इस सरकारी संगठन की मदद से मसूद अजहर ने बनाई थी जैश ए मोहम्मद, इस खुफिया रिपोर्ट में हुआ खुलासा
Agency:News18Hindi
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1999 में कंधार हाईजैक के बाद छोड़े जाने के बाद आतंकी मसूद अज़हर ने जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की थी.
सांकेतिक तस्वीर CIA के दस्तावेजों में कहा गया है कि जैश के पहले के संगठनों को ISI से पैसे मिले थे लेकिन पाकिस्तान को इस डर से इन पैसों के खिलाफ एक्शन लेना पड़ा कि कहीं ये बात उजागर होने से उसे आतंकवाद को संरक्षण देने वाला देश न घोषित कर दिया जाए. अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के दस्तावेजों में खुलासा किया गया है कि जैश-ए-मोहम्मद के पूर्ववर्ती संगठनों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के जरिए फंडिंग प्राप्त हुई थी. इतना ही नहीं बल्कि इन संगठनों ने पर्याप्त धन न मिलने की शिकायत भी की थी.
CIA की ओर से जारी एक लंबे नोट में बताया गया है कि 1994 में कश्मीर में अपनी गिरफ्तारी के वक्त मसूद अज़हर हरकत-उल-अंसार (HuA) का जनरल सेक्रेटरी था. उस वक्त संगठन को ISI से पैसा मिला था. जिसे बाद में पाकिस्तान ने वापस ले लिया था ताकि उसे राज्य प्रायोजित आतंक फैलाने वाले देशों की लिस्ट में न डाल दिया जाए.
रिपोर्ट में बताया गया है, "कूटनीतिक रिपोर्ट्स इशारा करती हैं कि ISI ने कम से कम 30,000 से 69,000 अमेरिकी डॉलर के बीच धन की मदद हरकत-उल-अंसार को दी थी." इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि यह संगठन मुख्यत: भारत के खिलाफ काम करता था लेकिन इसने पश्चिमी देशों के नागरिकों को भी बंधक बनाया था और शायद उन्हें मार भी दिया था. CIA की यह रिपोर्ट 1996 में बनाई गई थी. हालांकि पिछले साल ही इसे रिलीज किया गया था.
यह रिपोर्ट भारतीय खुफिया एजेंसियों के उस आकलन से मेल खाती हैं कि हरकत-उल-अंसार जो कि मसूद अज़हर के 1999 की कंधार हाइजैकिंग में छोड़े जाने के बाद जैश-ए-मोहम्मद बना, उसे पाकिस्तानी सरकार ने पैसे, मदद और ट्रेनिंग में मदद की थी.
भारतीय खुफिया एजेंसियां मानती हैं कि हरकत-उल-अंसार के अमेरिका जैसे देशों के जरिए फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन मान लिए जाने के बाद मसूद अज़हर ने इसका नाम बदलकर हरकत उल मुजाहिदीन (HuM) रख दिया था.
खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मसूद को आर्थिक मदद और जैश ए मोहम्मद की स्थापना के लिए सहारा केवल ISI से ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से भी मिला था. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय आतंकी ओसामा बिन लादेन ने भी इसकी स्थापना में मसूद अज़हर की मदद की थी. दोनों के बीच में संबंध कराची स्थित बिनोरिया मदरसा के जरिए स्थापित हुए थे.
भारतीय खुफिया रिपोर्ट् के अनुमान भी CIA के दस्तावेजों से सही साबित होते हैं. जिसमें कहा गया है कि आतंकी फंडिंग बंद करने के दबाव के बाद इस ग्रुप के अंतरराष्ट्रीय आतंक समर्थकों जैसे ओसामा बिन लादेन आदि से पैसा पाने की संभावना बढ़ गई थी.
यह भी पढ़ें: जानें भारत और पाकिस्तान में किसका हवाई बेड़ा है कितना मजबूत?
CIA की ओर से जारी एक लंबे नोट में बताया गया है कि 1994 में कश्मीर में अपनी गिरफ्तारी के वक्त मसूद अज़हर हरकत-उल-अंसार (HuA) का जनरल सेक्रेटरी था. उस वक्त संगठन को ISI से पैसा मिला था. जिसे बाद में पाकिस्तान ने वापस ले लिया था ताकि उसे राज्य प्रायोजित आतंक फैलाने वाले देशों की लिस्ट में न डाल दिया जाए.
रिपोर्ट में बताया गया है, "कूटनीतिक रिपोर्ट्स इशारा करती हैं कि ISI ने कम से कम 30,000 से 69,000 अमेरिकी डॉलर के बीच धन की मदद हरकत-उल-अंसार को दी थी." इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि यह संगठन मुख्यत: भारत के खिलाफ काम करता था लेकिन इसने पश्चिमी देशों के नागरिकों को भी बंधक बनाया था और शायद उन्हें मार भी दिया था. CIA की यह रिपोर्ट 1996 में बनाई गई थी. हालांकि पिछले साल ही इसे रिलीज किया गया था.
यह रिपोर्ट भारतीय खुफिया एजेंसियों के उस आकलन से मेल खाती हैं कि हरकत-उल-अंसार जो कि मसूद अज़हर के 1999 की कंधार हाइजैकिंग में छोड़े जाने के बाद जैश-ए-मोहम्मद बना, उसे पाकिस्तानी सरकार ने पैसे, मदद और ट्रेनिंग में मदद की थी.
भारतीय खुफिया एजेंसियां मानती हैं कि हरकत-उल-अंसार के अमेरिका जैसे देशों के जरिए फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन मान लिए जाने के बाद मसूद अज़हर ने इसका नाम बदलकर हरकत उल मुजाहिदीन (HuM) रख दिया था.
खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मसूद को आर्थिक मदद और जैश ए मोहम्मद की स्थापना के लिए सहारा केवल ISI से ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से भी मिला था. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय आतंकी ओसामा बिन लादेन ने भी इसकी स्थापना में मसूद अज़हर की मदद की थी. दोनों के बीच में संबंध कराची स्थित बिनोरिया मदरसा के जरिए स्थापित हुए थे.
भारतीय खुफिया रिपोर्ट् के अनुमान भी CIA के दस्तावेजों से सही साबित होते हैं. जिसमें कहा गया है कि आतंकी फंडिंग बंद करने के दबाव के बाद इस ग्रुप के अंतरराष्ट्रीय आतंक समर्थकों जैसे ओसामा बिन लादेन आदि से पैसा पाने की संभावना बढ़ गई थी.
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