Shardiya Navratri 2023: इन 5 काम के बिना अधूरी है नवरात्रि, नहीं मिलेगा मां दुर्गा का आशीर्वाद, व्रत भी हो जाएगा निष्फल
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durga puja mein jarur kare ye 5 kaam: 15 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू है. आपको जानना चाहिए कि ऐसे 5 काम हैं, जिनके बिना नवरात्रि अधूरी होती है. जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि में कौन से 5 काम करने चाहिए, जिससे मां दुर्गा प्रसन्न हों और व्रत-पूजा भी सफल हो.
शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि विधान से पूजा करते हैं.Durga puja mein jarur kare ye 5 kaam: 15 अक्टूबर को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत होने वाली है. इसमें मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. लोक मान्यता है कि नवरात्रि में व्रत रखने और दुर्गा पूजा करने से मातारानी का आशीर्वाद मिलता है, साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. लेकिन आपको जानना चाहिए कि ऐसे 5 काम हैं, जिनके बिना नवरात्रि अधूरी होती है, मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त नहीं हो सकता है और न ही आपका किया गया व्रत फलित होगा. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि में कौन से 5 काम करने चाहिए, जिससे मां दुर्गा प्रसन्न हों और व्रत-पूजा भी सफल हो.
शारदीय नवरात्रि में जरूरी करें ये 5 काम
1. दुर्गा आह्वान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा नवरात्रि के प्रथम दिन कैलाश से अपने वाहन पर सवार होकर परिवार के साथ धरती पर आती हैं. यदि आप नवरात्रि का व्रत रखते हैं तो आपको पूजा से पूर्व मां दुर्गा का आह्वान करना चाहिए, उनका स्वागत करना चाहिए. आह्वान का अर्थ है कि आप किसी विशेष सिद्धि या उद्देश्य से मातारानी को अपने यहां बुला रहे हैं. उनको आने का निमंत्रण दे रहे हैं. कहा जाता है कि बिना निमंत्रण के किसी के घर नहीं जाना चाहिए.
1. दुर्गा आह्वान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा नवरात्रि के प्रथम दिन कैलाश से अपने वाहन पर सवार होकर परिवार के साथ धरती पर आती हैं. यदि आप नवरात्रि का व्रत रखते हैं तो आपको पूजा से पूर्व मां दुर्गा का आह्वान करना चाहिए, उनका स्वागत करना चाहिए. आह्वान का अर्थ है कि आप किसी विशेष सिद्धि या उद्देश्य से मातारानी को अपने यहां बुला रहे हैं. उनको आने का निमंत्रण दे रहे हैं. कहा जाता है कि बिना निमंत्रण के किसी के घर नहीं जाना चाहिए.
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2. कलश स्थापना
यदि आप 9 दिन का व्रत रखते हैं या पहले और अष्टमी का व्रत रखते हैं तो आपको कलश स्थापना करनी चाहिए. देवी पुराण के अनुसार, मां भगवती की पूजा से पहले कलश स्थापना जरूरी है. पूजा के समय कलश को देवी की शक्ति और तीर्थस्थान के प्रतीक के रूप में स्थापित करते हैं. कलश को वैभव, सुख-समृद्धि आदि का प्रतीक मानते हैं. कलश में ब्रह्मा, विष्णु, शिव और दैवीय मातृ शक्तियों का वास होता है.
यदि आप 9 दिन का व्रत रखते हैं या पहले और अष्टमी का व्रत रखते हैं तो आपको कलश स्थापना करनी चाहिए. देवी पुराण के अनुसार, मां भगवती की पूजा से पहले कलश स्थापना जरूरी है. पूजा के समय कलश को देवी की शक्ति और तीर्थस्थान के प्रतीक के रूप में स्थापित करते हैं. कलश को वैभव, सुख-समृद्धि आदि का प्रतीक मानते हैं. कलश में ब्रह्मा, विष्णु, शिव और दैवीय मातृ शक्तियों का वास होता है.
