Cash Scandal: जज यशवंत के घर नोटों का ढेर: BJP चल सकती है 2015 वाला दांव, पहले धनखड़ और अब नड्डा की नई चाल!
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Justice Yashwant Varma News: जज यशवंत वर्मा के घर नोटों का ढेर मिलने के बाद से देशभर में हंगामा जारी है. वहीं बीजेपी NJAC को फिर से लाने की तैयारी में और इसको लेकर जेपी नड्डा एक रणनीति पर काम कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि वह इसको लेकर विपक्षी दलों के नेताओं से मिल सकते हैं.

Cash-At-Home Case: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में मंगलवार को एक सर्वदलीय फ्लोर लीडर्स की बैठक हुई, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर बरामद नकदी के मुद्दे पर चर्चा की गई. यह बैठक करीब एक घंटे तक चली, लेकिन इस गंभीर मसले पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका. सूत्रों के अनुसार, जल्द ही इस मुद्दे पर एक और सर्वदलीय बैठक होगी. इस बैठक में बीजेपी, कांग्रेस, सपा और आरजेडी समेत सभी दल इस बैठक में शामिल हुए. सूत्र बता रहे हैं कि जेपी नड्डा सभी राजनीतिक दलों से अलग अलग बात करेंगे.
बैठक में क्या हुआ?
बैठक में सभी फ्लोर लीडर्स ने जस्टिस वर्मा के घर से 14 मार्च को आग लगने की घटना के बाद बरामद हुई नकदी को लेकर गहरी चिंता जताई. इस घटना ने न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं, जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है. सभी नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि न्यायपालिका पर लगे ऐसे आरोप गंभीर हैं और इसकी जड़ तक जाना जरूरी है. हालांकि, बैठक में इस बात पर कोई फैसला नहीं हो सका कि इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाए जाएं? सूत्रों के मुताबिक, सभी फ्लोर लीडर्स अब अपनी-अपनी पार्टियों के साथ चर्चा करेंगे ताकि इस मसले पर उनकी पार्टी की आधिकारिक राय सामने आ सके.
बैठक में सभी फ्लोर लीडर्स ने जस्टिस वर्मा के घर से 14 मार्च को आग लगने की घटना के बाद बरामद हुई नकदी को लेकर गहरी चिंता जताई. इस घटना ने न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं, जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है. सभी नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि न्यायपालिका पर लगे ऐसे आरोप गंभीर हैं और इसकी जड़ तक जाना जरूरी है. हालांकि, बैठक में इस बात पर कोई फैसला नहीं हो सका कि इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाए जाएं? सूत्रों के मुताबिक, सभी फ्लोर लीडर्स अब अपनी-अपनी पार्टियों के साथ चर्चा करेंगे ताकि इस मसले पर उनकी पार्टी की आधिकारिक राय सामने आ सके.
NJAC पर सहमति बनाने की कोशिश
बैठक में एक और अहम पहलू सामने आया. समझा जा रहा है कि सरकार अब विपक्षी दलों के फ्लोर लीडर्स के साथ अलग-अलग बैठकें करेगी ताकि नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमिशन (NJAC) को फिर से लागू करने पर सहमति बनाई जा सके. NJAC को 2014 में 99वें संविधान संशोधन के जरिए पेश किया गया था, जिसे 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था कि NJAC न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डालता है और यह संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करता है.
बैठक में एक और अहम पहलू सामने आया. समझा जा रहा है कि सरकार अब विपक्षी दलों के फ्लोर लीडर्स के साथ अलग-अलग बैठकें करेगी ताकि नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमिशन (NJAC) को फिर से लागू करने पर सहमति बनाई जा सके. NJAC को 2014 में 99वें संविधान संशोधन के जरिए पेश किया गया था, जिसे 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था कि NJAC न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डालता है और यह संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करता है.
जगदीप धनखड़ ने पहले भी NJAC को लेकर अपनी राय रखी थी. उन्होंने मंगलवार को सदन में कहा था कि अगर NJAC लागू होता, तो शायद ऐसी घटनाएं न होतीं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि NJAC को संसद ने सर्वसम्मति से पारित किया था और इसे 16 राज्य विधानसभाओं ने भी मंजूरी दी थी. धनखड़ ने इसे एक ‘दूरदर्शी कदम’ बताते हुए कहा कि इसकी अनुपस्थिति ने न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता की कमी को उजागर किया है.
जस्टिस वर्मा का मामला क्या है?
14 मार्च 2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगने की घटना के बाद वहां से नकदी बरामद की गई थी. इस घटना ने पूरे देश में हंगामा मचा दिया. जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि न तो उनके पास और न ही उनके परिवार के पास इतनी नकदी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है और दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को जस्टिस वर्मा को कोई नया न्यायिक काम न सौंपने का निर्देश दिया है. जस्टिस वर्मा को उनके मूल कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह ट्रांसफर नकदी मामले से संबंधित नहीं है.
14 मार्च 2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगने की घटना के बाद वहां से नकदी बरामद की गई थी. इस घटना ने पूरे देश में हंगामा मचा दिया. जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि न तो उनके पास और न ही उनके परिवार के पास इतनी नकदी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है और दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को जस्टिस वर्मा को कोई नया न्यायिक काम न सौंपने का निर्देश दिया है. जस्टिस वर्मा को उनके मूल कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह ट्रांसफर नकदी मामले से संबंधित नहीं है.
विपक्ष और सरकार की राय
बैठक में विपक्षी नेताओं ने भी इस मामले की गंभीरता पर जोर दिया. कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस तरह के मामले न्यायपालिका में आम लोगों के भरोसे को कमजोर करते हैं. उन्होंने NJAC पर अपनी राय रखते हुए कहा कि सरकार को पहले अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, तभी विपक्ष इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकता है. वहीं, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद सुकेन्दु शेखर रॉय ने कहा कि इस मुद्दे पर संसद में खुली चर्चा होनी चाहिए, न कि बंद कमरे में. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर NJAC को फिर से लाया गया और सुप्रीम कोर्ट ने इसे दोबारा रद्द कर दिया, तो सरकार का अगला कदम क्या होगा?
बैठक में विपक्षी नेताओं ने भी इस मामले की गंभीरता पर जोर दिया. कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस तरह के मामले न्यायपालिका में आम लोगों के भरोसे को कमजोर करते हैं. उन्होंने NJAC पर अपनी राय रखते हुए कहा कि सरकार को पहले अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, तभी विपक्ष इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकता है. वहीं, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद सुकेन्दु शेखर रॉय ने कहा कि इस मुद्दे पर संसद में खुली चर्चा होनी चाहिए, न कि बंद कमरे में. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर NJAC को फिर से लाया गया और सुप्रीम कोर्ट ने इसे दोबारा रद्द कर दिया, तो सरकार का अगला कदम क्या होगा?
बीजेपी अध्यक्ष और राज्यसभा में सदन के नेता जे.पी. नड्डा ने कहा कि जस्टिस वर्मा के मामले को NJAC जैसे बड़े मुद्दे से अलग रखकर देखना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार और विपक्ष दोनों ही मौजूदा कोलेजियम सिस्टम में पारदर्शिता की कमी को मानते हैं, और एक वैकल्पिक व्यवस्था की जरूरत है.
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