होली पर धूम मचाती हैं यह अनोखी मिठाई, स्वाद ऐसा कि भूल जाएंगे गुजिया खाना, बनाने का तरीका भी खास
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Holi 2025: मिठाई तैयार करने वाले सत्यनारायण पितलिया ने कहा कि घेवर जयपुर की सबसे प्रसिद्ध मिठाई हैं जो राजा महाराजाओं के जमाने से बनती आ रही हैं. त्यौहार के सीजन में जयपुर में घेवर ही सबसे ज्यादा तैयार होता हैं...और पढ़ें
त्यौहारों का सीजन शुरू होते ही जयपुर के बाजारों में मिठाई की रोनक शुरू हो जाती हैं. ऐसे ही जयपुर की सबसे प्रसिद्ध मिठाई जिसकी पूरे सालभर सबसे ज्यादा डिमांड रहती हैं. ऐसे ही होली से घेवर मिठाई जो जयपुर की हर दुकानों पर बनते हुए नज़र आती हैं. घेवर एक ऐसी मिठाई हैं जिस एक ही मिठाई को अलग-अलग आकार में 5 प्रकार से तैयार किया जाती हैं. घेवर मिठाई की डिमांड होली और तीज के त्यौहार पर सबसे ज्यादा रहती हैं.
वर्षों से घेवर मिठाई तैयार करने वाले सत्यनारायण पितलिया बताते है कि घेवर जयपुर की सबसे प्रसिद्ध मिठाई हैं जो राजा महाराजाओं के जमाने से बनती आ रही हैं. त्यौहार के सीजन में जयपुर में घेवर ही सबसे ज्यादा तैयार होता हैं. घेवर मिठाई की डिमांड लोगों में सबसे ज्यादा रहती हैं. इसलिए वह पूरे सालभर यह मिठाई तैयार करते हैं. जयपुर के चारदीवारी बाजार में ऐसी कई दुकानें हैं. जो 100 साल से भी अधिक पुरानी हैं. जहां घेवर मिठाई बनाई जाती हैं. घेवर के बारे में कहा जाता हैं. जितनी पुरानी दुकान उतना स्वादिष्ट स्वाद घेवर इसलिए लोग पुरानी दुकानें से सबसे ज्यादा घेवर खरीदते हैं.
एक मिठाई 5 अलग-अलग आकार में होती हैं तैयार
सत्यनारायण पितलिया बताते हैं, बाजारों में हलवाइयों की दुकानों पर एक से बढ़कर एक लाजवाब मिठाई बनती हैं लेकिन घेवर ही एकमात्र ऐसी अनोखी मिठाई हैं जो एक ही मटेरियल से पांच अलग-अलग साइज में तैयार होती हैं. जिन्हें अलग-अलग रूप में सजाया जाता हैं, घेवर मिठाई मिनी घेवर, मावा घेवर, पनीर घेवर, ड्राई फ्रूट्स घेवर और रबड़ी घेवर जैसी अलग अलग वैरायटी में तैयार की जाती हैं, इसलिए बाजारों में सबसे ज्यादा इस अनोखी मिठाई की खूब डिमांड रहती हैं बात करें घेवर की कीमत की तो 300 रूपए से लेकर 1 हजार रुपए तक बिकती हैं. शादियों और त्यौहारी सीजन में तो इतनी डिमांड होती हैं कि दिन रात घेवर बनाने पड़ते हैं. खासतौर पर होली और तीज के त्यौहार से पहले भारी मात्रा मात्रा घेवर तैयार होते हैं. तब जाकर इसकी आपूर्ति होती हैं. सत्यनारायण पितलिया बताते हैं कि यह एक ऐसी अनोखी मिठाई हैं. जो विदेशी पर्यटकों को भी सबसे ज्यादा पंसद आती हैं इसलिए वह विदेशों में जाने के लिए सूखे घेवर भी तैयार करते हैं. जिन्हें विदेशी पर्यटक सबसे ज्यादा खरीदते हैं. घेवर मिठाई तेल और शुद्ध घी दोनों रूप में तैयार होती हों जैसी कस्टमर्स की डिमांड होती हैं वैसी ही इन्हें तैयार किया जाता हैं.
