Heart attack: हार्ट अटैक के समय एस्पिरिन की गोली क्या सच में मौत से बचाती है? जानें क्या कहते हैं डॉक्टर और क्या हो SOS
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Heart attack and Asprin: इन दिनों देश में हार्ट अटैक (heart attack) के मामले बढ़ते जा रहे है. ऐसे में सोशल मीडिया पर कुछ डॉक्टर सलाह दे रहे हैं कि आप हमेशा अपने पास एस्पिरिन की गोली रखें ताकि हार्ट अटैक होने पर तुरंत इसे ले सके. लेकिन क्या यह सच है. बता रहे हैं डॉ नित्यानंद त्रिपाठी...

Does Asprine save life in heart attack: देश में हार्ट अटैक की समस्या बढ़ती जा रही है. इन दिनों सोशल मीडिया पर कई ऐसी तस्वीरें और वीडियो शेयर किए जा रहे हैं जिनमें हार्ट अटैक से कम उम्र के लोगों की तत्काल मौत को दिखाया गया है. कई यंग उम्र के लोगों को जिम में एक्सरसाइज करते मौत को दिखाया गया है. कोई राह चलते ही गिर पड़ता है तो कोई अचानक बेहोश हो जाता है. दरअसल, हार्ट एक पंपिंग मशीन है जहां से शुद्ध खून पंप होकर शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं तक पहुंचता है और उन्हें ऑक्सीजन और पोषण देता है. लेकिन हार्ट तक खून पहुंचना अगर कम हो जाए या बंद हो जाए तो हार्ट अटैक आ जाता है.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हार्ट को खून पहुंचाने वाली कोरोनरी आर्टरी (Coronary artery) में कोलेस्ट्रॉल या अन्य चिपचिपा पदार्थ जमा हो जाता है. इससे आर्टरी में ब्लॉकेज हो जाता है. हार्ट अटैक किसी को भी आ सकता है. अधिकांश हार्ट अटैक के मामलों में सीने में दर्द होता है. कभी-कभी तेज दर्द होता है जो गर्दन, जबड़ा, कान और कलाई तक पहुंच जाता है. अचानक आए हार्ट अटैक के इस तरह के मामलों में तत्काल एस्पिरिन लेने की सलाह दी जाती है.
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तो क्या एस्पिरिन की गोली हार्ट अटैक के समय लेना सही है
फॉर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग, नई दिल्ली में कार्डियोल़ॉजी एंड इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी विभाग के यूनिट हेड और डायरेक्टर डॉ नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि हार्ट अटैक के तत्काल बाद आप एस्पिरिन ले सकते हैं लेकिन किसी भी हाल में हार्ट अटैक आने पर सॉर्बिटॉल (sorbitol) न लें. सॉर्बिटॉल चबाने वाली मीठी दवा होती है. इसमें शुगर और अल्कोहल का मिश्रण होता है. डॉ नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि कुछ तरह के हार्ट अटैक में सॉर्बिटॉल काम कर सकता है लेकिन अधिकांश हार्ट अटैक में सॉर्बिटॉल से नुकसान होता है. इसमें अचानक बहुत हाई बीपी हो जाता है, जिसके कारण मौत का जोखिम बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि सर्बिटॉल की जगह एस्पिरिन 325 एमजी ली जा सकती है.
फॉर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग, नई दिल्ली में कार्डियोल़ॉजी एंड इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी विभाग के यूनिट हेड और डायरेक्टर डॉ नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि हार्ट अटैक के तत्काल बाद आप एस्पिरिन ले सकते हैं लेकिन किसी भी हाल में हार्ट अटैक आने पर सॉर्बिटॉल (sorbitol) न लें. सॉर्बिटॉल चबाने वाली मीठी दवा होती है. इसमें शुगर और अल्कोहल का मिश्रण होता है. डॉ नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि कुछ तरह के हार्ट अटैक में सॉर्बिटॉल काम कर सकता है लेकिन अधिकांश हार्ट अटैक में सॉर्बिटॉल से नुकसान होता है. इसमें अचानक बहुत हाई बीपी हो जाता है, जिसके कारण मौत का जोखिम बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि सर्बिटॉल की जगह एस्पिरिन 325 एमजी ली जा सकती है.
