...तो केजरीवाल की पार्टी BJP की लाइन पर आ गई, दिग्गज नेता ने कही ऐसी बात, जज कैश मामले से जुड़ा कनेक्शन
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Agency:आईएएनएस
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Judicial Reform News: दिल्ली हाईकोर्ट में जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर कैश मिलने के बाद से न्यायपालिका में सुधार की मांग उठने लगी है. बीजेपी पहले से ही यह बात कहती रही है. अब अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने भी ज्यूडिशियल रिफॉर्म की बात की है.

नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से बड़ी मात्रा में कैश मिलने के बाद एक बार फिर से जजों की नियुक्ति प्रक्रिया और मौजूदा कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठने लगे हैं. इसके साथ ही न्यायपालिका में सुधार की आवाज भी मुखर होने लगी है. उप-राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ विपक्षी नेताओं के साथ ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी पर चर्चा कर चुके हैं. अब अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) भी ज्यूडिशियल रिफॉर्म की मांग में शामिल हो गई है. पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने इस मसले पर अपनी बात स्पष्ट तरीके से रखी है. बता दें कि बीजेपी की अगुआई वाली केंद्र सरकार साल 2014 में जजों की नियुक्ति को लेकर NJAC लेकर आई थी. संसद से इसे पास भी करा लिया गया था, पर सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को ही रद्द कर दिया था.
आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने मंगलवार को राज्यसभा में देश में न्यायिक सुधारों की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि भारत के लोग अदालत को न्याय का मंदिर मानते हैं और जब कोई आम नागरिक इसकी चौखट पर जाता है, तो उसे पूरा विश्वास होता है कि उसे न्याय जरूर मिलेगा. राघव चड्ढा ने कहा, ‘जैसे ऊपर वाले के दरबार में देर हो सकती है, लेकिन अंधेर नहीं, वैसे ही यह माना जाता है कि न्यायपालिका में भले ही समय लगे, लेकिन अन्याय नहीं होगा. समय-समय पर न्यायपालिका ने इस भरोसे को और मजबूत किया है. हाल ही के दिनों में कुछ घटनाओं ने देश को चिंतित कर दिया है, जिसके चलते न्यायिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी हो गया है.’
न्यायपालिका में सुधार
सांसद राघव चड्ढा ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि जिस तरह देश में चुनाव सुधार, पुलिस सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार हुए हैं, उसी तरह न्यायपालिका में भी सुधारों की जरूरत है. हमें ऐसे सुधार चाहिए जो न्यायपालिका को मजबूत करें न कि उसे कमजोर. उन्होंने दो अहम मुद्दों को उठाया, पहला, जजों की नियुक्ति प्रक्रिया और दूसरा, रिटायर जजों को पोस्ट रिटायरमेंट जॉब देने की परंपरा. उन्होंने कहा कि समय-समय पर कॉलेजियम सिस्टम की कमियां सामने आई हैं. लॉ कमीशन की रिपोर्ट्स और कानूनी क्षेत्र के कई बुद्धिजीवियों ने इन खामियों का कई बार जिक्र किया है. शायद इसी वजह से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) जैसे कानून की जरूरत महसूस हुई थी, लेकिन अब समय आ गया है कि कॉलेजियम सिस्टम खुद को सुधारे और नए सिरे से खुद को पुनर्गठित करे. इन कमियों को दूर करने के लिए एक स्वतंत्र और पारदर्शी प्रक्रिया बनानी चाहिए, जिसमें जजों की नियुक्ति वरिष्ठता, योग्यता और ईमानदारी के आधार पर हो.
