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गुरुग्रामः 1810 एकड़ जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसान, राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु

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Haryana news:1810 एकड़ जमीन के अधिग्रहण मामले में किसानों ने इच्छा मृत्यु की मांग की है. सीएम मनोहर लाल के साथ किसानों की वार्ता की विफलता के बाद किसानों ने ऐलान किया है कि दक्षिण हरियाणा में भाजपा और जेजेपी नेताओं की एंट्री बैन करेंगे. इसके साथ ही किसानों ने राष्ट्रपति के नाम डीसी को ज्ञापन दिया है, जिसमें इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है.

1810 एकड़ जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसान, राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु1810 एकड़ जमीन के अधिग्रहण मामले में किसानों ने इच्छा मृत्यु की मांग की है.
गुरुग्राम. 1810 एकड़ जमीन के अधिग्रहण मामले में किसानों ने इच्छा मृत्यु की मांग की है. सीएम मनोहर लाल के साथ किसानों की वार्ता की विफलता के बाद किसानों ने ऐलान किया है कि दक्षिण हरियाणा में भाजपा और जेजेपी नेताओं की एंट्री बैन करेंगे. डूंडाहेड़ा बॉर्डर से लेकर नारनौल महेंद्रगढ़ तक भाजपा और जेजेपी नेताओं को आने नहीं दिया जाएगा. बैठक की विफलता के बाद किसानों ने राष्ट्रपति के नाम डीसी को ज्ञापन दिया है.

दरअसल, किसानों ने सरकार की नीतियों को दमनकारी बताते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू किया है. इसी को लेकर किसानों ने मनोहर सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि तमाम प्रयासों के बावजूद हरियाणा सरकार नहीं चाहती कि समस्या का समाधान हो.मनोहर लाल सरकार किसानों को बर्बाद कर पूंजीपतियों का घर भरने में लगी है. किसानों ने इसको लेकर राष्ट्रपति को पत्र लिखा है जिसमें कहा- ‘हम हरियाणा सरकार की दमनकारी नीतियों से परेशान होकर इच्छा मृत्यु की मांग करते हैं. कृपया 1810 एकड़ जमीन मालिकों को उनके परिवारों को उनके बच्चों को इच्छा मृत्यु की इजाजत दी जाए. डीसी को ज्ञापन सौंपने वाले यह किसान मानेसर के कासन और उसके आसपास के गांव के हैं, जो बीते ढाई महीनों से मानेसर के एचएसआईडीसी ऑफिस के बाहर शांतिपूर्ण तरीकों से धरना दे रहे थे.
बीते 2 दिन पहले मुख्यमंत्री से चंडीगढ़ में हुई वार्ता के बेनतीजा रहने के बाद गुस्साए किसानों ने गुरुग्राम के डीसी निशांत यादव को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप इच्छा मृत्यु की मांग उठाई है. बीती 16 अगस्त को हरियाणा सरकार में मानेसर के कासन और आसपास के 1810 एकड़ जमीन का आदेश था, जिसमें 1 एकड़ जमीन की कीमत 55 लाख रुपए के करीब तय की गई थी, लेकिन यह मुआवजा किसानों को मंजूर नहीं था. किसानों ने हरियाणा सरकार को 1810 एकड़ जमीन के अधिग्रहण को रद्द करने की गुहार लगाई, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ कई दौर की वार्ता के बाद कोई समाधान नहीं निकला.
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