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क्या पहाड़ों में लगानी चाहिए सीट बेल्ट? अल्मोड़ा आरटीओ ने बताया सच

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Car Seat Belts Rule in Pahad: आरटीओ अनीता चंद ने लोकल 18 से बातचीत में समझाया कि पहाड़ों में भी सीट बेल्ट लगाना उतना ही आवश्यक है जितना मैदानी क्षेत्रों में. सीट बेल्ट दुर्घटना की स्थिति में चालक और यात्रियों को गंभीर चोटों से बचाती है. पहाड़ी मार्गों में चढ़ाई, ढलान, संकरे रास्ते और तीखे मोड़ों के कारण यात्रियों को झटके लग सकते हैं. सीट बेल्ट पहनने से इन झटकों से बचाव होता है.

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अल्मोड़ा: अक्सर देखा गया है कि लोग मैदानी इलाकों में तो सीट बेल्ट लगाते हैं, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में चढ़ाई करते वक्त इसे नजरअंदाज कर देते हैं. बहुत से लोगों में यह गलतफहमी है कि पहाड़ों में सीट बेल्ट नहीं लगानी चाहिए, क्योंकि दुर्घटना की स्थिति में यह उन्हें खाई में गिरने से बचा नहीं पाएगी. अल्मोड़ा की आरटीओ अधिकारी अनीता चंद ने इस धारणा को गलत बताते हुए बताया कि सीट बेल्ट का उपयोग पहाड़ी और मैदानी, दोनों ही क्षेत्रों में अनिवार्य है. उन्होंने बताया कि पहाड़ों में अलग-अलग गति और घुमावदार रास्तों के कारण सीट बेल्ट का महत्व और भी बढ़ जाता है.

पहाड़ी क्षेत्रों में सीट बेल्ट का महत्व
आरटीओ अनीता चंद ने लोकल 18 से बातचीत में समझाया कि पहाड़ों में भी सीट बेल्ट लगाना उतना ही आवश्यक है जितना मैदानी क्षेत्रों में. सीट बेल्ट दुर्घटना की स्थिति में चालक और यात्रियों को गंभीर चोटों से बचाती है. पहाड़ी मार्गों में चढ़ाई, ढलान, संकरे रास्ते और तीखे मोड़ों के कारण यात्रियों को झटके लग सकते हैं. सीट बेल्ट पहनने से इन झटकों से बचाव होता है और चालक का गाड़ी पर नियंत्रण बना रहता है.

सीट बेल्ट को लेकर भ्रम
अनीता चंद ने कहा कि कुछ लोग इस भ्रम में हैं कि पहाड़ों में सीट बेल्ट लगाने से दुर्घटना के दौरान गाड़ी से बाहर कूदना मुश्किल हो जाएगा. लेकिन यह धारणा गलत है. पहाड़ी मार्गों पर अक्सर सामने से गाड़ियां आती हैं या अचानक ब्रेक लगने की स्थिति बनती है, ऐसे में सीट बेल्ट पहनना बेहद जरूरी होता है. यह न केवल चालक को नियंत्रण में रहने में मदद करती है, बल्कि दुर्घटना की स्थिति में जान-माल की सुरक्षा भी करती है.
परिवहन विभाग का चेकिंग अभियान
अल्मोड़ा के परिवहन विभाग ने सीट बेल्ट की अनिवार्यता को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं. आरटीओ अनीता चंद ने बताया कि 2024 में सीट बेल्ट न लगाने पर 223 चालान किए गए हैं और प्रत्येक मामले में ₹1000 का जुर्माना लगाया गया है. इसके अलावा, जो यात्री या चालक सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करते हैं, उनकी काउंसलिंग भी की जाती है, जिसमें उन्हें सीट बेल्ट के फायदों और इसके महत्व के बारे में विस्तार से समझाया जाता है.
पहाड़ी क्षेत्रों में सीट बेल्ट की जागरूकता आवश्यक
आरटीओ का मानना है कि पहाड़ी क्षेत्रों में सीट बेल्ट की अनिवार्यता के प्रति जागरूकता बढ़ाना जरूरी है. पहाड़ी सड़कों पर सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए सीट बेल्ट का उपयोग बेहद महत्वपूर्ण है. सीट बेल्ट न केवल यात्रियों को दुर्घटनाओं से बचाती है बल्कि ड्राइवर को भी बेहतर संतुलन और नियंत्रण में रखती है.
यात्रियों और चालकों के लिए सीट बेल्ट का संदेश
अल्मोड़ा के परिवहन विभाग का यह संदेश साफ है कि चाहे मैदानी क्षेत्र हो या पहाड़ी, सीट बेल्ट सभी के लिए अनिवार्य है. यह छोटी सी आदत बड़ी दुर्घटनाओं में जीवन रक्षा का काम करती है. इस पहल से उम्मीद है कि पहाड़ी क्षेत्रों में सीट बेल्ट के उपयोग को लेकर फैले भ्रम दूर होंगे, और सभी यात्री सुरक्षित यात्रा का अनुभव कर पाएंगे.

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Rohit rajput
creating innovative news content for Digital and Social Media. More then 8 years of experience in the field of Journalism, Diploma of Journalism from Rajendra Prasad Institute of Communication and Management, ...और पढ़ें
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क्या पहाड़ों में लगानी चाहिए सीट बेल्ट? अल्मोड़ा आरटीओ ने बताया सच
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