सांसद राघव चड्ढा ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि जिस तरह देश में चुनाव सुधार, पुलिस सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार हुए हैं, उसी तरह न्यायपालिका में भी सुधारों की जरूरत है. हमें ऐसे सुधार चाहिए जो न्यायपालिका को मजबूत करें न कि उसे कमजोर. उन्होंने दो अहम मुद्दों को उठाया, पहला, जजों की नियुक्ति प्रक्रिया और दूसरा, रिटायर जजों को पोस्ट रिटायरमेंट जॉब देने की परंपरा. उन्होंने कहा कि समय-समय पर कॉलेजियम सिस्टम की कमियां सामने आई हैं. लॉ कमीशन की रिपोर्ट्स और कानूनी क्षेत्र के कई बुद्धिजीवियों ने इन खामियों का कई बार जिक्र किया है. शायद इसी वजह से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) जैसे कानून की जरूरत महसूस हुई थी, लेकिन अब समय आ गया है कि कॉलेजियम सिस्टम खुद को सुधारे और नए सिरे से खुद को पुनर्गठित करे. इन कमियों को दूर करने के लिए एक स्वतंत्र और पारदर्शी प्रक्रिया बनानी चाहिए, जिसमें जजों की नियुक्ति वरिष्ठता, योग्यता और ईमानदारी के आधार पर हो.
आप सांसद का सुझाव
राघव चड्ढा ने इसके लिए एक सुझाव भी पेश किया. उन्होंने कहा कि आज से पहले वकीलों को सीनियर एडवोकेट का दर्जा देने की प्रक्रिया अपारदर्शी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए दिशानिर्देश बनाए. आज उनके लिए पॉइंट-बेस्ड सिस्टम लागू किया गया है, जिसके तहत सीनियर एडवोकेट की नियुक्ति होती है. इसमें प्रैक्टिस के वर्ष, प्रो बोनो मामलों की संख्या और रिपोर्टेड जजमेंट्स के आधार पर अंक दिए जाते हैं. उन्होंने प्रस्ताव रखा कि अगर कॉलेजियम सिस्टम भी ऐसी ही पारदर्शी, पॉइंट-बेस्ड और योग्यता-आधारित सिस्टम अपनाए, तो जजों की नियुक्ति में जनता का भरोसा और बढ़ेगा. सांसद राघव चड्ढा ने जजों के रिटायरमेंट के बाद की स्थिति पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि एक चलन बन गया है कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सरकारें प्रशासनिक या कार्यकारी पदों पर नियुक्त कर देती हैं. इससे हितों के टकराव, कार्यकारी हस्तक्षेप और रिटायरमेंट से पहले के फैसलों पर प्रभाव जैसे सवाल खड़े होते हैं. उन्होंने कहा कि यह स्थिति ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’ को जन्म देती है और न्यायिक फैसलों पर सरकार का प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है.
राघव चड्ढा ने इसके लिए एक सुझाव भी पेश किया. उन्होंने कहा कि आज से पहले वकीलों को सीनियर एडवोकेट का दर्जा देने की प्रक्रिया अपारदर्शी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए दिशानिर्देश बनाए. आज उनके लिए पॉइंट-बेस्ड सिस्टम लागू किया गया है, जिसके तहत सीनियर एडवोकेट की नियुक्ति होती है. इसमें प्रैक्टिस के वर्ष, प्रो बोनो मामलों की संख्या और रिपोर्टेड जजमेंट्स के आधार पर अंक दिए जाते हैं. उन्होंने प्रस्ताव रखा कि अगर कॉलेजियम सिस्टम भी ऐसी ही पारदर्शी, पॉइंट-बेस्ड और योग्यता-आधारित सिस्टम अपनाए, तो जजों की नियुक्ति में जनता का भरोसा और बढ़ेगा. सांसद राघव चड्ढा ने जजों के रिटायरमेंट के बाद की स्थिति पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि एक चलन बन गया है कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सरकारें प्रशासनिक या कार्यकारी पदों पर नियुक्त कर देती हैं. इससे हितों के टकराव, कार्यकारी हस्तक्षेप और रिटायरमेंट से पहले के फैसलों पर प्रभाव जैसे सवाल खड़े होते हैं. उन्होंने कहा कि यह स्थिति ‘कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’ को जन्म देती है और न्यायिक फैसलों पर सरकार का प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है.
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Manish Kumar
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु... और पढ़ें
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