इस योग से प्रभावित होने पर व्यक्ति क्रोधी, अभिमानी और स्वार्थी होता है. जिसके कारण विवाह के बाद उसका पति के साथ सामंजस्य नहीं बैठ पाता. इस दोष के कारण जातक अपने कार्यक्षेत्र में रुकावटें खड़ी कर लेते हैं.
इस योग से प्रभावित होने पर व्यक्ति क्रोधी, अभिमानी और स्वार्थी होता है. जिसके कारण विवाह के बाद उसका पति के साथ सामंजस्य नहीं बैठ पाता. इस दोष के कारण जातक अपने कार्यक्षेत्र में रुकावटें खड़ी कर लेते हैं.
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कार्कोटक कालसर्प दोष के उपाय
कर्कोटक कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए बटुकभैरव के मंदिर में जाकर विधि-विधान से पूजा करें और दही-गुड़ का भोग लगाएं.
इसके अलावा हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और 5 मंगलवार का व्रत करें.
साथ ही हनुमान जी को चमेली के तेल में बना हुआ सिंदूर और बूंदी के लड्डू चढ़ाएं.
कर्कोटक कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए बटुकभैरव के मंदिर में जाकर विधि-विधान से पूजा करें और दही-गुड़ का भोग लगाएं.
इसके अलावा हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और 5 मंगलवार का व्रत करें.
साथ ही हनुमान जी को चमेली के तेल में बना हुआ सिंदूर और बूंदी के लड्डू चढ़ाएं.
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