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600 साल पुराना सागर का इतिहास, संत रविदास ने किया था सत्संग, राजा ने खुशी से दान कर दी थी भूमि

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600 साल पहले संत रविदास चित्तौड़गढ़ की यात्रा कर रहे थे. तब वह सागर के कर्रापुर में एक रात रुके थे. जहां उन्होंने दरबार लगाया और गुरुवाणी भी सुनाई थी, जब राजा को जानकारी लगी तो वह अपनी रानी के साथ संत का आशीर्व...और पढ़ें

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अनुज गौतम/सागर: संत रविदास का मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा मंदिर सागर में बनने जा रहा है, इसका भूमि पूजन 12 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया जाएगा. इसको लेकर तमाम प्रकार की तैयारी की जा रही हैं, लेकिन हम आपको सागर जिले में स्थित एक ऐसी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर संत रविदास स्वयं आए थे उन्होंने ग्रामीण लोगों को अपनी गुरुवाणी से धन्य किया था. वहीं राजा को जब इनके बारे में पता चला था तो प्रसन्न होकर संत रविदास को जमीन दान कर दी थी, लेकिन उन्होंने यह जमीन ना लेकर परमार्थ में लगाने के लिए कहा था. जिसके बाद एक कुंड का भी निर्माण कराया गया था, जिसे रैदास कुंड के नाम से जाना जाता है और यह आज भी मौजूद है.

ऐसा कहा जाता है कि 600 साल पहले संत रविदास चित्तौड़गढ़ की यात्रा कर रहे थे. तब वह सागर के कर्रापुर में एक रात रूके थे. जहां उन्होंने दरबार लगाया और गुरुवाणी भी सुनाई थी. जब उनके बारे में उस समय के राजा चंद्रहास को जानकारी लगी तो वह अपनी रानी के साथ संत का आशीर्वाद लेने के लिए उनके पास पहुंचे थे. अपने क्षेत्र में संत रविदास के आने से वह इतते प्रसन्न हुए कि उन्होंने कुछ भूमि दान में दी थी. लेकिन उन्होंने कहा कि वह संत है जमीन का क्या करेंगे तब ग्रामीणों के लिए वहां पर एक तालाब का निर्माण कराया गया था जो आज भी यहां पर मौजूद है.
45 साल पहले हुआ था मंदिर का निर्माण
यहां से निकले उस समय के शिलालेख को संरक्षित कर रखा गया है. कर्रापुर में जहां पर गुरु रविदास रुके थे, वहां पर एक मंदिर का निर्माण 45 साल पहले ब्रह्मलीन काशी दास बाबा जी ने करवाया था. उन्होंने ही इसकी खोज की थी, जिसके कुछ प्रतीक मिले थे. इसके बाद मध्य प्रदेश की पूरी रविदासिया समाज के लिए यह आश्रम आस्था का केंद्र बना हुआ है. काशी समिति के द्वारा यहां पर एक स्कूल का संचालन किया जाता है. वही यहां लंगर भी चलाया जाता है.

अब पंचम दास बाबाजी गद्दा सीन हैं
यहां पर संत रविदास की मंदिर में मूर्ति भी स्थापित की गई थी. प्रदेश भर के अनुयाई उनके दर्शन के लिए समय-समय पर पहुंचते रहते हैं. संत रविदास के बारे में खोज करने वाले बाबा काशी दास के ब्रह्मलीन होने के बाद यहां पर पंचम दास बाबाजी गद्दा सीन हैं. उनके द्वारा ही इस आश्रम स्कूल धर्मशाला मंदिर का संचालन किया जा रहा है.
कैसे पहूंचे ?
सागर मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित कर्रापुर में मंदिर और आश्रम मौजूद है. यहां लोग लिए सीधे सड़क मार्ग से पहुंच जाते हैं. यहां  के लिए ऑटो और बस आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं.
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संत रविदास ने सागर में किया था सत्संग, राजा ने खुशी से दान कर दी थी भूमि
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