अपने लक्ष्य के पक्के थे देश में दूध की नदियां बहाने वाले कुरियन
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Agency:News18India
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डॉ. वर्गीज कुरियन जयंती : भारत में श्वेत क्रांति (White Revolution) के जनक कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को हुआ था. अज़ीम प्रेमजी (Azim Premji), नारायण मूर्ति (Narayan Murthi) से लेकर इला भट्ट और किरण मजूमदार शॉ के शब्दों में जानिए कुरियन की शख्सियत.

1960 के दशक में भारत में दूध उत्पादन (Milk Production in India) 2 करोड़ टन हुआ करता था, जो कि डॉ. वर्गीज़ कुरियन के कार्यकाल के दौरान 2011 तक 12.2 करोड़ टन का हो गया. रिपोर्ट्स कहती हैं कि भैंस के दूध से दूध पाउडर (Milk Powder) बनाने का आइडिया भी कुरियन के दिमाग की उपज थी, जबकि पूरी दुनिया में सिर्फ गाय के दूध से मिल्क (Cow’s Milk) पाउडर बनाया जा रहा था. सिर्फ दूध उत्पादन ही नहीं बल्कि दूध के अन्य प्रोडक्ट्स (Dairy products) के साथ खाद्य तेल (Edible Oil) के उत्पादन तक कुरियन हमेशा दूर की कौड़ी लाने में माहिर रहे थे.
कुरियन इंजीनियर थे और मैनजर भी. कायरा दूध उत्पादक संघ से जुड़े कुरियन की मैनेजमेंट क्षमता इतनी कमाल की थी कि उन्होंने ग्रामीणों को जोड़कर भारत का सबसे बड़ा डेयरी उद्योग खड़ा कर दिया था. इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के बेजोड़ हुनर ने आधुनिक भारत के सहकारी आंदोलन और डेयरी आंदोलन को दिशा दी, जिससे किसान आत्मनिर्भर भी हुए और भारत का विकास भी हुआ.
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एक खास तथ्य यह भी है कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड में रहते हुए कुरियन आरएसएस के प्रमुख रहे एमएस गोलवलकर के साथ दोस्ताना रिश्ते रखते थे, लेकिन जब गोलवलकर ने गाय वध के खिलाफ मुहिम में कुरियन का साथ चाहा था, तब कुरियन ने मना कर दिया था क्योंकि कुरियन को पता था कि उनके डेयरी विकास के लक्ष्य या ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था के साथ इसका कोई संबंध नहीं था.
एक खास तथ्य यह भी है कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड में रहते हुए कुरियन आरएसएस के प्रमुख रहे एमएस गोलवलकर के साथ दोस्ताना रिश्ते रखते थे, लेकिन जब गोलवलकर ने गाय वध के खिलाफ मुहिम में कुरियन का साथ चाहा था, तब कुरियन ने मना कर दिया था क्योंकि कुरियन को पता था कि उनके डेयरी विकास के लक्ष्य या ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था के साथ इसका कोई संबंध नहीं था.
#NationalMilkDay Special: Watch Mr. Narayan Murthy as he shares his thoughts on Dr. #Kurien.#CelebratingDrKurien #Amul pic.twitter.com/ifrpNyFheK— Amul.coop (@Amul_Coop) November 26, 2020
आधुनिक भारत के यादगार व्यक्तित्वों में शुमार और अमूल (आणंद मिल्क यूनियन लिमिटेड) के संस्थापक रहे डॉ. कुरियन का जन्म शताब्दी वर्ष शुरू हो रहा है. इस मौके पर अमूल के सौजन्य से देश में उद्यम क्षेत्र की कई हस्तियों ने कुरियन को इस तरह याद किया कि उनके शब्दों में आप डॉ. कुरियन का इतिहास और योगदान समझ सकते हैं.
हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन के शब्दों में : मुझे आणंद में डॉ. कुरियन से तब मिलने का मौका मिला था, जब वो अमेरिका से लौटे ही थे. उस वक्त कुछ कंपनियां किसानों से दूध औने पौने दामों पर ले लिया करती थीं. फिर सरदार पटेल के कहने पर कुरियन ने किसानों का खुद का सहकारी संघ बनाने का कदम उठाने का फैसला किया और इस तरह अमूल की स्थापना हुई और स्वाभाविक तौर पर कुरियन इसके तकनीकी निदेशक बने.
इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के शब्दों में : आणंद ने एक विज़नरी लीडर के नेतृत्व में यह साबित करके दिखाया कि एक छोटे सी जगह के मामूली लोग इकट्ठे होकर इतिहास रच सकते हैं और एक विज़नरी साथ हो तो 1 और 1 मिलकर 11 हो सकते हैं. वो विज़नरी डॉ. कुरियन थे, जिनसे मैंने यह मंत्र सीखा कि अगर आप व्यक्तिगत लक्ष्य से बढ़कर एक समुदाय के लक्ष्य को तरजीह देते हैं, तो समाज आगे बढ़ता है और स्वयं आप. कामयाबी के इस मंत्र को डॉ. कुरियन ने साबित करके दिखाया.
