Shankar Dayal Sharma Birth anniversary: सबके चहेते नेता थे भोपाल के सीएम
Agency:News18Hindi
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Shankar Dayal Sharma Birth anniversary: डॉ शर्मा ने शिक्षा के साथ ही देश की राजनिति में भी बहुत सम्मान हासिल किया था जिससे वे भारत (Indian) के राष्ट्रपति (President) पद तक पहुंचे थे.

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian Freedom Movement) ने देश को बहुत सारे बहुमूल्य नेता दिए है जिनमें डॉ शंकर दयाल शर्मा (Dr Shankar Dayal Sharma) का नाम भी शामिल है. देश के स्वतंत्रता सेनानी रहे डॉ शर्मा ने हमेशा ही अपने सरल और सहृदय स्वभाव से सभी का मन जीता जिसकी वजह से वे हमेशा ही देश के स्वीकार्य नेता बने रहे. वे गांधीवादी की तरह अपने विरोधियों को उदार व्यवहार से जीत लेते थे. वे मध्यप्रदेश सरकार के कई विभागों में केबिनेट मंत्री रहे वे कई राज्यों के राज्यपाल और केंद्र सरकार में मंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष, फिर देश के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति (President of India) पद तक पहुंचने वाले नेता रहे.
पढ़ाई में हमेशा रहे अव्वल
डॉ.शंकर दयाल शर्मा ने पंजाब यूनिवर्सिटी, आगरा कॉलेज, लखनऊ यूनिवर्सिटी जैसे देश के कई उच्च संस्थानों से शिक्षा ग्रहण की. उन्होंने हिंदी अंग्रेजी, संस्कृत साहित्य में प्रथम स्थान हासिल करते हुए एमए की डिग्री हासिल की. और लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलएम की डिग्री में भी पहला स्थान हासिल किया. उन्हें लखनऊ विश्वविद्यालय से समाज सेवा का चक्रवर्ती गोल मेडल भी प्रदान किया गया था. इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के फिट्जविलियम कॉलेज पीएचडी की उपाधि हासिल की.
डॉ.शंकर दयाल शर्मा ने पंजाब यूनिवर्सिटी, आगरा कॉलेज, लखनऊ यूनिवर्सिटी जैसे देश के कई उच्च संस्थानों से शिक्षा ग्रहण की. उन्होंने हिंदी अंग्रेजी, संस्कृत साहित्य में प्रथम स्थान हासिल करते हुए एमए की डिग्री हासिल की. और लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलएम की डिग्री में भी पहला स्थान हासिल किया. उन्हें लखनऊ विश्वविद्यालय से समाज सेवा का चक्रवर्ती गोल मेडल भी प्रदान किया गया था. इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के फिट्जविलियम कॉलेज पीएचडी की उपाधि हासिल की.
शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा उत्कृष्ठ
डॉ शर्मा ने लखनऊ विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज में कानून का अध्यापन कार्य भी किया. कैम्ब्रिज में रहते हुए वे टैगोर सोसाइटी और कैम्ब्रिज मजलिस के कोषाध्यक्ष भी रहे. फिट्जविलियम कॉलेज में वे मानद फेलो भी रहे और कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय ने उन्हें मानद डॉक्टर ऑफ़ ला की डिग्री दे कर सम्मानित किया. इसके अलावा उन्होंने लंदन की लिंकन्स इन और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाई की थी.
डॉ शर्मा ने लखनऊ विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज में कानून का अध्यापन कार्य भी किया. कैम्ब्रिज में रहते हुए वे टैगोर सोसाइटी और कैम्ब्रिज मजलिस के कोषाध्यक्ष भी रहे. फिट्जविलियम कॉलेज में वे मानद फेलो भी रहे और कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय ने उन्हें मानद डॉक्टर ऑफ़ ला की डिग्री दे कर सम्मानित किया. इसके अलावा उन्होंने लंदन की लिंकन्स इन और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाई की थी.
बढ़िया छात्र के साथ एक खिलाड़ी भी
डॉ शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 को मध्यप्रदेश के भोपाल में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. बहुत कम लोग जानते हैं कि वे अपने छात्र जीवन में एक बेहतरीन एथलीट हुआ करते थे. वे क्रॉस कंट्री धावक होने के साथ ही के विजेता तैराक भी रहे थे. उन्होंने 1940 में भारत की आजादी की लड़ाई में भाग लेते हुई अपना राजनैतिक जीवन शुरू कर दिया था.
डॉ शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 को मध्यप्रदेश के भोपाल में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. बहुत कम लोग जानते हैं कि वे अपने छात्र जीवन में एक बेहतरीन एथलीट हुआ करते थे. वे क्रॉस कंट्री धावक होने के साथ ही के विजेता तैराक भी रहे थे. उन्होंने 1940 में भारत की आजादी की लड़ाई में भाग लेते हुई अपना राजनैतिक जीवन शुरू कर दिया था.
