भोपाल ही नहीं...रीवा का ये तालाब भी है बेहद खूबसूरत, इस रानी के खातिर हुआ था निर्माण
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Agency:News18 Madhya Pradesh
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मध्य प्रदेश के रीवा शहर को भी तालाबों की नगरी कहा जा सकता है. रीवा जिले में कई ऐतिहासिक और विशाल तालाब हैं. जिन्हें देखने लोग दूर-दूर से आते हैं.
आशुतोष तिवारी/रीवा. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को हम सभी ‘सिटी ऑफ लेक्स’ के नाम से जानते है. लेकिन क्या आपको पता है कि मध्यप्रदेश में एक और ऐसा शहर है जिसे लोग तालाबों या झीलों का शहर कहते हैं. इस शहर का नाम रीवा है. एक जमाना था जब रीवा में 3 हजार से ज्यादा तालाब हुआ करते थे. आज भी हर 10 किलोमीटर के दायरे में यहां कोई न कोई बड़ा तालाब आपको जरूर मिल जाएगा.
मध्यप्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा तालाब भी रीवा में स्थित है. इस तालाब का नाम गोविंदगढ़ का तालाब है. यह तालाब रीवा का ऐतिहासिक तालाब है. तालाब के किनारे सुंदर किला भी स्थित है, जो अब फाइव स्टार होटल में तब्दील हो चुका है. इस तालाब के बनने की बड़ी ही रोचक कहानी है.
ऐसे बना है रीवा का गोविंदगढ़ तालाब
इतिहासकार असद खान ने बताया कि गोविंदगढ़ तालाब के निर्माण की कहानी महाराजा रघुराज सिंह के ब्याह से जुड़ी हुई है. 1851 ईस्वी में मेवाड़ की राजकुमारी सौभाग्य कुंवरी के साथ रीवा के राजकुमार रघुराज सिंह का विवाह हुआ था. तब वहां के राजा और सौभाग्य कुंवरी के पिता ने यह कहा था कि हमारी राजकुमारी को अच्छे महलों में रहने की आदत है. उनके लिए लिए यहां झील के किनारे एक से एक अच्छे महल बनाए गए हैं. हमारा आपसे निवेदन है कि आप हमारी बेटी के लिए एक अच्छा सा महल बनवाएं, जो झील के किनारे हो. महाराज विश्वनाथ सिंह ने ऐसा करने की स्वीकृति दी.
महाराज विश्वनाथ सिंह ने अपनी बहू के लिए रीवा नगर से 20 किलोमीटर की दूर पर 1851 में एक झील को विशाल रूप देना शुरू किया. 1854 तक उन्होंने यह काम करवाया उसके बाद वह स्वर्गवासी हो गए. उसके बाद उनके बेटे रघुराज सिंह राजा बने उन्होंने तालाब के किनारे किले और महलों का निर्माण कराया. बाद में उस तालाब को महाराज वेंकट रमण सिंह जूदेव ने विस्तारित किया. वेंकटरमन सिंह ने 1902 में उस तालाब को विस्तारित किया. जहां नया तालाब है वहां बस्ती हुआ करती थी. महाराज ने उसे बस्ती को वहां से विस्थापित किया. और तालाब को एक वृहद रूप दिया. आज रीवा के गोविंदगढ़ तालाब की गिनती मध्य प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े तालाब में होती है. यह तालाब गोविंदगढ़ के लोगों के लिए आमदनी का जरिया भी बना हुआ है. यहां बड़ी संख्या में मछली पालन भी किया जाता है.
गोविंदगढ़ तालाब को पर्यटन केंद्र रूप में किया जा रहा विकसित
गोविंदगढ़ का तालाब बेहद खुबदूरत है. इस तालाब से पहाड़ का दृश्य भी दिखाई देता है. यहां के खूबसूरत नजारे की वजह से यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यही वजह है कि आने वाले दिनों में इस तालाब में और भी कई बदलावा किए जा रहे है.इस तालाब लो वाटर स्पोर्ट्स के हिसाब से तैयार किया जा रहा है. ताकि लोग यहां जलक्रीड़ा का आनंद ले सकें. साथ ही यहां के प्राकृतिक और मनोरम वातावरण में सैर के लिए नौकाएं भी चलाईं जाएंगी. टूरिस्ट के रुकने के साथ-साथ उनके मनोरंजन की भी पूरी व्यवस्था को जा रही है.इस पूरे इलाके का बेहतर टूरिस्ट मैप तैयार किया जा रहा है.
गोविंदगढ़ का तालाब बेहद खुबदूरत है. इस तालाब से पहाड़ का दृश्य भी दिखाई देता है. यहां के खूबसूरत नजारे की वजह से यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यही वजह है कि आने वाले दिनों में इस तालाब में और भी कई बदलावा किए जा रहे है.इस तालाब लो वाटर स्पोर्ट्स के हिसाब से तैयार किया जा रहा है. ताकि लोग यहां जलक्रीड़ा का आनंद ले सकें. साथ ही यहां के प्राकृतिक और मनोरम वातावरण में सैर के लिए नौकाएं भी चलाईं जाएंगी. टूरिस्ट के रुकने के साथ-साथ उनके मनोरंजन की भी पूरी व्यवस्था को जा रही है.इस पूरे इलाके का बेहतर टूरिस्ट मैप तैयार किया जा रहा है.
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