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हिंदी साहित्य को म्यूज़िक में बदल रही हैं ये युवा सिंगर

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अब वे म्यूज़िक और पोएट्री प्रोजेक्ट के तहत हिंदी कवि, लेखकों को श्रद्धांजलि दे रही हैं.

हिंदी साहित्य को म्यूज़िक में बदल रही हैं ये युवा सिंगरचिनमई त्रिपाठी (image: Facebook)
क्लासिकल सिंगर चिनमई त्रिपाठी जब छह साल की थीं तो उनके एक फैमिली फ्रेंड ने उनकी आवाज़ सुनी. उन्होंने चिनमई के माता-पिता से कहा कि उन्हें चिनमई को सिंगिंग सिखानी चाहिए.

चिनमई के पेरेंट्स साहित्यिक क्षेत्र से हैं. उनके पिता संस्कृत स्कॉलर और मां हिंदी टीचर हैं. दोनों ही संगीत से प्यार करते हैं. इसके बाद हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत सीखने के लिए चिनमई मध्यप्रदेश की सागर यूनिवर्सिटी में गईं.

कॉलेज में संगीत सीखने के साथ-साथ चिनमई ने खुद गाने लिखे और कंपोज़ भी किए. पिछले दिनों सिंगर और लिरिसिस्ट चिनमई के सफर में एक नया मोड़ आया. उन्होंने अपना एक गाना Music & Poetry प्रोजेक्ट के तहत रिलीज किया. ये एल्बम हिंदी साहित्य के सबसे प्रख्यात कवियों के काम पर आधारित है.



हालांकि ये उनका पहला एल्बम नहीं है. वे इससे पहले दो और एल्बम 'सुन ज़रा' 'मन बावरा' रिलीज कर चुकी हैं.

चिनमई त्रिपाठी


तीन साल पहले, उन्होंने स्पाइस रूट नामक का बैंड भी शुरू किया था. बैंड शुरू करने पर वे कहती हैं कि बैंड शुरू करने के लिए मैंने कोई प्लान नहीं किया था. मैं सिर्फ दोस्तों के साथ कुछ गानों की प्रैक्टिस कर रही थी और हमने जो म्यूजिक क्रिएट किया, वह सबको पसंद आया. तब हमने सोचा कि हम सब एक टीम बन सकते हैं. उनकी टीम 80 फीसदी ऑरीजनल गाने ही री-क्रिएट करते हैं.



चिनमई की म्यूजिक की शुरुआती फॉर्मल ट्रेनिंग स्कूल के बाद ली और वह मानती हैं कि उनका संगीत सीखने का सिलसिला ता-उम्र चलेगा.

कविताओं, साहित्य को गाने के रूप में रीक्रिएट करने के पीछे उनका मानना है कि हमने कभी कबीर और हरीवंश राय बच्चन को इंडिपेंडेंट म्यूजिक की तरह नहीं सुना था. वे मानती हैं कि ऐसे बहुत से कवियों के काम और हिंदी कविताओं को नॉर्मल गाने सुनने वाले लोग नहीं जानते. अब वे म्यूज़िक और पोएट्री प्रोजेक्ट के तहत हिंदी कवि, लेखकों को श्रद्धांजलि दे रही हैं.
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