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अनुच्‍छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गुलाम नबी आजाद का 'मन हुआ भारी', फैसला सुनते ही...

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Supreme Court decision on Article 370 in Kashmir : शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखते हुए दशकों से जारी बहस को समाप्त कर दिया .

अनुच्‍छेद 370 पर SC के फैसले से गुलाम नबी आजाद का 'मन भारी', बोले...आजाद ने शीर्ष अदालत के फैसले पर कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस फैसले से कोई भी खुश नहीं होगा.
श्रीनगर : डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘‘दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘भारी मन के साथ हमें इसे स्वीकार करना होगा’’. आजाद ने शीर्ष अदालत के फैसले पर कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस फैसले से कोई भी खुश नहीं होगा.

शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखते हुए दशकों से जारी बहस को समाप्त कर दिया .
उच्चतम न्यायालय ने ‘‘जल्द से जल्द’’ जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के साथ-साथ अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का भी निर्देश दिया.

आजाद ने यहां अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन सभी को भारी मन से उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकार करना होगा. हमें इस फैसले की उम्मीद नहीं थी. हम सोच रहे थे कि उच्चतम न्यायालय जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं और उस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर भी विचार करेगा जिसके तहत अनुच्छेद 370 को संविधान में शामिल किया गया था. यही हमारी आशा थी लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ.’’
चुनाव कराने और राज्य का दर्जा बहाल करने पर अदालत के निर्देश के बारे में पूछे जाने पर आजाद ने कहा कि सरकार ने ये प्रतिबद्धताएं संसद में पहले ही व्यक्त कर दी हैं.

उनके विचार में अनुच्छेद 370 को जल्दबाजी में निरस्त किया गया और इसे जम्मू-कश्मीर के लोगों या राजनीतिक दलों से परामर्श किए बिना किया गया था.
उन्होंने कहा, ‘‘यह जम्मू-कश्मीर के इतिहास में एक दुखद दिन है जिसे लोगों को स्वीकार करना होगा क्योंकि कोई अन्य रास्ता (उपलब्ध) नहीं है. ये लोकतंत्र के दो सबसे मजबूत स्तंभ हैं- एक है कानून बनाना यानि संसद, जिसने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के खिलाफ निर्णय लिया. दूसरा , उच्चतम न्यायालय जो भारत सरकार या संसद के फैसलों की व्याख्या करता है, वह भी हमारे खिलाफ गया है.’’

आजाद ने कहा, ‘‘अगर जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों से सलाह ली गई होती तो शायद हम कुछ सौदेबाजी करने में सक्षम हो पाते, शायद हमें कुछ मिल जाता….

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संदीप कुमारSenior Assistant Editor
न्‍यूज18 हिंदी में वरिष्‍ठ सहायक संपादक (Senior Assistant Editor) के पद पर कार्यरत. करीब डेढ़ दशक से ज्‍यादा वक्‍त से पत्रकारिता में सक्रिय. भारतीय रेल, मौसम विज्ञान, पॉलिटिकल एंड गवर्नमेंट अफेयर्स, दिल्‍ली सरक...और पढ़ें
न्‍यूज18 हिंदी में वरिष्‍ठ सहायक संपादक (Senior Assistant Editor) के पद पर कार्यरत. करीब डेढ़ दशक से ज्‍यादा वक्‍त से पत्रकारिता में सक्रिय. भारतीय रेल, मौसम विज्ञान, पॉलिटिकल एंड गवर्नमेंट अफेयर्स, दिल्‍ली सरक... और पढ़ें
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