Advertisement

MP : 3 हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले के सभी 6 आरोपी बरी, भोपाल जिला अदालत का फैसला

Last Updated:

E-tender Scam : जल संसाधन विभाग का टेंडर 8 जनवरी 2018 को खुला और 6 फरवरी को बंद हुआ था. ओरिजनल टेंडर 116 करोड़ का था. लेकिन आरोप थे कि मनीष खरे ने ओस्मो कंपनी के संचालकों के साथ मिलकर टेम्परिंग के बाद टेंडर को 105 करोड़ का कर दिया. खरे पर टेंडर सोरठिया बेलजी एंड रत्न कंपनी को दिलाने का आरोप था. आरोप था कि खरे को इसके एवज में 1 करोड़ 23 लाख कमीशन मिला था. हालांकि टेंडर निरस्त होने के बाद खरे ने कमीशन की पूरी राशि अकाउंट के जरिये वापस कर दी थी. अकाउंट के ट्रांजेक्शन के साथ तमाम तकनीकी साक्ष्य जुटाने के बाद खरे को गिरफ्तार किया गया था

3 हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले के सभी 6 आरोपी बरी, भोपाल जिला अदालत का फैसलाभोपाल जिला अदालत ने ई टेंडर घोटाले के सभी 6 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया.
भोपाल. मध्य प्रदेश के बहुचर्चित 3 हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले में सभी छह आरोपियों को भोपाल कोर्ट ने बरी कर दिया है. सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी किया गया. बीजेपी की शिवराज सरकार के दौरान ई टेंडर घोटाला हुआ था और कमलनाथ सरकार के दौरान इस मामले में एफआईआर दर्ज की गयी थी. साल 2019 से यह मामला कोर्ट में चल रहा था. बुधवार को इस पर फैसला आया.

भोपाल जिला अदालत ने ई टेंडर घोटाले के सभी 6 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया. इस मामले में अभियोजन पक्ष कोर्ट में पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाया. ईओडब्ल्यू ने जल निगम के तीन टेंडर को लेकर कोर्ट में सबूत पेश किए थे. आरोपी पक्ष के वकील प्रशांत एम हरने ने कहा कि घोटाला हुआ ही नहीं था. इसलिए कोर्ट में ईओडब्ल्यू सबूतों को पेश नहीं कर पाया.

जो आरोपी बरी हुए
1–नंद किशोर ब्रह्मे,ओएसडी इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम
2–विनय चौधरी, ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के डायरेक्टर
3–वरुण चतुर्वेदी,ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के डायरेक्टर
4–सुमित गोलवलकर,ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के डायरेक्टर
5–मनोहर एमएन, एंटारस सिस्टम्स वाइस प्रेसिडेंट,
6–मनीष खरे, बिजनेसमैन
इन सभी के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, आईटी एक्ट की धारा 66 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 और 13 (2) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था.
कब हुआ था ख़ुलासा
जल संसाधन विभाग का टेंडर 8 जनवरी 2018 को खुला और 6 फरवरी को बंद हुआ था. ओरिजनल टेंडर 116 करोड़ का था. लेकिन आरोप थे कि मनीष खरे ने ओस्मो कंपनी के संचालकों के साथ मिलकर टेम्परिंग के बाद टेंडर को 105 करोड़ का कर दिया. खरे पर टेंडर सोरठिया बेलजी एंड रत्न कंपनी को दिलाने का आरोप था. आरोप था कि खरे को इसके एवज में 1 करोड़ 23 लाख कमीशन मिला था. हालांकि टेंडर निरस्त होने के बाद खरे ने कमीशन की पूरी राशि अकाउंट के जरिये वापस कर दी थी. अकाउंट के ट्रांजेक्शन के साथ तमाम तकनीकी साक्ष्य जुटाने के बाद खरे को गिरफ्तार किया गया था.
क्या है पूरा मामला?
ई-टेंडर घोटाले की जांच लंबे समय से अटकी हुई थी. करीब 3 हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले में साक्ष्यों एवं तकनीकी जांच में पाया गया कि ई प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर मप्र जल निगम मर्यादित के 3 टेंडर, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मप्र सड़क विकास निगम का एक, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक. इस तरह कुल 9 निविदाओं के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की गई. EOW ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉंस टीम को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्ड डिस्क भेजी थीं.इसमें से टेंपरिंग की पुष्टि हुई थी. ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी.

About the Author

मनोज राठौड़सीनियर स्पेशल करिस्पांडेंट
मनोज राठौर News18 मप्र/छग, भोपाल में सीनियर स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट हैं. 14 साल से मध्यप्रदेश की राजनीतिक, प्रशासनिक पत्रकारिता में सक्रिय. पीपुल्स समाचार में 4 साल तक क्राइम रिपोर्टिंग की. ईटीवी मप्र में 7 साल क...और पढ़ें
मनोज राठौर News18 मप्र/छग, भोपाल में सीनियर स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट हैं. 14 साल से मध्यप्रदेश की राजनीतिक, प्रशासनिक पत्रकारिता में सक्रिय. पीपुल्स समाचार में 4 साल तक क्राइम रिपोर्टिंग की. ईटीवी मप्र में 7 साल क... और पढ़ें
न्यूज़18 हिंदी को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homemadhya-pradesh
3 हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले के सभी 6 आरोपी बरी, भोपाल जिला अदालत का फैसला
और पढ़ें