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'लोगों की निजी पसंद में दखलंदाजी की हद थी नोटबंदी'

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नोटबंदी के मुद्दे पर केंद्र पर बरसते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि लोगों से यह कहना उनकी निजी पसंद में दखलंदाजी की हद थी कि वे अपने ही बैंक खातों में रखे पैसे नहीं हासिल कर सकते.

'लोगों की निजी पसंद में दखलंदाजी की हद थी नोटबंदी'Photo: Getty Images
नोटबंदी के मुद्दे पर केंद्र पर बरसते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा है कि लोगों से यह कहना उनकी निजी पसंद में दखलंदाजी की हद थी कि वे अपने ही बैंक खातों में रखे पैसे नहीं हासिल कर सकते. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जीएसटी लागू करने के तौर-तरीके को लेकर बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

हालांकि, उन्होंने कहा कि एक देश एक कर एक ‘महान विचार’ था. थरूर ने कहा, ‘नोटबंदी लोगों को यह बताने की कवायद थी कि वे कौन से नोट रख सकते हैं. सरकार का आपसे यह कहना कि आप अपने ही खाते में रखे पैसे हासिल नहीं कर सकते, यह लोगों की निजी पसंद में दखलंदाजी की हद थी.’ थरूर ‘टाटा लिटरेचर लाइव’ के आठवें संस्करण में ‘वी आर लीविंग इन ए नैनी स्टेट’ विषय पर आयोजित परिचर्चा के दौरान बोल रहे थे. इस परिचर्चा की अध्यक्षता जानेमाने पत्रकार वीर सांघवी ने की.

थरूर ने कहा, ‘जीएसटी की मंशा बहुत अच्छी थी. एक देश एक कर एक महान विचार है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर इस सरकार ने जो किया है, उससे सरकार और नौकरशाहों के लिए तो कुछ बना है, पर लोगों को इससे मदद नहीं मिलेगी.’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘एक देश एक कर की बजाय हमें तीन कर दिए गए हैं, इसके भीतर छह स्लैब हैं और साल में 37 फॉर्म भरने हैं. आपके ऊपर एक ऐसी सरकार बैठी है जो आपके हर मामले में दखल दे रही है.’ उन्होंने बीफ पर पाबंदी की आलोचना करते हुए कहा कि इसने सिर्फ महाराष्ट्र में लाखों लोगों की रोजी-रोटी बर्बाद कर दी.

थरूर ने मलयालम फिल्म ‘एस दुर्गा’ और मराठी फिल्म ‘न्यूड’ को गोवा में होने जा रहे भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के 48वें संस्करण से वापस लेने पर पैदा हुए विवाद का भी जिक्र किया और कहा, ‘सेंसरशिप एक और उदाहरण है, जहां आपने हाल ही में खबरों में देखा कि जूरी ने नहीं बल्कि सरकार ने दो फिल्में भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव से वापस ले ली.’
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