ममता ने जिसे कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने वाले बोर्ड में चुना, उस पर यौन उत्पीड़न का आरोप
Agency:News18Hindi
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पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए एक बोर्ड बनाया है. लेकिन ये बोर्ड इसमें शामिल एक सदस्य के कारण विवादों में आ गया है. इसे हटाने के लिए एक संस्था ने ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को पत्र लिखा है.

नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल (West Bengal) की ममता बनर्जी (Mamata banerjee) की सरकार में कोविड 19 से लड़ने के मकसद से गठित ग्लोबल एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य थॉमस आर फ्रीडेन (Thomas R Frieden) पर अमेरिका में महिला के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है. फ्रीडेन को कोर्ट में पेश भी किया जा चुका है. इस मामले के बाद स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए काम करने वाली संस्था पीपुल्स फॉर बेटर ट्रीटमेंट (PBT) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को पत्र लिखा है. इसमें ममता बनर्जी से मांग की गई है कि वह थॉमस आर फ्रीडेन को अपने ग्लोबल एडवाइजरी बोर्ड से निष्कासित कर दें. पीबीटी ने उसे चयन पर भी सवाल उठाए हैं.
पीबीटी ने पत्र में न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक खबर का हवाला भी दिया है. इसमें बताया गया है कि थॉमस आर फ्रीडेन अमेरिका का रहने वाला है. फ्रीडेन अमेरिका की पूर्ववर्ती ओबामा सरकार में 8 साल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन विभाग भी संभाल चुका है. उसपर मीटू अभियान के लिए काम करने वाली एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. फ्रीडेन पर यह आरोप अक्टूबर 2017 की घटना के सदंर्भ में लगे हैं. महिला ने इस साल जुलाई में अमेरिकी पुलिस से फ्रीडेन की शिकायत की थी. इसके बाद उसने शुक्रवार को पुलिस के सामने सरेंडर किया.
फ्रीडेन को कोर्ट में पेश किया गया जा चुका है. हालांकि कोर्ट ने उसे सशर्त जमानत दी है. कोर्ट ने उसे आदेश दिया है कि वह अपना पासपोर्ट पुलिस को सौंपे और पीडि़ता से कोई भी संपर्क नहीं रखे.
पीबीटी के अध्यक्ष कुणाल साहा की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि मेरा मानना है कि फ्रीडेन को पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से ग्लोबल एडवाइजरी बोर्ड में शामिल करने से पहले उसका पुनरीक्षण नहीं किया गया. यह हैरान करने वाला है कि जीएबी में उसे नामांकित करने से पहले कोई उसके आपराधिक इतिहास के बारे में ना जानता हो.
बता दें कि पश्चिम बंगाल की ममता सरकार की ओर से कोविड 19 के लिए गठित ग्लोबल एडवाइजरी बोर्ड में थॉमस के अलावा नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी भी शामिल हैं.
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पीबीटी ने पत्र में न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक खबर का हवाला भी दिया है. इसमें बताया गया है कि थॉमस आर फ्रीडेन अमेरिका का रहने वाला है. फ्रीडेन अमेरिका की पूर्ववर्ती ओबामा सरकार में 8 साल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन विभाग भी संभाल चुका है. उसपर मीटू अभियान के लिए काम करने वाली एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. फ्रीडेन पर यह आरोप अक्टूबर 2017 की घटना के सदंर्भ में लगे हैं. महिला ने इस साल जुलाई में अमेरिकी पुलिस से फ्रीडेन की शिकायत की थी. इसके बाद उसने शुक्रवार को पुलिस के सामने सरेंडर किया.
फ्रीडेन को कोर्ट में पेश किया गया जा चुका है. हालांकि कोर्ट ने उसे सशर्त जमानत दी है. कोर्ट ने उसे आदेश दिया है कि वह अपना पासपोर्ट पुलिस को सौंपे और पीडि़ता से कोई भी संपर्क नहीं रखे.
ग्लोबल एडवाइजरी बोर्ड में शामिल है फ्रीडेन.
पीबीटी के अध्यक्ष कुणाल साहा की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि मेरा मानना है कि फ्रीडेन को पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से ग्लोबल एडवाइजरी बोर्ड में शामिल करने से पहले उसका पुनरीक्षण नहीं किया गया. यह हैरान करने वाला है कि जीएबी में उसे नामांकित करने से पहले कोई उसके आपराधिक इतिहास के बारे में ना जानता हो.
बता दें कि पश्चिम बंगाल की ममता सरकार की ओर से कोविड 19 के लिए गठित ग्लोबल एडवाइजरी बोर्ड में थॉमस के अलावा नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी भी शामिल हैं.
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