The People's Poet : नागार्जुन की वह ऐतिहासिक कविता, जिसने इंदिरा गांधी का सिंघासन हिला दिया था
Author:
Last Updated:
साल 1974-75 में जिन दिनों बिहार में छात्र आंदोलन चरम पर था, उन दिनों बाबा नागार्जुन ने इंदिरा गांधी पर लिखी अपनी कविता पढ़कर भरी सभी के जोश को दोगुना कर दिया था. 'इन्दु जी क्या हुआ आपको' उस दौर की सबसे चर्चित कविता रही, जिसे नागार्जुन के कविता संग्रह 'खिचड़ी विप्लव देखा हमने' में भी शामिल किया गया. इस रचना संग्रह को साल 1980 में 'संभावना प्रकाशन' ने प्रकाशित किया था. आप भी पढ़ें वो ऐतिहासिक कविता जिसमें इंदिरा गांधी जैसी शक्तिशाली महिला के सिंघासन को हिला देने की ताकत थी…
बिहार के मधुबनी में जन्मे जनकवि बाबा नागार्जुन को साहित्य अकादमी समेत कई सम्मानित पुरस्कारों से नवाजा गया.आजादी के बाद हिंदी साहित्य में एक समय ऐसा भी आया था, जब प्रगतिशील रचनाकारों का नाम लेना समकालीन संस्कृति के विरुद्ध मान लिया गया था. प्रयोग और नवीनता के नाम पर अनगिनत नारे हवा में तैर रहे थे, आंदोलनों की बहार थी, आक्रोश और विद्रोह आश्चर्यजनक रूप से फैल रहा था, ऐसे में प्रगतिशील रचनाकारों की बात को केंद्र में लाना जोखिम भरा काम था. प्रगतिशील समीक्षक अपनी साहित्यिक प्रतिष्ठा को दांव पर नहीं लगाना चाहते थे, जिसके चलते इस माहौल में जो कवि-लेखक खुलकर सामने आए ‘बाबा नागार्जुन’ उनमें से एक थे.
प्रगतिशील रचना की मान्य प्रवृत्तियां नागार्जुन की रचनाओं में सबसे मुखर थीं. उनकी रचनाओं की बात करें तो आजादी के बीस से पच्चीस सालों तक उनका रचनाकाल रहा. इन वर्षों में उन्होंने बहुत कुछ लिखा और लोगों के बीच भारी संख्या में पढ़े गए. नागार्जुन की रचनाओं का हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान है. वे एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने लोकप्रिय होने के लिए कभी कोई समझौता नहीं किया. उन्हें जो सही लगा, उन्होंने वह किया बिना इस बात की परवाह किए कि इसका अंजाम क्या होगा. जब-जब उन्हें लगा कि जनता बदलाव के अपने रास्ते पर है, वे उसके साथ सीखते-सिखाते आगे बढ़ते गए.
साल 1974-75 में बिहार में छात्र आंदोलन चरम पर था. जयप्रकाश नारायण छात्रों के मसीहा बन चुके थे और इंदिरा सरकार के खिलाफ पूरे देश में असंतोष फैल चुका था. जेपी के संपूर्ण क्रांति आह्वान के दौरान छात्रों और युवाओं का आंदोलन गुजरात से शुरू होकर बिहार पहुंच गया था.
पटना के गांधी मैदान की 18 मार्च 1974 की वो ऐतिहासिक सभा और उस दौरान तमाम कवियों का नुक्कड़ों पर सत्ता विरोधी तेवर आज भी इतिहास में दर्ज है. वो ऐसा समय था, मानो हर भारतीय के भीतर क्रांति का बीज बो दिया गया हो. ऐसे में पटना के कदमकुआं का साहित्य सम्मेलन भवन और तमाम वक्ताओं के बीच बैठे जनकवि बाबा नागार्जुन… नागार्जुन ने माइक संभाला और कविता सुनाने लगे, कविता थी- ‘इंदु जी, इंदु जी क्या हुआ आपको, सत्ता की मस्ती में भूल गईं बाप को…’
‘इन्दु जी क्या हुआ आपको’ उस दौर की सबसे चर्चित कविता रही, जिसे नागार्जुन के कविता संग्रह ‘खिचड़ी विप्लव देखा हमने’ में भी शामिल किया गया. इस रचना संग्रह को साल 1980 में ‘संभावना प्रकाशन’ ने प्रकाशित किया. तो आइए पढ़ते हैं, वो ऐतिहासिक कविता जिसने इंदिरा गांधी के सिंघासन को हिला दिया था-
इन्दु जी क्या हुआ आपको : नागार्जुन
क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको?
