पूर्व सेना प्रमुख रिटायर्ड जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (MM Narvane) ने चीन की चालबाज़ियों को लेकर बड़ा बयान दिया है. (ANI फोटो)
नई दिल्ली. जून 2020 में लद्दाख स्थित गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर पूर्व सेना प्रमुख रिटायर्ड जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (MM Narvane) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चीन कई वर्षों से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है. वे इसे बहुत छोटे-छोटे चरणों में (सलामी स्लाइसिंग) कर रहे हैं.
पूर्व सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने यह भी कहा कि चीन हर साल इस तरह की दो-तीन कोशिशें करता है और हर बार उन्हें शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है. जनरल नरवणे ने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एक तरफ तो 21वीं सदी की आधुनिक सेना होने का दावा करती है, लेकिन दूसरी तरफ वह हुड़दंग के स्तर तक गिर चुकी है. ये बेहद हास्यास्पद है.
तवांग में चीन की चालबाज़ी हुई नाकाम
पूर्व सेना प्रमुख नरवणे की यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है, जब कुछ दिनों पहले ही 9 दिसंबर को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में एलएसी को पार करने की कोशिश की थी, जिसके भारतीय जवानों ने विफल कर दिया था.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में रिटायर्ड जनरल एमएम नरवणे ने कहा, ‘चीन कई वर्षों से या कहें दशकों से एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है, और वे इसे बहुत छोटे कदमों से बढ़ा रहे हैं जो अपने आप में बहुत खतरनाक नहीं दिखता है. वे काफी सहज दिखते हैं. इसे हम सलामी स्लाइसिंग कहते हैं यानी एक समय में एक इंच ऊपर आना. लेकिन समय के साथ इन कोशिशों में उन्हें बहुत फायदा हुआ है. यही रणनीति उन्होंने अपनाई है और इसे जारी रखे हुए हैं.’
पूर्व सेना प्रमुख ने बताई चीन की रणनीति
जनरल नरवणे ने कहा, ‘अभी इतना ही कहने का समय है और ज्यादा नहीं. वास्तव में यही हुआ कि विशेष रूप से पैनोंग त्सो (लद्दाख स्थित झील) के उत्तर में वे जांच करने की कोशिश कर रहे थे. वे बार-बार आते हैं और फिर वे इसे एक ऐतिहासिक तथ्य बनाना चाहते हैं कि हम यहां आते रहे हैं. उन्होंने इसी तरह यथास्थिति को बदलने की कोशिश की.’
जनरल नरवणे ने कहा कि चीन और भारत के कुछ क्षेत्रों में एलएसी की अलग-अलग धारणा है. दोनों पक्ष अपनी धारणा रेखा तक गश्त करते हैं, लेकिन चीन द्वारा कुछ क्षेत्रों में इसे बाधित करने का प्रयास किया गया. उन्होंने कहा, ‘हम अपनी धारणा रेखा तक गश्त करते हैं, वे अपनी धारणा रेखा तक आते हैं. लेकिन जब ऐसा हो रहा है, अगर गश्ती दल एक ही समय में आमने-सामने आ जाते हैं, तो जाहिर तौर पर टकराव होने की संभावना रहती है.’
पूर्व सेना प्रमुख ने इसके साथ ही कहा, ‘हमारे सैनिक बहुत संयम रखते हैं, उकसावे पर गोली नहीं चलानी होती. हम समझौते का पालन करते हैं… लेकिन जब (गलवान में) PLA के द्वारा उल्लंघन किया जा रहा था तो हमने कहा कि अगर वे उल्लंघन कर रहे हैं तो आपको आत्मरक्षा में कार्रवाई करने की आजादी है. हम यह सुनिश्चित करने में सक्षम रहे कि वे अपनी जगह पर वापस चले जाएं.’
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