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मोदी के जापान दौरे में क्या होगा 'लव इन टोक्यो'

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भारत और जापान के खास रिश्तों पर चीन की भी नजर होगी, क्योंकि टोक्यो से वापसी के कुछ ही दिन बाद, मोदी दिल्ली में चीन के राष्ट्रपति की आवभगत करेंगे।

मोदी के जापान दौरे में क्या होगा 'लव इन टोक्यो'
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगभग 60 लाख लोग ट्विटर पर फॉलो करते हैं। गुरुवार सुबह उनके ट्वीट देखकर ये लोग हैरान रह गए। मोदी के ट्विटर हैंडल से एक के बाद एक ऐसे आठ ट्वीट किए गए जो न तो हिंदी में थे और न ही अंग्रेजी में। ऐसा लगा जैसे कि उनका ट्विटर हैंडल हैक कर लिया गया हो। लेकिन थोड़ी देर में ही इन ट्वीट्स की असलियत सामने आ गई।

दरअसल, ये ट्वीट जापानी भाषा में किए गए थे। इसकी वजह ये थी कि मोदी 30 अगस्त से जापान की यात्रा पर जा रहे हैं। इन ट्वीट के जरिए मोदी ने सीधे जापानियों से निजी तौर पर जुड़ने की कोशिश की। उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे से अच्छी मुलाकात की उम्मीद जताई। वैसे मोदी के इस दौरे में खास जोर रहेगा कारोबार पर, यही वजह है कि मोदी की यात्रा के दौरान देश के नामी-गिरामी उद्योगपतियों का बड़ा दल भी जापान में साथ रहेगा। सवाल बरकरार है कि मोदी क्या जापानियों का दिल जीत सकेंगे।

यात्रा से पहले ट्विटर पर कूटनीतिक पहल करते हुए मोदी ने लिखा कि जापान के पीएम से मिलने को वे बेहद उत्सुक हैं। ये यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत बनाएगी। मेरे पास, मुख्यमंत्री बतौर जापान यात्रा की सुखद यादें हैं। जापान से भारत की दोस्ती पुरानी और परखी हुई है। दोनों गतिशील लोकतंत्र दुनिया में शांति और समृद्धि बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

उपमहाद्वीप के बाहर ये पीएम मोदी की पहली द्वीपक्षीय विदेश यात्रा है। इस दौरे को जुलाई में संसद सत्र की वजह से स्थगित करना पड़ा था। मोदी 30 अगस्त को क्योटो पहुंचकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्थली जाएंगे, और एक प्रयोगशाला में छात्रों और युवाओं से मिलेंगे। 31 अगस्त को टोक्यो पहुंचकर पीएम मोदी शीर्षस्तर वार्ता में शिरकत करेंगे। वो जापान के महाराजा और महारानी से भी मिलेंगे जिन्होंने सालों के न्योते के बाद पिछले साल नवंबर में भारत का पहली बार दौरा किया था।

गौरतलब है कि सत्ता पर काबिज होने के बाद जापान के पीएम शिंज़ो एबे ने भारत को पहली विदेश यात्रा के लिए चुना था। इस दौरे पर जापान के साथ नागरिक परमाणु करार मुमकिन है। हालांकि लगभग साढ़े तीन सालों की चर्चा के बावजूद अभी भी कुछ पेंच हैं। मोदी के साथ इस दौरे पर मुकेश अंबानी, अदानी, चंदा कोचर, किरण मजूमदार शॉ समेत कई उद्योगपतियों और अर्थशास्त्रियों का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल होगा। जाहिर है दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत जापान के साथ शीर्ष वार्ता में भारत सरकार की प्राथमिकता आर्थिक मुद्दे ही होंगे।

मोदी के जापान दौरे से दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों में और नजदीकी बढ़ने की उम्मीद है। दूसरे विश्व युद्ध में एटम बम का शिकार बना जापान, पहली बार किसी देश को जंगी जहाज बेचने के समझौते को हरी झंडी दिखाने जा रहा है। जेन्स डिफेंस वीकली के संपादक राहुल बेदी ने बताया कि जापान से 15 जहाजों की डील की बात हो रही है जिसमें से 3 हम खरीदेंगे और 12 खुद बनाएंगे। यूपीए के वक्त से परमाणु समझौते पर जारी माथापच्ची का अंत करते हुए हस्ताक्षर हो सकते हैं। भारत और जापान के खास रिश्तों पर चीन की भी नजर होगी, क्योंकि टोक्यो से वापसी के कुछ ही दिन बाद, मोदी दिल्ली में चीन के राष्ट्रपति की आवभगत करेंगे।

2010 से भारत और जापान के बीच हर साल होने वाली 2+2 फॉर्मेट वार्ता को भी अपग्रेड करने की योजना है। रक्षा और विदेश मंत्रालय के सचिव और उप मंत्रियों के बीच होने वाली ये मुलाकातें अब मंत्रियों के स्तर पर किए जाने की उम्मीद है। इस तरह की बातचीत जापान फिलहाल सिर्फ अमेरिका और रूस के साथ करता है। हालांकि लंबे समय से जापान के साथ नागरिक परमाणु समझौते पर क्या अंतिम मुहर लग पाएगी, इसपर सस्पेंस बरकरार है।
(मोदी की जापान यात्रा का एजेंडा, इस यात्रा से उम्मीदें और सामने आने वाली मुश्किलों में परिचर्चा देखने के लिए वीडियो देखें)

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