हनुमानजी का ऐसा मंदिर...जहां स्वत: प्रकट हुआ था बजरंगबली का स्वरूप! जानें महिमा
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Agency:News18 Himachal Pradesh
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कुरुक्षेत्र में श्री दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है. क्योंकि हनुमान जी ने भगवान श्रीराम के सारे काज दक्षिण दिशा में जाकर ही संवारे थे, उन्होंने सीता माता की खोज दक्षिण दिशा में जाकर की और फिर लंका का दहन भी इसी दिशा में किया.
अशोक यादव/कुरुक्षेत्र: सनातन धर्म में कुरुक्षेत्र का विशेष महत्व है. यह वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, जहां महाभारत का युद्ध लड़ा गया था. आज हजारों श्रद्धालु हर दिन यहां के मंदिरों, तीर्थस्थलों के दर्शन के लिए आते हैं. धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में वैसे तो हजारों मंदिर हैं. लेकिन आज हम आपको ऐसे हनुमान मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपने आप में विशेष महत्व रखता है. यह दक्षिण मुखी हनुमानजी का मंदिर है, जो विश्व विख्यात ब्रह्मसरोवर के तट पर स्थित है.
माना जाता है कि श्री दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर में हनुमान जी का स्वरूप स्वतः प्रकट हुआ है. इस मंदिर की खास बात है कि यह मंदिर दक्षिण मुखी है. मुख्य पुजारी हिमांशु शर्मा ने बताया कि ब्रह्मसरोवर तट पर स्थित श्री दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर की बड़ी महिमा है. इस मंदिर को काफी प्राचीन माना जाता है. दक्षिण मुखी होने की वजह से मंदिर की विशेषता ज्यादा है.
हनुमानजी को दक्षिण दिशा प्रिय
आगे बताया कि दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है. क्योंकि हनुमान जी ने भगवान श्रीराम के सारे काज दक्षिण दिशा में जाकर ही संवारे थे. उन्होंने सीता माता की खोज दक्षिण दिशा में जाकर ही की और फिर लंका का दहन भी इसी दिशा में किया. इसलिए दक्षिण मुखी होने की वजह से इस मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था बढ़ जाती है, क्योंकि हिंदू धर्म में ज्यादातर मंदिर उत्तर और पूर्व दिशा के ही होते हैं. हर मंगलवार और शनिवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन को आते हैं.
आगे बताया कि दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है. क्योंकि हनुमान जी ने भगवान श्रीराम के सारे काज दक्षिण दिशा में जाकर ही संवारे थे. उन्होंने सीता माता की खोज दक्षिण दिशा में जाकर ही की और फिर लंका का दहन भी इसी दिशा में किया. इसलिए दक्षिण मुखी होने की वजह से इस मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था बढ़ जाती है, क्योंकि हिंदू धर्म में ज्यादातर मंदिर उत्तर और पूर्व दिशा के ही होते हैं. हर मंगलवार और शनिवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन को आते हैं.
स्वत: प्रकट हुए थे हनुमानजी
माना जाता है कि श्री दक्षिणमुखी मंदिर 16वीं शताब्दी का है. मुख्य पुजारी ने दावा किया कि 25 अप्रैल 2008 को हनुमानजी का स्वरूप स्वतः प्रकट हुआ था. हनुमान की जो प्रतिमा थी, वह उस दिन अपने आप जमीन पर बिखर गई थी और उसके पीछे से हनुमान जी का यह स्वरूप सामने आ गया था.
माना जाता है कि श्री दक्षिणमुखी मंदिर 16वीं शताब्दी का है. मुख्य पुजारी ने दावा किया कि 25 अप्रैल 2008 को हनुमानजी का स्वरूप स्वतः प्रकट हुआ था. हनुमान की जो प्रतिमा थी, वह उस दिन अपने आप जमीन पर बिखर गई थी और उसके पीछे से हनुमान जी का यह स्वरूप सामने आ गया था.
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