शिक्षा विभाग ने शिक्षकों से मांगी चल-अचल संपत्ती की जानकारी
Agency:News18 Haryana
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पहली बार अध्यापकों से भी संपत्ती की जानकारी मांगी गई है. 27 जून तक संपत्ती की जानकारी न देने वाले कर्मचारियों का वेतन रोकने के भी आदेश दिए गये हैं.

हरियाणा सरकार अब प्रदेश के हजारों शिक्षकों पर सख्ती बरतने जा रही है. शिक्षा विभाग ने पहली बार शिक्षकों से उनकी चल अचल संपत्ती की जानकारी मांगी है. शिक्षा निदेशालय ने अपने करीब 3 लाख अधिकारियों और कर्मचारियों को आदेश जारी करते हुए कहा है प्रथम द्विति के साथ साथ तृतिय श्रेणी के कर्मचारी भी सरकारी कर्मचारी आचरण नियम 1966 के तहत अपनी चल और अचल संपत्ती की जानकारी विभाग को 27 जून तक मुहैया करवाएं.
इसमें खास बात ये है कि पहली बार अध्यापकों से भी संपत्ती की जानकारी मांगी गई है. 27 जून तक संपत्ती की जानकारी न देने वाले कर्मचारियों का वेतन रोकने के भी आदेश दिए गये हैं. प्रदेश में करीब 40 हजार प्राथमिक शिक्षक हैं जबकि सेंकेण्डरी और सीनियर सेकेण्ड़री स्कूलों को भी जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा करीब 1 लाख होता है.
आमतौर पर शिक्षकों के पेशे को बेहद सम्मानजनक और ईमानदार माना जाता है लेकिन अब सरकार शिक्षकों का हिसाब किताब भी रखने जा रही है. हर साल शिक्षकों को अपनी संपत्ती की जानकारी देनी होगी जिसे पिछले साल दी गई जानकारी से मैच किया जाएगा और अगर किसी अध्यापक की संपत्ती घोषित आय को स्रोतों से ज्यादा बढ़ी तो फिर उसकी जांच भी की जाएगी.
शिक्षकों ने बताया तुगलुकी फरमान
उधर शिक्षकों ने विभाग के इस फरमान को तुगलुकी बताया है. खासकर संपत्ती की जानकारी देने के परफोर्मा में पूछे गए अटपटे सवालों पर भी शिक्षकों ने एतराज जताया है. शिक्षा विभाग ने शिक्षकों से पूछा है कि उनके पास कितने घोड़े हैं और कई सालों पहले बंद हो चुके रेडियोग्राम की जानकारी भी मांगी गई है. शिक्षकों ने कहा है कि सरकार आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से तो संपत्ती की जानकारी ले नहीं पा रही है और साधारण शिक्षकों से संपत्ती की जानकारी मांग रही है.
विपक्ष ने भी साधा सरकार पर निशाना
उधर विपक्ष ने भी प्रदेश सरकार के फैसले का विऱोध किया है. इनेलो विधायक परमिन्दर ढुल ने कहा कि सरकार को सिर्फ उन्ही अधिकारियों से संपत्ती की जानकारी मांगनी चाहिए जिनके पास वित्तिय शक्तियां हैं. तृतिय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से संपत्ती की जानकारी मांगकर प्रदेश सरकार उनके निजी जीवन में छेड़छाड़ कर रही है. ढुल ने प्रदेश सरकार द्वारा संपत्ती की जानकारी में पूछे गए अटपटे सवालों पर कहा कि प्रदेश सरकार को पता ही नहीं कौन सी चीजें आजकल व्यवहार में हैं या नहीं. इसीलिए अंग्रेजों के जमाने के सवाल पूछ कर प्रदेश सरकार अपनी खाल बचाना चाहती है.
इसमें खास बात ये है कि पहली बार अध्यापकों से भी संपत्ती की जानकारी मांगी गई है. 27 जून तक संपत्ती की जानकारी न देने वाले कर्मचारियों का वेतन रोकने के भी आदेश दिए गये हैं. प्रदेश में करीब 40 हजार प्राथमिक शिक्षक हैं जबकि सेंकेण्डरी और सीनियर सेकेण्ड़री स्कूलों को भी जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा करीब 1 लाख होता है.
आमतौर पर शिक्षकों के पेशे को बेहद सम्मानजनक और ईमानदार माना जाता है लेकिन अब सरकार शिक्षकों का हिसाब किताब भी रखने जा रही है. हर साल शिक्षकों को अपनी संपत्ती की जानकारी देनी होगी जिसे पिछले साल दी गई जानकारी से मैच किया जाएगा और अगर किसी अध्यापक की संपत्ती घोषित आय को स्रोतों से ज्यादा बढ़ी तो फिर उसकी जांच भी की जाएगी.
शिक्षकों ने बताया तुगलुकी फरमान
उधर शिक्षकों ने विभाग के इस फरमान को तुगलुकी बताया है. खासकर संपत्ती की जानकारी देने के परफोर्मा में पूछे गए अटपटे सवालों पर भी शिक्षकों ने एतराज जताया है. शिक्षा विभाग ने शिक्षकों से पूछा है कि उनके पास कितने घोड़े हैं और कई सालों पहले बंद हो चुके रेडियोग्राम की जानकारी भी मांगी गई है. शिक्षकों ने कहा है कि सरकार आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से तो संपत्ती की जानकारी ले नहीं पा रही है और साधारण शिक्षकों से संपत्ती की जानकारी मांग रही है.
विपक्ष ने भी साधा सरकार पर निशाना
उधर विपक्ष ने भी प्रदेश सरकार के फैसले का विऱोध किया है. इनेलो विधायक परमिन्दर ढुल ने कहा कि सरकार को सिर्फ उन्ही अधिकारियों से संपत्ती की जानकारी मांगनी चाहिए जिनके पास वित्तिय शक्तियां हैं. तृतिय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से संपत्ती की जानकारी मांगकर प्रदेश सरकार उनके निजी जीवन में छेड़छाड़ कर रही है. ढुल ने प्रदेश सरकार द्वारा संपत्ती की जानकारी में पूछे गए अटपटे सवालों पर कहा कि प्रदेश सरकार को पता ही नहीं कौन सी चीजें आजकल व्यवहार में हैं या नहीं. इसीलिए अंग्रेजों के जमाने के सवाल पूछ कर प्रदेश सरकार अपनी खाल बचाना चाहती है.
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