Bhojshala ASI Survey: सर्वे की रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश, जानें अब तक क्या-क्या मिला, क्या है इतिहास?
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Bhojshala Survey Update: एएसआई ने धार की भोजशाला सर्वे रिपोर्ट 15 जुलाई को इंदौर हाईकोर्ट में पेश कर दी. अब इस पर अगली सुनावाई 22 जुलाई को होगी. एएसआई को इस भोजशाला से अभी तक 1600 से ज्यादा अवशेष मिल चुके हैं. इनमें भगवान श्री कृष्ण-श्री विष्णु की परिवार सहित मूर्तियों सहित कई अवशेष शामिल हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि आज बहुत खुशी का दिन है. आज महत्वपूर्ण सफलता मिली है. भोजशाला परिसर से 94 खंडित मूर्तियां मिली हैं. इन्हें जो भी देखेगा वो ये कहेगा कि यहां मंदिर हुआ करता था.

मिथिलेश गुप्ता, इंदौर. इंदौर से बड़ी खबर है. एएसआई (Archeological Survey of India-ASI) ने धार स्थित भोजशाला की रिपोर्ट इंदौर हाईकोर्ट में पेश कर दी है. याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहा कि एएसआई ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी है. हिन्दू फॉर जस्टिस इस कानूनी लड़ाई को लड़ रहा है. इस मामले की सुनवाई अब 22 जुलाई को होगी. उन्होंने कहा कि एएसआई का यह सर्वे 98 दिन बिना छुट्टी के चला. एएसआई की रिपोर्ट 2000 से अधिक पेज की है. एएसआई की टीम ने भोजशाला और इसके आसपास के 50 मीटर के दायरे में यह सर्वे किया है. टीम के साथ मजदूरों और हिंदू-मुस्लिम पक्षकार को अंदर जाने की अनुमति थी. टीम ने सर्वे के दौरान यहां फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी कराई है.
गौरलतब है कि एएसआई का सर्वे 27 जून को पूरा हुआ था. इस साल 11 मार्च को इंदौर हाईकोर्ट ने कहा था कि ज्ञानवापी के बाद अब मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला का एएसआई सर्वे होगा. इस मामले में सामाजिक संगठन ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के याचिका दाखिल की थी. हाई कोर्ट ने इसके लिए एएसआई को 5 सदस्यीय कमिटी गठन करने के आदेश दिए थे. इसके बाद भोजशाला में एएसआई का सर्वे 22 मार्च को शुरू हुआ. इसके बाद एएसआई ने भोजशाला के सर्वे के लिए इंदौर हाईकोर्ट से 8 हफ्तों का और समय मांगा था. हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल को इस याचिका को मंजूर कर लिया है. दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष ने भी भोजशाला का सर्वे रोकने के लिए याचिका लगाई थी. उसकी याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.
सर्वे में मिले इतने अवशेष
इस सर्वे के बीच हिंदू पक्षकार आशीष गोयल ने दावा किया है कि यहां से अभी तक जो नक्काशीदार पत्थर, मूर्तियां, सनातनी धर्म से जुड़े अवशेष मिले हैं, वो परमार कालीन हैं. चूंकि, राजा भोज परमार वंश के थे, उन्होंने ही भोजशाला का निर्माण करवाया था, इसलिए यहां परमार काल से जुड़े अवशेष मिल रहे हैं. बता दें, इस भोजशाला से अभी तक 1600 से ज्यादा अवशेष मिल चुके हैं. इनमें भगवान श्री कृष्ण-श्री विष्णु की परिवार सहित मूर्तियां, उर्दू-फारसी लिखे शिलालेख, गौशाला के नीचे से दीवारें, भाले, दीवार पर बाहर की तरफ बना गौमुख, शिखर का आधार, शंख चक्र, कमलपुष्प, स्तंभ, स्तंभों के अवशेष, स्तंभ के आधार, मां वाग्देवी की प्रतिमा, महिषासुरमर्दिनी प्रतिमा के अवशेष, तीर के छोटे-छोटे टुकड़े, धातु के सिक्के, गणेश प्रतिमा, भैरव नाथ, नीलम का पत्थर, भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं के अवशेष, कई तरह के पत्थर शामिल हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि आज बहुत खुशी का दिन है. आज महत्वपूर्ण सफलता मिली है. भोजशाला परिसर से 94 खंडित मूर्तियां मिली हैं. इन्हें जो भी देखेगा वो ये कहेगा कि यहां मंदिर हुआ करता था.
