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गोड्डा में स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस लाने की मुहिम, 'रूआर' अभियान से बढ़े नामांकन, जानिए पूरी डिटेल

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गोड्डा में 'रूआर' अभियान के तहत शिक्षक घर-घर जाकर स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से नामांकित कर रहे हैं. चिल्लहा गांव में प्रभात फेरी और जनजागरूकता से करीब 50% बच्चों का दोबारा नामांकन हुआ. शिशु गणना से भी बच्चों की पहचान कर शत-प्रतिशत उपस्थिति का लक्ष्य तय किया गया है.

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गोड्डा: झारखंड सरकार के ‘रूआर’ कार्यक्रम के तहत राज्य के विभिन्न जिलों में स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से शिक्षा से जोड़ने की कोशिश की जा रही है. यह अभियान 25 अप्रैल से 10 मई तक चलाया जा रहा है. इसी कड़ी में गोड्डा जिले के सरकारी स्कूलों में भी शिक्षक गांव-गांव जाकर बच्चों को चिन्हित कर रहे हैं और उन्हें स्कूल लाने की अपील कर रहे हैं.

गोड्डा जिले के शिक्षकों ने इस अभियान को गंभीरता से लिया है. वे घर-घर जाकर ऐसे बच्चों की जानकारी जुटा रहे हैं, जिन्होंने किसी कारण से पढ़ाई छोड़ दी थी. इसके बाद अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों को दोबारा स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
शिक्षकों ने लोगों को दी जानकारी
महागामा प्रखंड के चिल्लहा गांव में स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय के शिक्षकों ने इस प्रयास को और भी रचनात्मक बनाया. उन्होंने बच्चों के साथ मिलकर प्रभात फेरी निकाली और सड़क पर गुजरने वाले लोगों को रोककर उनसे संवाद किया. इस दौरान लोगों को बताया गया कि उनके आस-पास अगर कोई 5 से 18 वर्ष का बच्चा है और स्कूल नहीं जा रहा हो तो उसकी जानकारी स्कूल को दें.

50 प्रतिशत तक बढ़ा नामांकन
शिक्षकों की मेहनत रंग भी ला रही है. जिले भर में अब तक 40 से 50 प्रतिशत नए बच्चों का नामांकन स्कूलों में हो चुका है. यह आंकड़ा दर्शाता है कि ‘रूआर’ अभियान को ग्रामीणों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है.
उत्क्रमित मध्य विद्यालय चिल्लहा के शिक्षक रितेश रंजन ने बताया कि ‘रूआर’ का अर्थ है “फिर से लौटना”. इसी उद्देश्य से यह अभियान पूरे राज्य में चलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि उनके विद्यालय में ही करीब 50 नए बच्चों का नामांकन हुआ है, जो पहले किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ चुके थे.

शिशु गणना से भी हो रही है पहचान
‘रूआर’ अभियान के तहत निर्देश दिया गया है कि स्कूलों में प्रतिवर्ष जो शिशु गणना (child census) होती है, उसके आंकड़ों को भी खंगाला जाए. इसके जरिए यह पता लगाया जा रहा है कि किन बच्चों ने पहले नामांकन तो कराया था, लेकिन अब स्कूल नहीं आ रहे हैं. इस प्रक्रिया में शिक्षकों को अपने पोषक क्षेत्र (catchment area) के हर बच्चे की जानकारी जुटानी है और सुनिश्चित करना है कि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे.
बच्चों की शत प्रतिशत उपस्थिति लक्ष्य
अभियान का मुख्य उद्देश्य स्कूल में बच्चों की शत प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करना है. सिर्फ नामांकन ही नहीं, बल्कि यह भी देखा जा रहा है कि बच्चे नियमित रूप से स्कूल आएं. इसलिए शिक्षकों द्वारा बच्चों के घर जाकर बातचीत की जा रही है, उनकी समस्याएं जानी जा रही हैं और यथासंभव समाधान भी सुझाया जा रहा है.

गोड्डा जिले में इस अभियान को लेकर शिक्षा विभाग और स्थानीय शिक्षकों में उत्साह का माहौल है. सभी मिलकर यह सुनिश्चित करने में लगे हैं कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए.
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