सागर में जुटेंगे देश भर के साधु, वृंदावन बाग मठ में डालेंगे सावन के झूले, सजेगी अनुपम झांकियां
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Agency:News18 Madhya Pradesh
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सागर के प्रसिद्ध और प्राचीन वृंदावन बाग मठ में मधुश्रवा से 11 दिन का महोत्सव शुरू होगा, जिसमें अनेक लीलाएं की जाएंगी. झूले पर भगवान की झांकी सजाई जाएगी, श्रद्धालु भगवान को झूला, झुला सकेंगे, भजन होंगे, कीर्तन होगी, कथाएं होंगी और प्रसाद भी बांटा जाएगा.
अनुज गौतम/सागर. सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले महादेव की आराधना करने का सबसे उत्तम महीना सावन को माना जाता है. सावन के महीने में शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है. इस बार दो सावन होने की वजह से भोलेनाथ के भक्तों को 2 महीने तक उनकी आराधना करने का मौका मिला है.
लेकिन सागर के लोगों को भगवान की झांकी दूसरे सावन के आखिरी पखवाड़े में ही देखने का सौभाग्य प्राप्त हो सकेगा. दरअसल, इस बार अधिक मास की वजह से सावन के मुख्य कार्यक्रम अधिक मास समाप्त होने के बाद ही शुरू होंगे. सावन के झूले मधुश्रवा से शुरू होते हैं. इस बार मधुश्रवा 19 अगस्त से है.
झूला देखने आते हैं लोग
सागर के प्रसिद्ध और प्राचीन वृंदावन बाग मठ में मधुश्रवा से 11 दिन का महोत्सव शुरू होगा, जिसमें अनेक लीलाएं की जाएंगी. झूले पर भगवान की झांकी सजाई जाएगी, श्रद्धालु भगवान को झूला, झुला सकेंगे, भजन होंगे, कीर्तन होगी, कथाएं होंगी, प्रसादी वितरण होंगे. इस प्राचीन मठ में प्रदेश के बाहर से श्रद्धालु भगवान के झूलों को देखने के लिए आते हैं. अधिकारी, नेताओं का तांता लगा रहता है.
सागर के प्रसिद्ध और प्राचीन वृंदावन बाग मठ में मधुश्रवा से 11 दिन का महोत्सव शुरू होगा, जिसमें अनेक लीलाएं की जाएंगी. झूले पर भगवान की झांकी सजाई जाएगी, श्रद्धालु भगवान को झूला, झुला सकेंगे, भजन होंगे, कीर्तन होगी, कथाएं होंगी, प्रसादी वितरण होंगे. इस प्राचीन मठ में प्रदेश के बाहर से श्रद्धालु भगवान के झूलों को देखने के लिए आते हैं. अधिकारी, नेताओं का तांता लगा रहता है.
19 अगस्त से डाले जाएंगे झूले
मठ के महंत नरहरी दास महाराज ने बताया कि 5 पीढ़ियों पहले जब वृंदावन से आए थे तब उन्होंने इस प्रकार की परंपरा शुरू की थी. उनके बाद लगातार जो भी महंत होता है उनकी परंपरा का निर्वहन कर रहा है जो भी यहां के बारे में जानता है, वह झूलों के समय अवश्य ही आता है. इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. भक्तों के लिए मंदिर प्रांगण में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें लक्ष्मी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहती हैं. मंदिर को रंग बिरंगी लाइटों से दुल्हन की तरह सजाया जाता है. लेकिन इस बार सावन के झूले कुछ देरी से देखने को मिलेंगे क्योंकि इस बार सावन के 2 महीने है. अधिक मास होने की वजह से सावन के झूले 19 अगस्त से डाले जाएंगे, जिसमें भगवान राम लक्ष्मण सीता राधा कृष्ण जगन्नाथ स्वामी भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ झूले का आनंद लेंगे. श्रद्धालु उनके दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे.
मठ के महंत नरहरी दास महाराज ने बताया कि 5 पीढ़ियों पहले जब वृंदावन से आए थे तब उन्होंने इस प्रकार की परंपरा शुरू की थी. उनके बाद लगातार जो भी महंत होता है उनकी परंपरा का निर्वहन कर रहा है जो भी यहां के बारे में जानता है, वह झूलों के समय अवश्य ही आता है. इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. भक्तों के लिए मंदिर प्रांगण में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें लक्ष्मी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहती हैं. मंदिर को रंग बिरंगी लाइटों से दुल्हन की तरह सजाया जाता है. लेकिन इस बार सावन के झूले कुछ देरी से देखने को मिलेंगे क्योंकि इस बार सावन के 2 महीने है. अधिक मास होने की वजह से सावन के झूले 19 अगस्त से डाले जाएंगे, जिसमें भगवान राम लक्ष्मण सीता राधा कृष्ण जगन्नाथ स्वामी भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ झूले का आनंद लेंगे. श्रद्धालु उनके दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे.
भव्य होता है महोत्सव
सावन में मंदिरों में श्रद्धालुओं के द्वारा अलग-अलग तरह से उनका पूजन अर्चन किया जाता है. एक तरफ मंदिरों में भीड़ पड़ती है जहां पर उनका जलाभिषेक किया जाता है बेल पत्री चढ़ाई जाती है तो दूसरी तरफ घरों में या मंदिरों में रुद्री निर्माण होता है रुद्राभिषेक होता है. रुद्र महाभिषेक होता है ऐसे ही सावन के महीने में परंपरागत कुछ मंदिरों में सावन के झूले भी डाले जाते हैं, जिनमें भगवान बैठते हैं और यह महोत्सव बड़े ही भव्य रूप से मनाया जाता है.
सावन में मंदिरों में श्रद्धालुओं के द्वारा अलग-अलग तरह से उनका पूजन अर्चन किया जाता है. एक तरफ मंदिरों में भीड़ पड़ती है जहां पर उनका जलाभिषेक किया जाता है बेल पत्री चढ़ाई जाती है तो दूसरी तरफ घरों में या मंदिरों में रुद्री निर्माण होता है रुद्राभिषेक होता है. रुद्र महाभिषेक होता है ऐसे ही सावन के महीने में परंपरागत कुछ मंदिरों में सावन के झूले भी डाले जाते हैं, जिनमें भगवान बैठते हैं और यह महोत्सव बड़े ही भव्य रूप से मनाया जाता है.
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