कर्नाटक: श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर में आग के साथ होता है ये 'खतरनाक खेल', देखें वीडियो
Written by:
Agency:एएनआई
Last Updated:
Karnataka: श्रद्धालु इस खेल में एक दूसरे पर आग का गोला फेंकते हैं. सैकड़ों साल पुरानी ये परंपरा कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में स्थित श्री दुर्गा परमेश्वरी मंदिर में हर साल देखी जाती है.
आग के इस खेल में केवल अत्तूर और कोडत्तूर के गांवों के पास के लोगों को ही भाग लेने की अनुमति दी जाती है (फोटो- ANI वीडियो ग्रैब)बेंगलुरु. भारत कई सारी संस्कृतियों और परंपराओं का देश है. यहां की कला संस्कृति पूरी दुनिया में अलग छाप छोड़ती है. लिहाजा दुनिया के कई कोने से लोग यहां के उत्सव को देखने के लिए हर साल आते हैं. लेकिन क्या आपने ‘अग्नि खेली’ के बारे में सुना है? उत्साह, जोश और रोशनी से लबरेज ये परंपरा आपको रोमांचित कर देगी. श्रद्धालु इस खेल में एक दूसरे पर आग का गोला फेंकते हैं. सैकड़ों साल पुरानी ये परंपरा कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में स्थित श्री दुर्गा परमेश्वरी मंदिर में हर साल देखी जाती है.
करीब 30 सकेंड के इस वीडियो को देख कर आप रोमांचित हो जाएंगे. सामने भव्य मंदिर में रोशनी जगमगा रही है. और बाहर मंदिर के प्रांगण में सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ है. इस बेहद खास अनुष्ठान में भाग लेने वाले लोग भगवे रंग का एक गमछा लपेटे खड़े हैं. दुर्गा मां की जयकारे की बीच लोग एक दूसरे के ऊपर आगे के गोले फेंक रहे हैं. पूरा मंजर बेहद खतरनाक दिख रहा है. लेकिन ये परंपरा पिछले सैकड़ों साल से मनाई जा रही है.
#WATCH | Devotees hurled fire at each other as part of a fire ritual ‘Thoothedhara’ or ‘Agni Kheli’ to pay reverence to goddess Durga at Sri Durgaparameshwari temple in Kateel, Karnataka (22.04) pic.twitter.com/q4SHMFAGak— ANI (@ANI) April 23, 2022
कहां है ये मंदिर?
इस खेल को ‘अग्नि खेली’ या थूथेधरा परंपरा भी कहा जाता है. श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर कर्नाटक के कतील में स्थित है. ये मंदिर उडपी से करीब एक घंटे की दूरी पर है. इस बेहद खास नजारे को देखने के लिए हर साल दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. स्थानीय लोग इस खतरनाक खेल में हिस्सा लेने के लिए काफी उत्सुक रहते हैं.
इस खेल को ‘अग्नि खेली’ या थूथेधरा परंपरा भी कहा जाता है. श्री दुर्गापरमेश्वरी मंदिर कर्नाटक के कतील में स्थित है. ये मंदिर उडपी से करीब एक घंटे की दूरी पर है. इस बेहद खास नजारे को देखने के लिए हर साल दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. स्थानीय लोग इस खतरनाक खेल में हिस्सा लेने के लिए काफी उत्सुक रहते हैं.
‘अग्नि खेली’ के नियम
आग के इस खेल में केवल अत्तूर और कोडत्तूर के गांवों के पास के लोगों को ही भाग लेने की अनुमति दी जाती है. मंदिर में 8 दिनों का उत्सव मनाया जाता है. इन गांवों में सभी भक्त आठ दिनों तक उपवास रखते हैं. अंतिम यानी आठवें दिन वे सभी दो गुटों में बंट जाते हैं. नियम ये मुताबिक प्रत्येक भक्त जलते हुए नारियल के बंडल को केवल 5 बार ही फेंक सकता है. मंदिर के पुजारी के मुताबिक अगर कोई खेल में घायल हो जाता है, तो उसका इलाज किया जाता है. अब इस आतिशबाजी उत्सव के दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
आग के इस खेल में केवल अत्तूर और कोडत्तूर के गांवों के पास के लोगों को ही भाग लेने की अनुमति दी जाती है. मंदिर में 8 दिनों का उत्सव मनाया जाता है. इन गांवों में सभी भक्त आठ दिनों तक उपवास रखते हैं. अंतिम यानी आठवें दिन वे सभी दो गुटों में बंट जाते हैं. नियम ये मुताबिक प्रत्येक भक्त जलते हुए नारियल के बंडल को केवल 5 बार ही फेंक सकता है. मंदिर के पुजारी के मुताबिक अगर कोई खेल में घायल हो जाता है, तो उसका इलाज किया जाता है. अब इस आतिशबाजी उत्सव के दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
और पढ़ें