सत्यनारायण पितलिया बताते हैं, बाजारों में हलवाइयों की दुकानों पर एक से बढ़कर एक लाजवाब मिठाई बनती हैं लेकिन घेवर ही एकमात्र ऐसी अनोखी मिठाई हैं जो एक ही मटेरियल से पांच अलग-अलग साइज में तैयार होती हैं. जिन्हें अलग-अलग रूप में सजाया जाता हैं, घेवर मिठाई मिनी घेवर, मावा घेवर, पनीर घेवर, ड्राई फ्रूट्स घेवर और रबड़ी घेवर जैसी अलग अलग वैरायटी में तैयार की जाती हैं, इसलिए बाजारों में सबसे ज्यादा इस अनोखी मिठाई की खूब डिमांड रहती हैं बात करें घेवर की कीमत की तो 300 रूपए से लेकर 1 हजार रुपए तक बिकती हैं. शादियों और त्यौहारी सीजन में तो इतनी डिमांड होती हैं कि दिन रात घेवर बनाने पड़ते हैं. खासतौर पर होली और तीज के त्यौहार से पहले भारी मात्रा मात्रा घेवर तैयार होते हैं. तब जाकर इसकी आपूर्ति होती हैं. सत्यनारायण पितलिया बताते हैं कि यह एक ऐसी अनोखी मिठाई हैं. जो विदेशी पर्यटकों को भी सबसे ज्यादा पंसद आती हैं इसलिए वह विदेशों में जाने के लिए सूखे घेवर भी तैयार करते हैं. जिन्हें विदेशी पर्यटक सबसे ज्यादा खरीदते हैं. घेवर मिठाई तेल और शुद्ध घी दोनों रूप में तैयार होती हों जैसी कस्टमर्स की डिमांड होती हैं वैसी ही इन्हें तैयार किया जाता हैं.
कैसे बनती है यह स्पेशल मिठाई
घेवर मिठाई को सामान्य रूप से दूध और मैदा के घोल में घी डालकर बनाया जाता हैं घोल को अच्छी तरह तैयार करने के बाद उसे घी या तेल में गरम कढ़ाई में तला जाता हैं. फिर चाशनी में डुबोकर इसे बाहर निकालर इस पर मावे, पनीर, रबड़ी की परत लगाई जाती हैं. एक घेवर बिल्कुल सामान्य भी होता हैं जो बिना चाशनी के होता हैं. जिसे फिका घेवर कहते हैं, लोग इसे भी खूब खरीदते हैं और फिर अपने घर पर ही इसमें चाशनी देते हैं, घेवर मिठाई देशी घी और तेल दोनों रूप में तैयार की जाती हैं, तेल और घी के अंतर से बस इसके स्वाद और किमत में अंतर आ जाता हैं.
घेवर मिठाई को सामान्य रूप से दूध और मैदा के घोल में घी डालकर बनाया जाता हैं घोल को अच्छी तरह तैयार करने के बाद उसे घी या तेल में गरम कढ़ाई में तला जाता हैं. फिर चाशनी में डुबोकर इसे बाहर निकालर इस पर मावे, पनीर, रबड़ी की परत लगाई जाती हैं. एक घेवर बिल्कुल सामान्य भी होता हैं जो बिना चाशनी के होता हैं. जिसे फिका घेवर कहते हैं, लोग इसे भी खूब खरीदते हैं और फिर अपने घर पर ही इसमें चाशनी देते हैं, घेवर मिठाई देशी घी और तेल दोनों रूप में तैयार की जाती हैं, तेल और घी के अंतर से बस इसके स्वाद और किमत में अंतर आ जाता हैं.
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