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चीन से रिश्तों पर भारत की दो टूक, सीमा समझौतों को नहीं मानने से द्विपक्षीय संबंधों की बुनियाद हुई गड़बड़

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India-China News: भारत और चीन के बीच रिश्तों में तल्खी किसी से छिपी नहीं है. इस बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कह दिया है कि ड्रैगन के सीमा समझौतों को नहीं मानने से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हुए हैं.

'चीन के सीमा समझौतों को नहीं मानने से द्विपक्षीय संबंधों की बुनियाद गड़बड़ाई'विदेश मंत्री एस जयशंकर (ANI File Photo)
मॉस्को/नई दिल्ली, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि बीते एक साल से भारत-चीन संबंधों को लेकर बहुत चिंता उत्पन्न हुई है क्योंकि बीजिंग सीमा मुद्दे को लेकर समझौतों का पालन नहीं कर रहा है जिसकी वजह से द्विपक्षीय संबंधों की बुनियाद ‘गड़बड़ा’ रही है.

चीन ने समझौते का नहीं किया पालन- जयशंकर
मॉस्को में ‘प्राइमाकोव इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड इकनॉमी ऐंड इंटरनेशनल रिलेशन्स’ में भारत और चीन के संबंधों के बारे में एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, ‘मैं कहना चाहूंगा कि बीते चालीस साल से चीन के साथ हमारे संबंध बहुत ही स्थिर थे…चीन दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार के रूप में उभरा.’ तीन दिवसीय दौरे पर आये जयशंकर ने आगे कहा, ‘लेकिन बीते एक वर्ष से, इस संबंध को लेकर बहुत चिंता उत्पन्न हुई क्योंकि हमारी सीमा को लेकर जो समझौते किये गये थे चीन ने उनका पालन नहीं किया.’
उन्होंने कहा, ‘45 साल बाद, वास्तव में सीमा पर झड़प हुई और इसमें जवान मारे गये और किसी भी देश के लिए सीमा का तनावरहित होना, वहां पर शांति होना ही पड़ोसी के साथ संबंधों की बुनियाद होता है. इसीलिए बुनियाद गड़बड़ा गयी है और संबंध भी.’

पिछले वर्ष मई माह की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध बना. कई दौर की सैन्य और राजनयिक बातचीत के बाद फरवरी में दोनों ही पक्षों ने पैंगांग झील के उत्तर और दक्षिण तटों से अपने सैनिक और हथियार वापस बुला लिये. विवाद के स्थलों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए दोनों पक्षों के बीच अभी वार्ता चल रही है.
भारत हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग से सैनिकों को हटाने पर विशेष तौर पर जोर दे रहा है. सेना के अधिकारियों के मुताबिक, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ऊंचाई पर स्थित संवेदनशील क्षेत्रों में प्रत्येक पक्ष के अभी करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.

विवाद के बाकी के स्थलों से सैनिकों की वापसी की दिशा में कोई प्रगति अब नजर नहीं आ रही है क्योंकि चीनी पक्ष ने 11वें दौर की सैन्य वार्ता में अपने रवैये में कोई नरमी नहीं दिखाई है. दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों की होड़ की संभावना से जुड़े एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने इसे खारिज करते हुए कहा कि चीन के परमाणु कार्यक्रम का विकास भारत से कहीं अधिक बड़े पैमाने पर है. उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि भारत और चीन के बीच परमाणु हथियारों की होड़ है. चीन 1964 में परमाणु शक्ति बन गया था.’
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'चीन के सीमा समझौतों को नहीं मानने से द्विपक्षीय संबंधों की बुनियाद गड़बड़ाई'
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