इसी बैरक में नेताजी ने काटे थे 214 दिन, उनके नाम का वारंट आज भी सुरक्षित, आजादी से जुड़ी हैं कई यादें
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस को अंग्रेजों ने कैद कर लिया था. जिसके बाद नेताजी ने 214 दिन जबलपुर की सेंट्रल जेल में ही काटे थे. इस दौरान नेताजी दो बार जबलपुर पहुंचे थे. जिस बैरक में नेताजी रहे अब उसी बैरक को म्यूजियम बना दिया गया है.
जबलपुर: नेताजी सुभाष चंद्र सेंट्रल जेल में नेताजी से जुड़े धरोहरों को आसानी से देखा जा सकता है. इसके लिए आपको जबलपुर का सेंट्रल जेल आना होगा. जहां नेताजी से जुड़ी यादें को संजोकर रखा गया है. इसके लिए जेल प्रबंधन ने म्यूजियम भी बनाया है. खास बात यह है नेताजी को जिस बैरक में अंग्रेजों ने रखा था. उसी बैरक को म्यूजियम में तब्दील किया गया है. इसी बैरक की तीन नंबर की पट्टी में नेताजी ने 214 दिन काटें थे.
जिसमें नेताजी से जुड़ी यादें जैसे लकड़ी से बनी पनडुब्बी, बैलगाड़ी के चक्के, ग्रामोफोन, जंजीर, रजिस्टर सहित अन्य खास चीज संग्रहालय में मौजूद हैं. यदि आप नेताजी से जुड़ी यादों को देखना चाहते हैं, तब आप सेंट्रल जेल सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच आ सकते हैं और नेताजी से जुड़ी धरोहरों को म्यूजियम में देख सकते हैं.
दो बार सेंट्रल जेल आए थे नेताजी
नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल के जेलर मदन कमलेश ने बताया नेताजी की यादों को देखने म्यूजियम बनाया गया है. जिसे देखने काफी लोग आते हैं. स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में नेताजी दो बार जबलपुर की इसी जेल में आए हुए थे. जहां अंग्रेजों ने उन्हें 22 दिसंबर 1931 से 16 जुलाई 1932 और दूसरी बार 18 फरवरी 1933 से 22 फरवरी 1933 में कैद कर रखा था. इस तरह नेताजी ने जबलपुर की सेंट्रल जेल में 214 दिन की सजा काटी थी.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल के जेलर मदन कमलेश ने बताया नेताजी की यादों को देखने म्यूजियम बनाया गया है. जिसे देखने काफी लोग आते हैं. स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में नेताजी दो बार जबलपुर की इसी जेल में आए हुए थे. जहां अंग्रेजों ने उन्हें 22 दिसंबर 1931 से 16 जुलाई 1932 और दूसरी बार 18 फरवरी 1933 से 22 फरवरी 1933 में कैद कर रखा था. इस तरह नेताजी ने जबलपुर की सेंट्रल जेल में 214 दिन की सजा काटी थी.
म्यूजियम में है नेताजी की वर्दी सहित अन्य चीजें
इतना नहीं नेता जी के साथ उनके भाई शरद चंद्र बोस भी इसी जेल में बंदे थे. जिस बैरक में अंग्रेजों ने नेताजी को रखा था. उस बैरक में आज भी जेल प्रहरियों की वर्दी, बेल्ट, तिजोरी ब्रिटिश शासनकाल की घड़ी, जंजीरें रखी हुई है. साथ ही नेताजी के हस्ताक्षर वाला जेल रजिस्टर और उनके नाम का वारंट आज भी जबलपुर जेल में सुरक्षित है.
इतना नहीं नेता जी के साथ उनके भाई शरद चंद्र बोस भी इसी जेल में बंदे थे. जिस बैरक में अंग्रेजों ने नेताजी को रखा था. उस बैरक में आज भी जेल प्रहरियों की वर्दी, बेल्ट, तिजोरी ब्रिटिश शासनकाल की घड़ी, जंजीरें रखी हुई है. साथ ही नेताजी के हस्ताक्षर वाला जेल रजिस्टर और उनके नाम का वारंट आज भी जबलपुर जेल में सुरक्षित है.
हालांकि इसके पहले सेंट्रल जेल में जाने की अनुमति हर किसी के लिए नहीं होती थी. लेकिन म्यूजियम बनाए जाने के बाद सुभाष वार्ड में म्यूजियम को तब्दील कर दिया गया. जिसके बाद से ही लोग अब नेताजी की यादों को देखने सेंट्रल जेल आते हैं. सेंट्रल जेल का यह संग्रहालय कैदियों ने ही तैयार किया साथ ही सेंट्रल जेल में चित्रकारी भी की गई है. जिसमें नेताजी की तस्वीरों को भी कैदियों ने बनाया है.
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