मंडी का अनोखा वाद्य यंत्र, इनके बिना अधूरा है देवी-देवताओं का सफर, जानें क्यों है ये परंपरा इतनी खास!
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Mandi News: मंडी जिला के पुराणिक वाद्य यंत्रों में ढोल, बाम, नगाड़े, शहनाई, नरसिंघे आदि शामिल हैं, जो आज भी देवी-देवताओं के समूहों के आगे चलते हैं और इनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. देवी-देवताओं को ये पुराने वाद्य यंत्र बहुत पसंद आते है और इसका प्रमाण यह है कि रोज सुबह-शाम देवी-देवताओं की आरती के समय इन्हें बजाना अनिवार्य है.
Mandi News: मंडी जिला अपनी पुरानी सभ्यता और परम्पराओं के लिए मशहूर है, और यहां कई लोकल वाद्य यंत्र मौजूद हैं जिन्हें पुराने जमाने से लोग बजाते आ रहे हैं. खासतौर पर देवी-देवताओं के साथ ये वाद्य यंत्र चलते हैं और इन्हें कई सांस्कृतिक, धार्मिक और अन्य आयोजनों में बजाया जाता है. इन वाद्य यंत्रों की खासियत यह है कि इन्हें लोग खुद बनाते हैं, और इन्हें बनाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. ये वाद्य यंत्र काफी महंगे भी बिकते हैं.
मंडी जिला के पुराणिक वाद्य यंत्रों में ढोल, बाम, नगाड़े, शहनाई, नरसिंघे आदि शामिल हैं, जो आज भी देवी-देवताओं के समूहों के आगे चलते हैं और इनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. देवी-देवताओं को ये पुराने वाद्य यंत्र बहुत पसंद आते है और इसका प्रमाण यह है कि रोज सुबह-शाम देवी-देवताओं की आरती के समय इन्हें बजाना अनिवार्य है. जब देवता अपने देव रथ में कहीं जाते हैं, तब भी बिना ढोल-नगाड़ों के नहीं चलते और जब तक ढोल-नगाड़ों की थाप नहीं बजती, तब तक देवता कहीं नहीं जाते.
कैसे बनाए जाते हैं ये वाद्य यंत्र
ये ढोल-नगाड़े पुरानी तकनीक से बनाए जाते है. पहले ढोल के बाहरी भाग को तांबे से बनाया जाता है और फिर इस पर बकरे की मढ़ी हुई चमड़ी लगाई जाती है. इसके बाद इसे सुखाया जाता है, जिसके बाद ये बजाने के लिए तैयार हो जाते है.
ये ढोल-नगाड़े पुरानी तकनीक से बनाए जाते है. पहले ढोल के बाहरी भाग को तांबे से बनाया जाता है और फिर इस पर बकरे की मढ़ी हुई चमड़ी लगाई जाती है. इसके बाद इसे सुखाया जाता है, जिसके बाद ये बजाने के लिए तैयार हो जाते है.
अलग-अलग देवी-देवताओं की अलग-अलग धुन
मंडी जिला के हर देवी-देवता का अपना प्रोटोकॉल और अलग देव धुन होती है, जिससे देवी-देवताओं के इलाकों का दूर से ही पता चल जाता है. मानी के चौहार घाटी के देवी-देवताओं की अलग धुन है जबकि बदार इलाके की अलग देव धुन है. हर क्षेत्र के देवी-देवता की अपनी संस्कृति और देव धुन होती है.
मंडी जिला के हर देवी-देवता का अपना प्रोटोकॉल और अलग देव धुन होती है, जिससे देवी-देवताओं के इलाकों का दूर से ही पता चल जाता है. मानी के चौहार घाटी के देवी-देवताओं की अलग धुन है जबकि बदार इलाके की अलग देव धुन है. हर क्षेत्र के देवी-देवता की अपनी संस्कृति और देव धुन होती है.
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Manish Rai
काशी के बगल चंदौली से ताल्लुक रखता हूं. मुझे बिजेनस, सेहत, स्पोर्टस, राजनीति, लाइफस्टाइल और ट्रैवल से जुड़ी खबरें पढ़ना पसंद है. मैंने मीडिया में करियर की शुरुआत ईटीवी भारत से की थी. डिजिटल में पांच साल से ज्या...और पढ़ें
काशी के बगल चंदौली से ताल्लुक रखता हूं. मुझे बिजेनस, सेहत, स्पोर्टस, राजनीति, लाइफस्टाइल और ट्रैवल से जुड़ी खबरें पढ़ना पसंद है. मैंने मीडिया में करियर की शुरुआत ईटीवी भारत से की थी. डिजिटल में पांच साल से ज्या... और पढ़ें
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