डॉ शंकर दयाल शर्मा (Dr Shankar Dayal Sharma) पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहे. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
भोपाल की आजादी के लिए संघर्ष
डॉ शर्मा ने 1940 में अपने कानून की प्रैक्टिस शुरू की. उसके बाद ही उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली और राजनीति में आ गए. इस दौरान वे गिरफ्तार होकर वे 8 महीनों के लिए जेल भी गए थे. भारत की आजादी के समय भोपाल के नवाब ने आजाद रहने का ऐलान किया तब डॉ शर्मा ने नवाब के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया जिसके बाद नवाब ने 1948 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया. जनता के दबाव में नवाब को उन्हें छोड़ना पड़ा और 30 अप्रैल 1949 नवाब भोपाल के भारत में विलय पर सहमत हो गए.
डॉ शर्मा ने 1940 में अपने कानून की प्रैक्टिस शुरू की. उसके बाद ही उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली और राजनीति में आ गए. इस दौरान वे गिरफ्तार होकर वे 8 महीनों के लिए जेल भी गए थे. भारत की आजादी के समय भोपाल के नवाब ने आजाद रहने का ऐलान किया तब डॉ शर्मा ने नवाब के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया जिसके बाद नवाब ने 1948 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया. जनता के दबाव में नवाब को उन्हें छोड़ना पड़ा और 30 अप्रैल 1949 नवाब भोपाल के भारत में विलय पर सहमत हो गए.
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भोपाल और मध्यप्रदेश की सेवा
डॉ शर्मा 1952 में भोपाल स्टेट के पहले मुख्यमंत्री बने और वे उस समय के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे. वे भोपाल के मुख्यमंत्री पद पर 1956 तक काबिज जब तक भोपाल का तत्कालीन मध्यप्रदेश में विलय नहीं हो गया. इसके बाद वे कांग्रेस और उसकी सरकारों पर विभिन्न पदों पर काबिज रहे. 1956 से 71 तक वे मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे और कई पदों पर मुख्यमंत्री रहे.
डॉ शर्मा 1952 में भोपाल स्टेट के पहले मुख्यमंत्री बने और वे उस समय के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे. वे भोपाल के मुख्यमंत्री पद पर 1956 तक काबिज जब तक भोपाल का तत्कालीन मध्यप्रदेश में विलय नहीं हो गया. इसके बाद वे कांग्रेस और उसकी सरकारों पर विभिन्न पदों पर काबिज रहे. 1956 से 71 तक वे मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे और कई पदों पर मुख्यमंत्री रहे.
अपने जीवन के अंतिम दिनों में डॉ शंकर दयाल शर्मा (Dr Shankar Dayal Sharma) लंबे समय तक बीमार रहे थे. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश
डॉ शर्मा ने 1960 के उत्तरार्ध में इंदिरागांधी का समर्थन किया इसके बाद वे राष्ट्रीय राजनीति में आ गए और 1971 में वे भोपाल सीट से लोकसभा के सदस्य बने. 1972 में वे कांग्रेस अध्ययक्ष बने. इसके बाद 1974 से तीन साल तक संचार मंत्री बने रहे. इसके बाद उन्होंने 1980 में भी भोपाल लोकसभा सीट से जीत हासिल की.
डॉ शर्मा ने 1960 के उत्तरार्ध में इंदिरागांधी का समर्थन किया इसके बाद वे राष्ट्रीय राजनीति में आ गए और 1971 में वे भोपाल सीट से लोकसभा के सदस्य बने. 1972 में वे कांग्रेस अध्ययक्ष बने. इसके बाद 1974 से तीन साल तक संचार मंत्री बने रहे. इसके बाद उन्होंने 1980 में भी भोपाल लोकसभा सीट से जीत हासिल की.
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राज्यपाल से राष्ट्रपति पद तक
1984 के बाद वे बहुत से राज्यों के राज्यपाल बने. पहले वे आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बने. इसी दौरान उनकी बेटी गीतंजली माकन और दामाद ललित माकन की सिख आंतंकियों ने हत्या कर दी. 1985 में वे पंजाब के राज्यपाल बनाए गए. लेकिन जल्दी है 1986 में ही वे महाराष्ट्र के राज्यपाल बनाए गए जो उनका अंतिम राज्यपाल पद था. 1987 में ही डॉ शर्मा भारत के आठवें उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति चुने गए और उसके बाद 1992 में भारत के नवें राष्ट्रपति चुने गए थे. 26 दिसंबर 1999 को उनके हृदयाघात की वजह से निधन हो गया था.
1984 के बाद वे बहुत से राज्यों के राज्यपाल बने. पहले वे आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बने. इसी दौरान उनकी बेटी गीतंजली माकन और दामाद ललित माकन की सिख आंतंकियों ने हत्या कर दी. 1985 में वे पंजाब के राज्यपाल बनाए गए. लेकिन जल्दी है 1986 में ही वे महाराष्ट्र के राज्यपाल बनाए गए जो उनका अंतिम राज्यपाल पद था. 1987 में ही डॉ शर्मा भारत के आठवें उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति चुने गए और उसके बाद 1992 में भारत के नवें राष्ट्रपति चुने गए थे. 26 दिसंबर 1999 को उनके हृदयाघात की वजह से निधन हो गया था.
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