आस्था: यहां है माता हिंगलाज का चमत्कारी मंदिर, रेल पुल नहीं बन पा रहा था, तो माता ने स्वप्न में आकर बताया उपाय
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Hinglaj Devi Praachin Temple, Narmadapuram: 1973 से पहले तक यहां गुफा रही है, इस गुफा में महात्मा रहा करते थे. फिर 1973 में आई बाढ़ के कारण गुफा में मिट्टी भर जाने से यह गुफा बंद हो गई थी. फिर यहा पूजा-पाठ भी बंद हो गया था.
दुर्गेश सिंह राजपूत
नर्मदापुरम. मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में प्राचीन देवी हिंगलाज माता का मंदिर चमत्कारी माना जाता है. यह मंदिर मां नर्मदा के तट खर्राघाट किनारे बना हुआ है जो कि भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां पर शारदीय एवं चैत्र दोनों ही नवरात्र पर सुबह से भक्तों की भीड़ लगती है और देर शाम तक बनी रहती है. यहां पर प्राकृतिक वातावरण और धार्मिल स्थल होने के नवरात्र के अलावा भी भक्तों का आना जाना साल भर लगा रहता है.
नर्मदापुरम. मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में प्राचीन देवी हिंगलाज माता का मंदिर चमत्कारी माना जाता है. यह मंदिर मां नर्मदा के तट खर्राघाट किनारे बना हुआ है जो कि भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां पर शारदीय एवं चैत्र दोनों ही नवरात्र पर सुबह से भक्तों की भीड़ लगती है और देर शाम तक बनी रहती है. यहां पर प्राकृतिक वातावरण और धार्मिल स्थल होने के नवरात्र के अलावा भी भक्तों का आना जाना साल भर लगा रहता है.
यहां तलघर में विराजमान हैं देवी मां
खर्राघाट स्थित हिंगलाज माता के मंदिर में मां की प्राचीन प्रतिमा तलघर में जमीन के स्तर से लगभग 11 फीट नीचे गुफा में विराजमान है. इस मंदिर की प्रतिमा छोटी सी गुफा में होने के कारण नीचे 4 लोग ही बैठकर पूजा और दर्शन कर सकते हैं. श्रद्धालुओं का कहना है कि इस मंदिर की गुफा में माता के दर्शन करना और माता के सामने सर झुकाने के दौरान अलग ही शांति महसूस होती है.
खर्राघाट स्थित हिंगलाज माता के मंदिर में मां की प्राचीन प्रतिमा तलघर में जमीन के स्तर से लगभग 11 फीट नीचे गुफा में विराजमान है. इस मंदिर की प्रतिमा छोटी सी गुफा में होने के कारण नीचे 4 लोग ही बैठकर पूजा और दर्शन कर सकते हैं. श्रद्धालुओं का कहना है कि इस मंदिर की गुफा में माता के दर्शन करना और माता के सामने सर झुकाने के दौरान अलग ही शांति महसूस होती है.
1973 से पहले तक महात्मा करते थे पूजा अर्चन
मंदिर के पुजारी का कहना है कि नवरात्र के मौके पर प्रतिदिन हजार से दो हजार भक्त यहां आते हैं. 1973 से पहले तक यहां गुफा रही है, इस गुफा में महात्मा रहा करते थे. फिर 1973 में आई बाढ़ के कारण गुफा में मिट्टी भर जाने से यह गुफा बंद हो गई थी. फिर यहा पूजा-पाठ भी बंद हो गया था.
मंदिर के पुजारी का कहना है कि नवरात्र के मौके पर प्रतिदिन हजार से दो हजार भक्त यहां आते हैं. 1973 से पहले तक यहां गुफा रही है, इस गुफा में महात्मा रहा करते थे. फिर 1973 में आई बाढ़ के कारण गुफा में मिट्टी भर जाने से यह गुफा बंद हो गई थी. फिर यहा पूजा-पाठ भी बंद हो गया था.
रेल पुल नहीं बन पा रहा था, माता ने बताया उपाय
पुजारी का कहना है कि वर्ष 1990-92 में यहां नया रेल ब्रिज बनाया जा रहा था, भोपाल के ठेकेदार मालवीय के द्वारा यहां पर गड्ढे का काम चलाया जा रहा था, लेकिन लगातार पानी आ रहा था, कितना भी निकाल लो, पर पानी खत्म नहीं हो रहा था. ठेकेदार बेहद परेशान था. एक रात मां ने ठेकेदार को सपना दिया और कहा कि मंदिर की जगह की खुदाई करो और मंदिर को निकालो. फिर बनाओ तो उस के बाद तुम्हारा काम होगा.
पुजारी का कहना है कि वर्ष 1990-92 में यहां नया रेल ब्रिज बनाया जा रहा था, भोपाल के ठेकेदार मालवीय के द्वारा यहां पर गड्ढे का काम चलाया जा रहा था, लेकिन लगातार पानी आ रहा था, कितना भी निकाल लो, पर पानी खत्म नहीं हो रहा था. ठेकेदार बेहद परेशान था. एक रात मां ने ठेकेदार को सपना दिया और कहा कि मंदिर की जगह की खुदाई करो और मंदिर को निकालो. फिर बनाओ तो उस के बाद तुम्हारा काम होगा.
ठेकेदार ने ऐसा ही किया, यहां पर खुदाई कराई गई और मंदिर निकाला गया, उसके बाद चमत्कारिक ढंग से गड्ढों का पानी खत्म हो गया और पुल का निर्माण हो सका.
रेल विभाग कराता है भंडारे का आयोजन
देवी मां के चमत्कार को देख ठेकेदार ने 1995 में यहां नए मंदिर का निर्माण करवा दिया. इसके बाद से हर साल यहां रेल विभाग की ओर से भंडारे का आयोजन होता है. शिवरात्रि पर भी टीसी, लोको पायलट और रेल कर्मचारियों का भंडारा यहां होता है. बाकी अन्य दिनों में अन्य भक्तगण भी यहां भंडारे का आयोजन कराते हैं.
देवी मां के चमत्कार को देख ठेकेदार ने 1995 में यहां नए मंदिर का निर्माण करवा दिया. इसके बाद से हर साल यहां रेल विभाग की ओर से भंडारे का आयोजन होता है. शिवरात्रि पर भी टीसी, लोको पायलट और रेल कर्मचारियों का भंडारा यहां होता है. बाकी अन्य दिनों में अन्य भक्तगण भी यहां भंडारे का आयोजन कराते हैं.
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निखिल वर्मा
एक दशक से डिजिटल जर्नलिज्म में सक्रिय. दिसंबर 2020 से News18Hindi के साथ सफर शुरू. न्यूज18 हिन्दी से पहले लोकमत, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, इंडिया न्यूज की वेबसाइट में रिपोर्टिंग, इलेक्शन, खेल और विभिन्न डे...और पढ़ें
एक दशक से डिजिटल जर्नलिज्म में सक्रिय. दिसंबर 2020 से News18Hindi के साथ सफर शुरू. न्यूज18 हिन्दी से पहले लोकमत, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, इंडिया न्यूज की वेबसाइट में रिपोर्टिंग, इलेक्शन, खेल और विभिन्न डे... और पढ़ें
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