इंदौर के मुस्लिम इलाकों में छह दिन में 127 मौत, अधिकारी बोले- इनमें कोरोना नहीं

(प्रतिनिधि फोटो)
इंदौर के प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यहां मुस्लिमों में अन्य समय की तुलना में इस समय मृत्यु दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. मार्च महीने में 130 लोगों को दफनाया गया था, जबकि अप्रैल में 1-6 तारीख तक 127 लोगों की मौत हुई है.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: April 11, 2020, 2:03 PM IST
इंदौर. देश के कोविड-19 (COVID-19) हॉटस्पॉट में से एक इंदौर का प्रशासन कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए हाथ-पांव मार रहा है. लेकिन अब अधिकारियों के सामने कोरोना वायरस से लड़ने के सिलसिले में एक और सिरदर्द उभकर आ गया है. अधिकारियों का कहना है कि शहर में मुस्लिमों में अन्य समय की तुलना में इस समय मृत्यु दर (Mortality Rate) में असामान्य बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
महू नाका कब्रिस्तान में 64 लोगों को दफनाया
उनका कहना है कि मृत्युदर का यह सिलसिला पिछले एक-दो सप्ताह से जारी है. बीते गुरुवार को शहर के चार कब्रिस्तानों में 21 लोगों को दफनाया गया. अकेले महू नाका के कब्रिस्तान में 1 से 9 अप्रैल तक के 64 लोगों को दफनाया गया है, जिनमें गुरुवार को 11 शामिल हैं. खजराना स्थित कब्रिस्तान में महीने के पहले नौ दिनों के अंदर 34 मुर्दे दफनाए गए हैं, जिनमें से एक गुरुवार को दफ्न किया गया. इस अवधि में सिरपुर में 29 दफनाए गए. यहां गुरुवार को तीन लोगों को दफनाया गया था. लुनियापुरा में नौ दिनों में 56 लोगों को दफनाया गया. इनमें छह लोगों को गुरुवार को दफनाया गया था. यह आंकड़ा एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक अखबार से लिया गया है.
मार्च में 130 दफनाए गएरिपोर्ट में कहा गया है कि इन चार कब्रिस्तानों में मार्च महीने में दफनाए गए 130 लोगों की तुलना में यहां अप्रैल के पहले छह दिनों में 127 को दफन किया गया.
तीन हॉस्पिटलों ने इलाज करने से किया था मना
बुजुर्ग महिला मुमताज की मौत 7 अप्रैल को हो गई. उनके बेटे मोहम्मद इकराम ने बताया कि मेरी मां को सीने की बीमारी थी और तीन अस्पतालों ने उनका इलाज करने से मना कर दिया. इसके बाद महाराजा यशवंतराव के डॉक्टरों ने उन्हें निमोनिया बताया और उन्हें आईसीयू में दाखिल किया. उनकी COVID-19 रिपोर्ट निगेटिव थी. पिता की चार महीने पहले हुई मृत्यु के बाद से वह शोक संतप्त थी और वह किसी से मिलती जुलती नहीं थीं.
कशिश उन्नीसा की मौत 6 अप्रैल को हो गई. उनके पोते ज़बीर अली ने बताया कि एनकी दादी 85 वर्ष की थीं. उन्हें कोई बीमारी नहीं थी. उनकी अचानक मौत हो गई. मोहम्मद अंजुम ने बताया कि उनके ससुर मोहम्मद नूर ओडिशा के निवासी थे. उनका इंदौर में कुछ साल पहले हार्ट सर्जरी हुई थी. वे बैचेनी महसूस कर रहे थे इसलिए शहर लौट आए और उनकी हाल ही में मौत हो गई. इन मृतक परिवारों के किसी भी सदस्य में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं पाएग गए हैं.
ये भी पढ़ें: COVID-19: लॉकडाउन ने कुत्तों को बनाया खूंखार, इंदौर में 1000 से ज्यादा हुए शिकार
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महू नाका कब्रिस्तान में 64 लोगों को दफनाया
उनका कहना है कि मृत्युदर का यह सिलसिला पिछले एक-दो सप्ताह से जारी है. बीते गुरुवार को शहर के चार कब्रिस्तानों में 21 लोगों को दफनाया गया. अकेले महू नाका के कब्रिस्तान में 1 से 9 अप्रैल तक के 64 लोगों को दफनाया गया है, जिनमें गुरुवार को 11 शामिल हैं. खजराना स्थित कब्रिस्तान में महीने के पहले नौ दिनों के अंदर 34 मुर्दे दफनाए गए हैं, जिनमें से एक गुरुवार को दफ्न किया गया. इस अवधि में सिरपुर में 29 दफनाए गए. यहां गुरुवार को तीन लोगों को दफनाया गया था. लुनियापुरा में नौ दिनों में 56 लोगों को दफनाया गया. इनमें छह लोगों को गुरुवार को दफनाया गया था. यह आंकड़ा एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक अखबार से लिया गया है.
मार्च में 130 दफनाए गएरिपोर्ट में कहा गया है कि इन चार कब्रिस्तानों में मार्च महीने में दफनाए गए 130 लोगों की तुलना में यहां अप्रैल के पहले छह दिनों में 127 को दफन किया गया.
तीन हॉस्पिटलों ने इलाज करने से किया था मना
बुजुर्ग महिला मुमताज की मौत 7 अप्रैल को हो गई. उनके बेटे मोहम्मद इकराम ने बताया कि मेरी मां को सीने की बीमारी थी और तीन अस्पतालों ने उनका इलाज करने से मना कर दिया. इसके बाद महाराजा यशवंतराव के डॉक्टरों ने उन्हें निमोनिया बताया और उन्हें आईसीयू में दाखिल किया. उनकी COVID-19 रिपोर्ट निगेटिव थी. पिता की चार महीने पहले हुई मृत्यु के बाद से वह शोक संतप्त थी और वह किसी से मिलती जुलती नहीं थीं.
कशिश उन्नीसा की मौत 6 अप्रैल को हो गई. उनके पोते ज़बीर अली ने बताया कि एनकी दादी 85 वर्ष की थीं. उन्हें कोई बीमारी नहीं थी. उनकी अचानक मौत हो गई. मोहम्मद अंजुम ने बताया कि उनके ससुर मोहम्मद नूर ओडिशा के निवासी थे. उनका इंदौर में कुछ साल पहले हार्ट सर्जरी हुई थी. वे बैचेनी महसूस कर रहे थे इसलिए शहर लौट आए और उनकी हाल ही में मौत हो गई. इन मृतक परिवारों के किसी भी सदस्य में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं पाएग गए हैं.
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