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चुस्ता के पीछे दीवानी है बिहार की जनता, स्वाद ऐसा कि चंपारण मीट को देता है टक्कर, ऐसे होता है तैयार 

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चुस्ता को बिल्कुल मटन के जैसे ही पकाया जाता है. इसे घर पर बनाने के लिए मटन के साथ ही इसे भी अच्छे से धोया जाता है. साफ करने के लिए गर्म पानी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं, सुविधा के अनुसार लोग इसे दुकान पर ही छोटे टुकड़ों में कटवा लेते हैं.

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उधव कृष्ण/ पटना:- बिहारियों के दिलों में चुस्ता का स्वाद बसा हुआ है, जो उनकी जुबान पर हमेशा रहता है. पटना के जल्ला गली में चिकन और मीट शॉप के संचालक सत्येंद्र नारायण Local18 को बताते हैं कि दरअसल चुस्ता एक पारंपरिक बिहारी व्यंजन है, जो मटन के साथ ही बनाया जाता है. वे आगे कहते हैं कि इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका स्वाद, आकार और खुशबू है, जो लोगों को खूब आकर्षित करती है.


ऐसे बनाएं घर पर स्वादिष्ट चुस्ता
नून का चौराहा पर मटन और चिकन का एक ढ़ाबा चलाने वाले राज नंदन चौधरी बताते हैं कि चुस्ता को बिल्कुल मटन के जैसे ही पकाया जाता है. इसे घर पर बनाने के लिए मटन के साथ ही इसे भी अच्छे से धोया जाता है. साफ करने के लिए गर्म पानी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं, सुविधा के अनुसार लोग इसे दुकान पर ही छोटे टुकड़ों में कटवा लेते हैं. इसकी सफाई अच्छे से करनी जरूरी होती है. इसके बाद एक कढ़ाई में तेल गर्म करें और इसमें प्याज, लहसुन और अदरक डालकर भुनें. इसमें मटन और चुस्ता डालें और इसे तब तक पकाएं, जब तक यह पूरी तरह से नर्म न हो जाए. इसके बाद इसमें गरम मसाला, जीरा, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और नमक डालें और इसे अच्छी तरह से मिलाएं. इसके बाद इसे धीमी आंच पर 01 घंटे से कुछ अधिक देर तक पकाएं. इसके बाद यह स्वादिष्ट और लजीज पकवान तैयार हो जाएगा.
इसलिए होती है चंपारण मीट से तुलना
ढ़ाबे के संचालकराज नंदन लोकल18 को आगे बताते हैं कि चुस्ता को मटन के साथ रखकर धीमी आंच में देर तक पकाया जाता है, जिससे यह बेहद स्वादिष्ट और लजीज बनता है. वहीं चुस्ता की कीमत की बात करें, तो अलग-अलग जगहों पर इसकी कीमतें अलग-अलग देखने को मिलती हैं. हालांकि इसे वजन के हिसाब से या पीस के आकार के हिसाब से बेचा जाता है. इसकी शुरुआती कीमत 60 रूपए होती है. जबकि एक सामान्य पीस 70 रुपए का मिलता है. इसका अधिकतम मूल्य 90 रुपए प्रति पीस तक होता है.
वे आगे कहते हैं कि चुस्ता की मांग यहां बहुत ज्यादा है, इसलिए रोजाना सिर्फ नून के चौराहे में स्थित छोटी दुकानों और ठेलों पर करीब 50 किलो मटन लोग चट कर जाते हैं. वहीं शनिवार और रविवार के दिन ये आंकड़ा 80 किलो तक पहुंच जाता है. लोग चुस्ता खाने के लिए कई घंटे तक इंतजार भी करते हैं. फिलहाल सावन को लेकर इसकी डिमांड कम है, बाकि दिनों में खूब डिमांड रहती है.
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