प्रसाद की जगह इस मंदिर में लोग चढ़ाते हैं चप्पल और सैंडल, रोचक है इसके पीछे की कहानी
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Jijibai mata mandir: मां जीजीबाई के कई भक्त विदेश से भी उनके लिए जूते-चप्पल भेजते रहते हैं. ओम प्रकाश की मानें तो मां दुर्गा के लिए सिंगापुर, पेरिस, जर्मनी और अमेरिका से भी चप्पलें आती हैं.

शुभम सिंह बसोनिया/भोपाल: देशभर में देवी-देवताओं के कई मंदिर हैं और लोग प्रसाद लेकर वहां पूजा करने जाते हैं. अलग-अलग देवी-देवताओं को वहां की मान्यता के हिसाब से अलग तरह के प्रसाद चढ़ते हैं. मंदिरों में जाने से पहले लोग अपने चप्पल-जूते बाहर उतार कर जाते हैं और इन्हें अंदर पहनकर जाने पर भगवान का अपमान माना जाता है. भोपाल में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां प्रसाद के रूप में भक्त अपने चप्पल-जूते चढ़ाते हैं. आपको सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह सच है.
विदेशों से आते हैं जूते और सैंडल
भोपाल के कोलार क्षेत्र में देवी का मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और यहां माता सिद्धिदात्री विराजमान हैं. इस मंदिर को जीजाबाई माता मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां देवी की पूजा बेटी के रूप में होती है और यहां आने वाले भक्त देवी को भेंट के रूप में नई-नई चप्पल चढ़ाते हैं. देवी मां के भक्त विदेशों से भी नए-नए जूते और सैंडल भेजते हैं.
भोपाल के कोलार क्षेत्र में देवी का मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और यहां माता सिद्धिदात्री विराजमान हैं. इस मंदिर को जीजाबाई माता मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां देवी की पूजा बेटी के रूप में होती है और यहां आने वाले भक्त देवी को भेंट के रूप में नई-नई चप्पल चढ़ाते हैं. देवी मां के भक्त विदेशों से भी नए-नए जूते और सैंडल भेजते हैं.
कोलार की पहाड़ी पर लगभग 300 सीढ़ी चढ़कर मां सिद्धिदात्री मंदिर पर पहुंचना पड़ता है. इस मंदिर की स्थापना ओमप्रकाश ने करीब 30 वर्ष पहले की थी. ओम प्रकाश बताते हैं कि मंदिर की स्थापना से पहले उन्होंने भगवान शिव और पार्वती का विवाह कराया गया था. इस विवाह में उन्होंने पार्वती जी का खुद कन्यादान अपने हाथों से किया था, इसलिए ओम प्रकाश माता को बेटी मानकर पूजा करते हैं.
जीजी बाई मंदिर और पहाड़ा वाला मंदिर भी है नाम
इस मंदिर को लोग सिद्धिदात्री पहाड़ वाला मंदिर के अलावा पहाड़ा वाला मंदिर और जीजी बाई के मंदिर के नाम से भी जानते हैं. मां यहां बाल रूप में स्थापित हैं. बेटी की सेवा में कोई कमी नहीं रह जाए इसलिए बच्चों और बेटियों के उपयोग का सभी सामान मां को अर्पित किया जाता है. बेटियों की तरह उनके सारे नखरे और शौक भी पूरे किए जाते हैं.
इस मंदिर को लोग सिद्धिदात्री पहाड़ वाला मंदिर के अलावा पहाड़ा वाला मंदिर और जीजी बाई के मंदिर के नाम से भी जानते हैं. मां यहां बाल रूप में स्थापित हैं. बेटी की सेवा में कोई कमी नहीं रह जाए इसलिए बच्चों और बेटियों के उपयोग का सभी सामान मां को अर्पित किया जाता है. बेटियों की तरह उनके सारे नखरे और शौक भी पूरे किए जाते हैं.
माता के नाराज होने पर बदले जाते हैं कपड़े
यहां मां-दुर्गा की देखभाल एक बेटी की तरह होती है. ओम प्रकाश को आभास होता है कि देवी खुश नहीं है तो दिन में दो-तीन बार माता रानी के कपड़े बदल दिए जाते हैं. उनके मुताबिक, 25 सालों में अब तक माता रानी के 15 लाख से अधिक कपड़े, चप्पल और श्रृंगार बदले जा चुके हैं. मंदिर में जीजाबाई माता को हर रोज नई-नई पोशाक पहनाई जाती है. नवरात्रि में यहां दरबार में भक्तों की भारी भीड़ होती है.
यहां मां-दुर्गा की देखभाल एक बेटी की तरह होती है. ओम प्रकाश को आभास होता है कि देवी खुश नहीं है तो दिन में दो-तीन बार माता रानी के कपड़े बदल दिए जाते हैं. उनके मुताबिक, 25 सालों में अब तक माता रानी के 15 लाख से अधिक कपड़े, चप्पल और श्रृंगार बदले जा चुके हैं. मंदिर में जीजाबाई माता को हर रोज नई-नई पोशाक पहनाई जाती है. नवरात्रि में यहां दरबार में भक्तों की भारी भीड़ होती है.
मान्यता ये भी है
मान्यता यह है कि इस मंदिर में मां को नई चप्पल, सैंडल, चश्मा, गर्मियों के सीजन में कैप और घड़ी चढ़ाने से देवी माता प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. इसीलिए मां जीजीबाई के कई भक्त विदेश से भी उनके लिए जूते-चप्पल भेजते रहते हैं. ओम प्रकाश की मानें तो मां दुर्गा के लिए सिंगापुर, पेरिस, जर्मनी और अमेरिका से भी चप्पलें आती हैं.
मान्यता यह है कि इस मंदिर में मां को नई चप्पल, सैंडल, चश्मा, गर्मियों के सीजन में कैप और घड़ी चढ़ाने से देवी माता प्रसन्न हो जाती हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. इसीलिए मां जीजीबाई के कई भक्त विदेश से भी उनके लिए जूते-चप्पल भेजते रहते हैं. ओम प्रकाश की मानें तो मां दुर्गा के लिए सिंगापुर, पेरिस, जर्मनी और अमेरिका से भी चप्पलें आती हैं.
क्या होता है चप्पल जूतों का उपयोग
ओम प्रकाश बताते हैं की भक्तों द्वारा चढ़ाए जाने वाले जूते-चप्पलों को गरीब, बेसहारा और जरूरतमंद लोगों को प्रसाद के रूप में दे दिया जाता है.
ओम प्रकाश बताते हैं की भक्तों द्वारा चढ़ाए जाने वाले जूते-चप्पलों को गरीब, बेसहारा और जरूरतमंद लोगों को प्रसाद के रूप में दे दिया जाता है.
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