Mahashivratri 2023: कभी शेर करते थे इस शिवालय की रक्षा, गौमुख से 24 घंटे होता है जलाभिषेक
Edited by:
Agency:News18 Madhya Pradesh
Last Updated:
Shivalaya: मंदिर के पुजारी के अनुसार, मंदिर के निर्माण के बाद जब यहां कोई पुजारी नियुक्त नहीं किया गया, तब इस शिवलिंग कि सुरक्षा का जिम्मा शेरों के हवाले था. दंत कथाओं में यह बात आती है कि बाद में जब मंदिर में पुजारियों की नियुक्तियों का सिलसिला शुरू हुआ तब ये शेर गुफा छोड़ कर अन्यत्र चले गए. कहते हैं कि ये शेर यदा-कदा अब भी आसपास के क्षेत्र में देखे जाते हैं.

रिपोर्ट : सुनील रजक
शिवपुरी. शिवपुरी को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है. कारण यह कि यहां बहुत से प्राचीन शिव मंदिर मौजूद हैं. इन्हीं में से एक है धनेश्वर महादेव. घने जंगल में मौजूद इस शिवालय के बारे में लोक मान्यता है कि पुजारियों की नियुक्ति से पहले यहां मंदिर के बाहर शेर बैठे रहते थे.
मंदिर के पुजारी के अनुसार, मंदिर के निर्माण के बाद जब यहां कोई पुजारी नियुक्त नहीं किया गया, तब इस शिवलिंग कि सुरक्षा का जिम्मा शेरों के हवाले था. दंत कथाओं में यह बात आती है कि बाद में जब मंदिर में पुजारियों की नियुक्तियों का सिलसिला शुरू हुआ तब ये शेर गुफा छोड़ कर अन्यत्र चले गए. कहते हैं कि ये शेर यदा-कदा अब भी आसपास के क्षेत्र में देखे जाते हैं.
200 साल पुराना मंदिर
मंदिर का निर्माण लगभग 200 साल पहले आमोल में रहनेवाले बोहरे जी ने करवाया था. उनकी कोई संतान नहीं थी. एक दिन स्वप्न में भगवान शिव ने साधुवेश में आकर धनेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराने को कहा. तत्पश्चात बोहरे जी के द्वारा चूने से युक्त मंदिर का निर्माण कराया गया. समीप ही गुफा स्थित शिवलिंग को मंदिर में स्थापित कर उस समय प्राण प्रतिष्ठा की गई. मंदिर निर्माण के पश्चात बोहरे जी को संतान सुख की भी प्राप्ति हुई.
तपस्वियों का साधना स्थल
भगवान धनेश्वर महादेव के शिवलिंग पर चौबीसों घंटें गौमुख से प्राकृतिक रूप से जलाभिषेक होता रहता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि जब पास के सिंध नदी पर पुल बनाया जा रहा था, उस समय कुछ इंजीनियर इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति का जायजा लेने के लिए आए. तब एक चौंकाने वाली जानकारी निकल कर सामने आई कि यहां एक चट्टान के नीचे सरोवर है. जिसके चारों ओर कुछ ऋषि मुनि, तपस्वियों के साधना स्थल आज भी दिखाई देते हैं और इसी सरोवर से निकला जल गौमुख तक पहुंचता है और शिवलिंग का जलाभिषेक होता है.
अज्ञातवास के दौरान पांडव का वास
जनश्रुति यह भी है कि यह मंदिर महाभारत काल से है. उन्होंने बताया कि इस सम्पूर्ण क्षेत्र में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने जगह जगह समय व्यतीत किया है. धनेश्वर महादेव पर भी पांडवों ने कुछ समय व्यतीत किया. धनेश्वर महादेव स्थित गौमुख से निकलने वाला जल भी चमत्कारी है. इस जल से चर्म रोग सहित अनेक बीमारियों का इलाज होने का भी दावा किया जाता है.
ऐसे पहुंचें धनेश्वर महादेव मंदिर
शिवपुरी में धनेश्वर महादेव नामक यह स्थान शिवपुरी शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है. यहां जाने के लिए आपको झांसी हाइवे पर शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर अमोला पुल खत्म होते ही अमोलपठा को जाने वाली रोड पर अमोलपठा से तीन किलोमीटर पहले उडवाया नामक गांव है, इस गांव से लगभग 3 किलोमीटर कि दूरी पर है धनेश्वर महादेव.
About the Author
Anurag Anveshiएसोसिएट एडिटर
पत्रकारिता में 20 वर्ष से ज्यादा वक्त गुजारा. झारखंड से प्रकाशित दैनिक देशप्राण से पत्रकारिता की शुरुआत कर प्रभात खबर के धनबाद संस्करण का प्रभार संभाला. दिल्ली के नवभारत टाइम्स में रहते हुए गाजियाबाद, नोएडा, गु...और पढ़ें
पत्रकारिता में 20 वर्ष से ज्यादा वक्त गुजारा. झारखंड से प्रकाशित दैनिक देशप्राण से पत्रकारिता की शुरुआत कर प्रभात खबर के धनबाद संस्करण का प्रभार संभाला. दिल्ली के नवभारत टाइम्स में रहते हुए गाजियाबाद, नोएडा, गु... और पढ़ें
न्यूज़18 हिंदी को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
और पढ़ें