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सोमवार का व्रत रखते समय रहें सावधान, भूलकर भी न करें ये काम

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सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव की पूजा की जाए तो वे अपने भक्तों पर कभी कोई संकट नहीं आने देते हैं. भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देव माने जाते हैं जो भक्तों की भक्ति से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. वैसे तो भोलेनाथ की पूजा के लिए कोई विशेष विधि-विधान नहीं है. परंतु कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

सोमवार का व्रत रखते समय रहें सावधान, भूलकर भी न करें ये कामभगवान शिव को चंदन का तिलक लगाना चाहिए. (Image- Shutterstock)
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवार के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा और व्रत (Somvar Vrat) करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मन चाहा आशीर्वाद प्रदान करते हैं. कहते हैं भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं लेकिन यदि उनकी पूजा और व्रत विधि-विधान से नहीं किया जाए तो भगवान शिव नाराज भी हो सकते हैं.

वैसे तो भोलेनाथ की पूजा के लिए कोई विशेष विधि-विधान नहीं है, परंतु कुछ बातें ऐसी हैं जो भगवान शिव के व्रत के दौरान हर भक्त को ध्यान रखनी चाहिए. वे कौन सी बातें हैं जिन्हें सोमवार के व्रत के दौरान ध्यान रखना चाहिए इस बारे में हमें भोपाल के रहने वाले पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ज्योतिष ने बताया. आइए जानते हैं…

भगवान शिव की पूजा में न करें ये गलती
भगवान शिव के भक्त हर सोमवार उनका अभिषेक करते हैं. अभिषेक के दौरान इस बात का खास ध्यान रखें कि उन्हें दही, शहद और अभिषेक में चढ़ाई जाने वाली वस्तु अर्पित करने के बाद अंत में जल से जरूर स्नान कराएं या फिर साफ करें तभी आपका अभिषेक पूरा माना जाएगा.
शिवलिंग का अभिषेक करने से पहले हमेशा ध्यान रखें कि उनको अर्पित करने वाला दूध तांबे के पात्र में न रखें. इससे दूध संक्रमित हो जाता है. जो भगवान शिव पर अर्पित करने योग्य नहीं होता. अभिषेक वाला दूध हमेशा पीतल, चांदी या स्टील के पात्र में रखें.
पूजा करते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि शिवलिंग के आसपास धूप या अगरबत्ती न लगाएं. पुराणों के अनुसार भगवान शिव को जितना शीतल रखा जाता है वे उतना ही प्रसन्न होते हैं. इसलिए धूप और अगरबत्ती हमेशा भगवान शिव से थोड़ी दूरी पर ही रखें.
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को कभी भी रोली या सिंदूर का तिलक ना लगाएं. भोलेनाथ को हमेशा चंदन का तिलक लगाएं. इसके अलावा जब भी उनका अभिषेक करें उस दूध में जल जरूर मिलाएं. बिना जल मिले दूध से भगवान शिव का अभिषेक नहीं करें.
कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा ना करें. जिस स्थान से दूध निर्गम का रास्ता है वहीं पर रुक जाएं और वापस घूम जाएं. इन सभी बातों का ध्यान रखेंगे तो भगवान शिव अपने भक्तों से कभी नाराज नहीं होंगे.
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