इस सर्वे के बीच हिंदू पक्षकार आशीष गोयल ने दावा किया है कि यहां से अभी तक जो नक्काशीदार पत्थर, मूर्तियां, सनातनी धर्म से जुड़े अवशेष मिले हैं, वो परमार कालीन हैं. चूंकि, राजा भोज परमार वंश के थे, उन्होंने ही भोजशाला का निर्माण करवाया था, इसलिए यहां परमार काल से जुड़े अवशेष मिल रहे हैं. बता दें, इस भोजशाला से अभी तक 1600 से ज्यादा अवशेष मिल चुके हैं. इनमें भगवान श्री कृष्ण-श्री विष्णु की परिवार सहित मूर्तियां, उर्दू-फारसी लिखे शिलालेख, गौशाला के नीचे से दीवारें, भाले, दीवार पर बाहर की तरफ बना गौमुख, शिखर का आधार, शंख चक्र, कमलपुष्प, स्तंभ, स्तंभों के अवशेष, स्तंभ के आधार, मां वाग्देवी की प्रतिमा, महिषासुरमर्दिनी प्रतिमा के अवशेष, तीर के छोटे-छोटे टुकड़े, धातु के सिक्के, गणेश प्रतिमा, भैरव नाथ, नीलम का पत्थर, भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं के अवशेष, कई तरह के पत्थर शामिल हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि आज बहुत खुशी का दिन है. आज महत्वपूर्ण सफलता मिली है. भोजशाला परिसर से 94 खंडित मूर्तियां मिली हैं. इन्हें जो भी देखेगा वो ये कहेगा कि यहां मंदिर हुआ करता था.
आखिर क्या है इस भोजशाला का विवाद
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने करीब 1,000 साल पुराने भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच अथवा सर्वेक्षण अथवा खुदाई अथवा ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ (जीपीआर) सर्वेक्षण समयबद्ध तरीके से करने की मांग की थी. बता दें, हिंदू संगठनों ने हाईकोर्ट में कहा था कि भोजशाला में मां सरस्वती का मंदिर है. अपने इस दावे को मजबूत करने के लिए हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट के सामने परिसर की रंगीन तस्वीरें भी पेश की थीं. भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन एएसआई का संरक्षित स्मारक है. एएसआई के सात अप्रैल 2003 के आदेश के अनुसार चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है. मुस्लिम समुदाय भोजशाला परिसर को कमाल मौला की मस्जिद बताता है.
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने करीब 1,000 साल पुराने भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच अथवा सर्वेक्षण अथवा खुदाई अथवा ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ (जीपीआर) सर्वेक्षण समयबद्ध तरीके से करने की मांग की थी. बता दें, हिंदू संगठनों ने हाईकोर्ट में कहा था कि भोजशाला में मां सरस्वती का मंदिर है. अपने इस दावे को मजबूत करने के लिए हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट के सामने परिसर की रंगीन तस्वीरें भी पेश की थीं. भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन एएसआई का संरक्षित स्मारक है. एएसआई के सात अप्रैल 2003 के आदेश के अनुसार चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है. मुस्लिम समुदाय भोजशाला परिसर को कमाल मौला की मस्जिद बताता है.
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Nikhil Suryavanshi
Nikhil Suryavanshi is senior Journalist, author & Blogger. He has experienced with giant media groups like Network18, Dainik Bhaskar, Lokmat, Patrika and Free Press. He has written many articles and 3 digit...और पढ़ें
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