3. कन्या पूजा
कन्या पूजा के बिना नवरात्रि अपूर्ण मानी जाती है. दुर्गा अष्टमी और महानवमी के दिन कन्या पूजा करते हैं. कन्याओं को माता दुर्गा का स्वरूप मानते हैं. इस वजह से नवरात्रि में 1 से लेकर 9 कन्याओं की पूजा कर सकते हैं. इसमें आप 2 साल से 10 साल तक की कन्याओं को शामिल कर सकते हैं. कन्या पूजा करने से सभी प्रकार के सुख, वैभव, समृद्धि की प्राप्ति होती है.
कन्या पूजा के बिना नवरात्रि अपूर्ण मानी जाती है. दुर्गा अष्टमी और महानवमी के दिन कन्या पूजा करते हैं. कन्याओं को माता दुर्गा का स्वरूप मानते हैं. इस वजह से नवरात्रि में 1 से लेकर 9 कन्याओं की पूजा कर सकते हैं. इसमें आप 2 साल से 10 साल तक की कन्याओं को शामिल कर सकते हैं. कन्या पूजा करने से सभी प्रकार के सुख, वैभव, समृद्धि की प्राप्ति होती है.
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4. नवरात्रि हवन
नवरात्रि में हवन का भी महत्व है. इसके बिना पूजा पूर्ण नहीं होगी. हवन के समय आप जिन सामग्री से आहुति देते हैं, वे नवग्रह, देवी और देवताओं को प्राप्त होते हैं. उससे प्रसन्न होकर वे आपके उद्देश्य की पूर्ति में सहायक होते हैं. हवन करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.
नवरात्रि में हवन का भी महत्व है. इसके बिना पूजा पूर्ण नहीं होगी. हवन के समय आप जिन सामग्री से आहुति देते हैं, वे नवग्रह, देवी और देवताओं को प्राप्त होते हैं. उससे प्रसन्न होकर वे आपके उद्देश्य की पूर्ति में सहायक होते हैं. हवन करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.
5. नारी का सम्मान
नवरात्रि में मां दुर्गा और कन्या की पूजा करते हैं. मां दुर्गा स्वयं आदिशक्ति हैं, वही प्रकृति हैं, उनसे ही इस पूरी सृष्टि का सृजन है. वे ही प्राण वायु हैं. उनसे ही शिव पूर्ण होते हैं, तभी तो शिव-शक्ति की परिकल्पना साकार होती है. वे अर्द्धनारीश्वर कहलाते हैं. नवरात्रि नारी के सम्मान का पर्व है. यदि आप मां, बहन, पत्नी, बेटी या अन्य महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं तो नवरात्रि का व्रत और दुर्गा पूजा आपके लिए फलित नहीं होगा.
नवरात्रि में मां दुर्गा और कन्या की पूजा करते हैं. मां दुर्गा स्वयं आदिशक्ति हैं, वही प्रकृति हैं, उनसे ही इस पूरी सृष्टि का सृजन है. वे ही प्राण वायु हैं. उनसे ही शिव पूर्ण होते हैं, तभी तो शिव-शक्ति की परिकल्पना साकार होती है. वे अर्द्धनारीश्वर कहलाते हैं. नवरात्रि नारी के सम्मान का पर्व है. यदि आप मां, बहन, पत्नी, बेटी या अन्य महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं तो नवरात्रि का व्रत और दुर्गा पूजा आपके लिए फलित नहीं होगा.
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कार्तिकेय तिवारी
कार्तिकेय तिवारी Hindi News18 Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक...और पढ़ें
कार्तिकेय तिवारी Hindi News18 Digital में Deputy News Editor के पद पर कार्यरत हैं. वर्तमान में धर्म, ज्योतिष, वास्तु और फेंगशुई से जुड़ी खबरों पर काम करते हैं. पत्रकारिता में 12 वर्षों का अनुभव है. डिजिटल पत्रक... और पढ़ें
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