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Krishna Janmashtami: ये है दुनिया की सबसे अधिक ऊंचाईं पर स्थित कृष्ण मंदिर युला कांडा,  झील के बीच है छोटा सा सुंदर मंदिर

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Yula Kanda Krishna Temple: मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर तक पहुंचनें के लिए किन्नौर के टापरी से लगभग 15 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है. बताया जाता है कि बुशहर रियासत के राजा के समय से यूला कांडा में जन्माष्टमी मेले का आगाज हुआ था.

जन्माष्टमीः ये है दुनिया की सबसे अधिक ऊंचाईं पर स्थित कृष्ण मंदिर युला कांडाकिन्नौर जिला प्रशासन की तरफ से यूला कंडा में जिलास्तरीय जन्माष्टमी पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है.
रिकॉन्गपिओ. हिमाचल प्रदेश को देव भूमि कहा जाता है. यहां पर सैंकड़ों की संख्या में मंदिर हैं. कांगड़ा से लेकिन किन्नौर तक कई शक्तिपीठ हैं, जहां पर हर साल लाखों श्रद्धालू आते हैं. ऐसे में कृष्ण जन्माष्टमी पर आज हम आपको दुनिया के सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित कृष्ण मंदिर (Lord Krishna Temple) के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि किन्नौर जिले की निचार उपमंडल के यूला कांडा में एक झील (Yula Kanda Lake) के बीच में बना हुआ है.

दरअसल, किन्नौर में पारम्परिक रूप से स्थानीय देवताओं की उपासना प्रचलन है. बड़ी अहम बात है कि जिले में बौद्ध धर्म का ज्यादा प्रभाव है. लेकिन यहां पर शिव की भक्ति भी देखने को मिलती है. जहां किन्नर कैलाश है. वहीं, कामरु (सांगला) देवता को बद्रीनाथ का ही रूप कहा जाता है. उधर, ऐतिहासिक रूप से दुनिया का सबसे ऊंचा  समुद्र तल से 12000  फ़ीट श्रीकृष्ण मंदिर (Krishna Temple) भी है. किन्नौर की रोराघाटी में दुनिया का सबसे ऊंचाई पर श्रीकृष्ण मंदिर है. यह मंदिर यूला कांडा झील के बीचोंबीच है.

मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर का निर्माण  करवाया था. मंदिर तक पहुंचनें के लिए किन्नौर के टापरी से लगभग 15 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है. बताया जाता है कि बुशहर रियासत के राजा के समय से युला कांडा में जन्माष्टमी मेले का आगाज हुआ था. जो अब भी मनाया जाता है. गुरुवार को भी यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं.  किन्नौर जिला प्रशासन की तरफ से यूला कंडा में जिलास्तरीय जन्माष्टमी पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है.
यहां पर एक दिन पूर्व स्थानीय लोग, बौद्ध लामा और श्रद्धालु के साथ रीति-रिवाज, लोकगीत और मंत्रों का उच्चारण करते हुए 15 किलोमीटर पैदल चल कर 6 बजे तक सराये भवन तक पहुंचते हैं. फिर अगले दिन पूजा-अर्चना करते हैं.
उल्टी टोपी की बड़ी मान्यता
जन्माष्टमी के दिन यहां श्रद्धालु किन्नौरी टोपी को उल्टी करके झील में डालते हैं. टोपी डूबे बिना दूसरे छोर तक पहुंच जाती है तो मनोकामना पूरी हो जाती है.सर्दियों में यहां पर काफी बर्फ गिरती है.
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जन्माष्टमीः ये है दुनिया की सबसे अधिक ऊंचाईं पर स्थित कृष्ण मंदिर युला कांडा
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