गोदरेज समूह के प्रमुख आदि गोदरेज के शब्दों में : डॉ. कुरियन डेयरी उद्योग को भारत में कायदे से बहुत बड़े पैमाने पर शुरू करने वाले पुरोधा थे. उन्हीं के प्रयासों से भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना. डेयरी उद्योग से किसानों को भी अतिरिक्त आय हुई, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि रही.
राज्यसभा सांसद अनु आगा के शब्दों में : दूध उत्पादन के क्षेत्र में भारत में श्वेत क्रांति का श्रेय डॉ. कुरियन को जाता है. उन्होंने यह साबित करके दिखाया कि आप बेहद सामान्य और गरीब लोगों के साथ जुड़कर एक बहुत कामयाब बिज़नेस और उद्योग खड़ा कर सकते हैं जिससे गरीब लोगों को मुनाफा हो. हाशिये के समाज के बारे में बहुत कम लोग सोच पाते हैं और डॉ. कुरियन के प्रयासों ने देश के इस बहुत बड़े तबके की अर्थव्यवस्था को खड़ा करने का काम किया.
बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ के शब्दों में : सिर्फ दूध उत्पादन ही नहीं, बल्कि दूध के अन्य प्रोडक्ट का एक बहुत बड़ा नेटवर्क भारत में जो खड़ा है, उसका श्रेय भी डॉ. कुरियन को देकर सभी को उन्हें सलाम करना चाहिए. मुझे उस महान शख्सियत से मिलने का मौका मिला था, जब वो युवा उद्यमी थे और वह तब भी हम सबको प्रेरणा दे रहे थे. मुझे अफसोस है कि उस ज़माने में मोबाइल फोन नहीं था, वर्ना मैं उनके साथ एक सेल्फी ज़रूर लेकर संजोए रखती.
पूर्व इसरो प्रमुख माधवन नायर के शब्दों में : भले ही डॉ. कुरियन इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से आते थे, लेकिन उस इलाके के गरीबों और ग्रामीणों के साथ उनका एक रूहानी जुड़ाव था. इस जुड़ाव का नतीजा यह हुआ कि भारत समय के साथ दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना. अपने जुनून और भविष्य को लेकर साफ नज़रिये के कारण डॉ. कुरियन बेहद उल्लेखनीय व्यक्तित्व रहे हैं.
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के शब्दों में : महानतम भारतीयों में से एक, महान प्रवर्तक, दृष्टा और प्रतिबद्धता की मिसाल डॉ. कुरियन. जब उन्होंने सहकारिता आंदोलन शुरू किया, तब भारत में ऐसा कोई आंदोलन नहीं था और आज भारत में 10 लाख से ज़्यादा सहकारी संस्थाएं हैं. हमें आज डॉ. कुरियन की कई रूपों में ज़रूरत है, कृषि, खाद्य जैसे कई क्षेत्रों में डॉ. कुरियन जैसी शक्तियों की ज़रूरत है. वो अपने आप में एक संस्था थे और यही उनकी परंपरा है.
विप्रो चेयरमैन अज़ीम प्रेमजी के शब्दों में : उनके व्यक्तित्व और योगदान को लेकर इतना कुछ कहा जा चुका है कि मैं कुछ नया उसमें जोड़ नहीं सकता. वह न केवल भारत के आमूलचूल बदलाव का चेहरा थे, बल्कि दुनिया भर में समाज सेवा के उदाहरण भी रहे. मुझे उनके साथ काम करने और उनसे मिलने का मौका मिला. मैं जब उनके बेंगलूरु प्लांट में गया था, तो वहां आश्चर्यजनक रूप से सफाई थी. तब उन्होंने बताया था कि वहां हर व्यक्ति अपने काम के साथ सफाई भी अपने हिस्से की खुद करता था. नए भारत के निर्माताओं में शुमार डॉ. कुरियन हमेशा प्रेरणा देते रहे और देते रहेंगे.
उद्यमी और SEWA की संस्थापक इला भट्ट के शब्दों में : उनके योगदान को मैं इसलिए बहुत अहम समझती हूं क्योंकि उन्होंने सहकारिता को मार्केट इकोनॉमी का पर्याय बना दिया था. उन्होंने किसानों को उत्पादक का दर्जा दिलाया. वो निडर थे और अपने लक्ष्य को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध. वो एक सहज इंसान भी थे और मुझे मेरे हर जन्मदिन पर ग्रीटिंग भेजा करते थे इसलिए भी मैं उन्हें अक्सर याद करती हूं.
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