हार्ट अटैक आने के बाद एस्पिरिन को जीभ पर रखकर चूसते रहे. दवा को निगलनी नहीं है. इसके अलावा हार्ट अटैक आने पर क्लोपीडॉगरेल टैबलेट 300 एमजी (clopidogrel)लेनी चाहिए या इसके अलावा आप स्टेटिन दवाइयां जैसे कि फ्लुवास्टेटिन, लोवास्टेटिन ले सकते हैं. हार्ट अटैक के समय ये दवाइयां लेना अमृत के समान है क्योंकि इससे मरने की आशंका बहुत कम हो जाती है.
हार्ट अटैक आने पर तत्काल क्या करना चाहिए Heart attack SOS
डॉ नित्यानंद त्रिपाठी कहते हैं कि हार्ट अटैक आने पर अगर मरीज बेहोश हो गया है तो उसके सीने पर मुक्का मारें या जोर से दबाएं. अगर आस-पास किसी व्यक्ति को पीसीआर देने आता है तो वह बेस्ट ऑप्शन है. जिसके परिवार में हार्ट अटैक की हिस्ट्री है उनके परिवार के सदस्यों को हर हाल में पीसीआर देना सीख लेनी चाहिए. हर हाल में मरीज को होश में लाना जरूरी है. अगर मरीज होश में है तो तुरंत उसे एस्पिरिन या क्लोपीडॉगरेल या स्टेटिन की दवाइयां दें और जितनी जल्दी हो सके, डॉक्टर के पास ले जाएं. इस बीच मरीज को कुछ तरल पदार्थ दे सकते हैं लेकिन यह भी बहुत कम दें. न दें तो ज्यादा अच्छा है. डॉ त्रिपाठी ने बताया कि हार्ट अटैक अगर गंभीर है जैसे अगर वीटी वीएफ है तो मरीज के बचने की संभावन बहुत कम हो जाती है.
डॉ नित्यानंद त्रिपाठी कहते हैं कि हार्ट अटैक आने पर अगर मरीज बेहोश हो गया है तो उसके सीने पर मुक्का मारें या जोर से दबाएं. अगर आस-पास किसी व्यक्ति को पीसीआर देने आता है तो वह बेस्ट ऑप्शन है. जिसके परिवार में हार्ट अटैक की हिस्ट्री है उनके परिवार के सदस्यों को हर हाल में पीसीआर देना सीख लेनी चाहिए. हर हाल में मरीज को होश में लाना जरूरी है. अगर मरीज होश में है तो तुरंत उसे एस्पिरिन या क्लोपीडॉगरेल या स्टेटिन की दवाइयां दें और जितनी जल्दी हो सके, डॉक्टर के पास ले जाएं. इस बीच मरीज को कुछ तरल पदार्थ दे सकते हैं लेकिन यह भी बहुत कम दें. न दें तो ज्यादा अच्छा है. डॉ त्रिपाठी ने बताया कि हार्ट अटैक अगर गंभीर है जैसे अगर वीटी वीएफ है तो मरीज के बचने की संभावन बहुत कम हो जाती है.
वीटी वीएफ यानी वेंट्रीकुलर टेकीकार्डिया और वेंट्रीकुलर फिबरीलेशन (ventricular tachycardia (VT) and ventricular fibrillation (VF) में लाइफ थ्रेटनिंग कंडीशन हो जाती है. इसमें हार्ट बीट बहुत अनियमित हो जाता है और ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ जाता है. इसमें सडेन कार्डिएक डेथ की आशंका बहुत अधिक बढ़ जाती है. इसलिए जितना जल्दी हो हार्ट अटैक वाले मरीज को नजदीकी अस्पताल ले जाएं.
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Lakshmi Narayan
Excelled with colours in media industry, enriched more than 14 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed in all genres viz print, television and digital media. He professed his contribution ...और पढ़ें
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