Krishna Janmashtami 2023: कब है जन्माष्टमी और अष्टमी व्रत? शुभ मुहूर्त भी जानें
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Shri Krishna Janmashtami: पंडित जी कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र के प्रवेश के बाद मध्य रात्रि को लगभग 12:06 बजे हुआ था. तब से ही भगवान कृष्ण का जन्म महोत्सव रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता हैं.
विक्रम कुमार झा, पूर्णिया. इस बार 6 सितंबर की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. 6 तारीख की रात्रि 8:06 बजे के बाद अष्टमी का प्रवेश हो जाएगा, जो कि 7 सितंबर को 7:59 तक रहेगा. इसलिए भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव 6 सितंबर को ही मनाया जाएगा. इस दिन लोग भगवान को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं. हालांकि व्रतियों में अभी अष्टमी व्रत को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. खासतौर से महिलाओं को एक-दूसरे से पूछते हुए सुना जा सकता है कि कब और कैसे अष्टमी का व्रत करें. तो चलिए हम पूरी जानकारी दे देते हैं.
पूर्णिया के पंडित मनोत्पल झा कहते हैं कि इस बार भगवान कृष्ण का 5250वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा. इस दिन बड़ी संख्या में लोग व्रत रखते हैं.
भाद्र मास कृष्ण पक्ष को मनाया जाता है जन्माष्टमी व्रत
पंडित झा कहते हैं कि जन्मोत्सव व्रत और अष्टमी व्रत अलग-अलग है. वे कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव व्रत के दौरान सबसे पहले बाल गोपाल की पूजा की जाती है. जो माताएं या बहन अष्टमी का व्रत करेंगी, उन्हें अगले दिन 7 सितंबर को अष्टमी का व्रत करना होगा. पंडित जी ने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी व्रत अष्टमी तिथि को मनाया जाएगा. यह व्रत हर साल भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है.
निशा रात्रि के समय में हुआ था जन्म
पंडित जी कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र के प्रवेश के बाद मध्य रात्रि को लगभग 12:06 बजे हुआ था. तब से ही भगवान कृष्ण का जन्म महोत्सव रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता हैं. पंडित जी कहते हैं जो मूर्ति की स्थापना करते हैं या पूजा-पाठ करते हैं तो वैसे लोगों को 6 सितंबर को ही व्रत रखना होगा. हालांकि उन्होंने कहा कि जो महिलाएं जन्माष्टमी का अष्टमी का व्रत करती हैं, उन महिलाओं को अगले दिन 7 सितंबर को अष्टमी का व्रत करना होगा.
भाद्र मास कृष्ण पक्ष को मनाया जाता है जन्माष्टमी व्रत
पंडित झा कहते हैं कि जन्मोत्सव व्रत और अष्टमी व्रत अलग-अलग है. वे कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव व्रत के दौरान सबसे पहले बाल गोपाल की पूजा की जाती है. जो माताएं या बहन अष्टमी का व्रत करेंगी, उन्हें अगले दिन 7 सितंबर को अष्टमी का व्रत करना होगा. पंडित जी ने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी व्रत अष्टमी तिथि को मनाया जाएगा. यह व्रत हर साल भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है.
निशा रात्रि के समय में हुआ था जन्म
पंडित जी कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र के प्रवेश के बाद मध्य रात्रि को लगभग 12:06 बजे हुआ था. तब से ही भगवान कृष्ण का जन्म महोत्सव रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता हैं. पंडित जी कहते हैं जो मूर्ति की स्थापना करते हैं या पूजा-पाठ करते हैं तो वैसे लोगों को 6 सितंबर को ही व्रत रखना होगा. हालांकि उन्होंने कहा कि जो महिलाएं जन्माष्टमी का अष्टमी का व्रत करती हैं, उन महिलाओं को अगले दिन 7 सितंबर को अष्टमी का व्रत करना होगा.
8 सितंबर को सूर्योदय के बाद सुबह पारण कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में फूल, तुलसी, दूब, माखन, मिश्री सहित पालना से पूजा करने पर निश्चित ही मनोकामना पूर्ण होगी.
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