सत्ता की मस्ती में
भूल गईं बाप को?
इन्दु जी, इन्दु जी, क्या हुआ आपको?
बेटे को तार दिया, बोर दिया बाप को!
क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको?
सत्ता की मस्ती में
भूल गईं बाप को?
इन्दु जी, इन्दु जी, क्या हुआ आपको?
बेटे को तार दिया, बोर दिया बाप को!
क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको?
आपकी चाल-ढाल देख-देख लोग हैं दंग
हकूमती नशे का वाह-वाह कैसा चढ़ा रंग
सच-सच बताओ भी
क्या हुआ आपको
यों भला भूल गईं बाप को!
हकूमती नशे का वाह-वाह कैसा चढ़ा रंग
सच-सच बताओ भी
क्या हुआ आपको
यों भला भूल गईं बाप को!
छात्रों के लहू का चस्का लगा आपको
काले चिकने माल का मस्का लगा आपको
किसी ने टोका तो ठस्का लगा आपको
अन्ट-शन्ट बक रही जनून में
शासन का नशा घुला ख़ून में
फूल से भी हल्का
समझ लिया आपने हत्या के पाप को
इन्दु जी, क्या हुआ आपको
बेटे को तार दिया, बोर दिया बाप को!
काले चिकने माल का मस्का लगा आपको
किसी ने टोका तो ठस्का लगा आपको
अन्ट-शन्ट बक रही जनून में
शासन का नशा घुला ख़ून में
फूल से भी हल्का
समझ लिया आपने हत्या के पाप को
इन्दु जी, क्या हुआ आपको
बेटे को तार दिया, बोर दिया बाप को!
बचपन में गांधी के पास रहीं
तरुणाई में टैगोर के पास रहीं
अब क्यों उलट दिया ‘संगत’ की छाप को?
क्या हुआ आपको, क्या हुआ आपको
बेटे को याद रखा, भूल गई बाप को
इन्दु जी, इन्दु जी, इन्दु जी, इन्दु जी…
तरुणाई में टैगोर के पास रहीं
अब क्यों उलट दिया ‘संगत’ की छाप को?
क्या हुआ आपको, क्या हुआ आपको
बेटे को याद रखा, भूल गई बाप को
इन्दु जी, इन्दु जी, इन्दु जी, इन्दु जी…
रानी महारानी आप
नवाबों की नानी आप
नफ़ाख़ोर सेठों की अपनी सगी माई आप
काले बाज़ार की कीचड़ आप, काई आप
नवाबों की नानी आप
नफ़ाख़ोर सेठों की अपनी सगी माई आप
काले बाज़ार की कीचड़ आप, काई आप
सुन रहीं गिन रहीं
गिन रहीं सुन रहीं
सुन रहीं सुन रहीं
गिन रहीं गिन रहीं
हिटलर के घोड़े की एक-एक टाप को
एक-एक टाप को, एक-एक टाप को
गिन रहीं सुन रहीं
सुन रहीं सुन रहीं
गिन रहीं गिन रहीं
हिटलर के घोड़े की एक-एक टाप को
एक-एक टाप को, एक-एक टाप को
सुन रहीं गिन रहीं
एक-एक टाप को
हिटलर के घोड़े की, हिटलर के घोड़े की
एक-एक टाप को…
छात्रों के ख़ून का नशा चढ़ा आपको
यही हुआ आपको
यही हुआ आपको
एक-एक टाप को
हिटलर के घोड़े की, हिटलर के घोड़े की
एक-एक टाप को…
छात्रों के ख़ून का नशा चढ़ा आपको
यही हुआ आपको
यही हुआ आपको
और पढ़ें