हद से ज्यादा सुंदर होती हैं ये साड़ी, कच्चे धागे से होती हैं तैयार, बनाने में लगते हैं 30 दिन, कीमत कितनी?
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Kotpad Saree: कॉटन और जॉर्जेट वाली साड़ी आपने कई लोगों को पहने देखा होगा. लेकिन कोटपाड़ साड़ी खास है. जानिए इसे कैसे तैयार किया जाता है.
Kotpad Saree: भारत में हर राज्य में आपको लोग साड़ी पहने दिखाई देंगे. यह पारंपरिक परिधान न केवल संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि फैशन की दुनिया में भी इसका एक अहम स्थान है. कुछ ऐसा ही हमें देखने को मिला दिल्ली के हैंडलूम हार्ट में जहां पर उड़ीसा से आई जयमापनिका ने अपना स्टॉल लगा रखा है. वो कोटपाड़ साड़ी का स्टॉल लगा रहीं हैं.
उड़ीसा की फेमस कोटपाड़ साड़ी
1. जयमापनिका के स्टॉल पर कोटपाड़ साड़ी देख लोग आकर्षित हो रहे हैं. इन साड़ियों का डिजाइन केवल पारंपरिक नहीं बल्कि इनमें इस्तेमाल होने वाली बुनाई की प्रक्रिया भी सदियों पुरानी है.
2. कोटपाड़ साड़ी उड़ीसा के कोटपाड़ गांव की विशेषताएं है. जहां बुनकर साड़ियों को बुनते हैं. इस साड़ी के जटिल डिजाइन और रंगों में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है जो इसे एक अलग रूप देता है.
1. जयमापनिका के स्टॉल पर कोटपाड़ साड़ी देख लोग आकर्षित हो रहे हैं. इन साड़ियों का डिजाइन केवल पारंपरिक नहीं बल्कि इनमें इस्तेमाल होने वाली बुनाई की प्रक्रिया भी सदियों पुरानी है.
2. कोटपाड़ साड़ी उड़ीसा के कोटपाड़ गांव की विशेषताएं है. जहां बुनकर साड़ियों को बुनते हैं. इस साड़ी के जटिल डिजाइन और रंगों में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है जो इसे एक अलग रूप देता है.
कितनी है इस खास साड़ी की कीमत
जयमापनिका ने बताया कि इन साड़ियों के लिए उनके पति को राष्ट्रपति अवार्ड भी मिल चुका है. उन्होंने बताया एक साड़ी को तैयार होकर बनने तक में 15 दिन से लेकर 1 महीने तक का समय लग जाता है.बात करें इन साड़ियों के कीमत की तो जयपालिका ने बताया कि साड़ी की जो कीमत होती है. वह डिजाइन पर निर्भर करता है. इनके पास जो साड़ी मौजूद थी वह 8000 से लेकर 18000 तक की साड़ियां हैं.
जयमापनिका ने बताया कि इन साड़ियों के लिए उनके पति को राष्ट्रपति अवार्ड भी मिल चुका है. उन्होंने बताया एक साड़ी को तैयार होकर बनने तक में 15 दिन से लेकर 1 महीने तक का समय लग जाता है.बात करें इन साड़ियों के कीमत की तो जयपालिका ने बताया कि साड़ी की जो कीमत होती है. वह डिजाइन पर निर्भर करता है. इनके पास जो साड़ी मौजूद थी वह 8000 से लेकर 18000 तक की साड़ियां हैं.
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जयमापनिका बताया कि कोटपाड़ साड़ी उड़ीसा की संस्कृति का प्रतीक है और इसका उद्देश्य पारंपरिक हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देना है. हम इस साड़ी के माध्यम से उड़ीसा के कारीगरों को एक नई पहचान देना चाहते हैं. हमें खुशी है कि दिल्ली के हैंडलूम हार्ट में हमारे स्टॉल को शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है.
हर कोई करता है डिजाइन की तारीफ
कोटपाड़ सदियों की खासियत उनके समृद्ध रंग जटिल बनाई और पारंपरिक डिजाइन में है. उड़ीसा के कारीगरों की मेहनत और कला का जो भी देखता है बहुत तारीफ करता है.
कोटपाड़ सदियों की खासियत उनके समृद्ध रंग जटिल बनाई और पारंपरिक डिजाइन में है. उड़ीसा के कारीगरों की मेहनत और कला का जो भी देखता है बहुत तारीफ करता है.
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